मुस्लिमों-दलितों ने AIMIM को बताया नया विकल्प

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव (Election) में एआईएमआईएम के प्रदर्शन ने सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यूपी के नगर निकाय चुनाव में पार्टी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है। उससे साफ दिखता है कि एआईएमआईएम को मुस्लिम और दलित वोटर नए विकल्प के तौर पर देखने लगे हैं।

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एआईएमआईएम ने यूपी में 26 सीटें हासिल करी

नगर निकाय चुनाव में एआईएमआईएम ने अलग-अलग जिलों में करीब 26 सीटें हासिल की हैं। वहीं पार्टी ने पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मेयर प्रत्याशी फिरोजाबाद में खड़ा किया था। पहली बार के चुनाव में ही एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने सपा और बसपा जैसी दिग्गज पार्टियों को पीछे छोड़ दिया। भले ही वो बीजेपी से हार गया लेकिन इस प्रदर्शन ने प्रदेश की सियासत में नया रंग जरूर भर दिया। फिरोजाबाद के मेयर चुनाव में बीजेपी की नूतन राठौर ने 98932 वोट हासिल किए। उन्होंने ऑल एआईएमआईएम की मशहूर फातिमा को मात दी। फातिमा ने 56536 वोट हासिल किए। रिपोर्ट के मुताबिक समाजवादी पार्टी की सावित्री गुप्ता यहां 45925 और बीएसपी की पायल राठौर 41528 वोट ही हासिल कर सकीं।

 

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कानपूर से एआईएमआईएम के प्रत्याशी शरद सोनकर जीते

इसी तरह कानपुर में चुन्नीगंज वार्ड संख्या 3 से एआईएमआईएम के प्रत्याशी शरद कुमार सोनकर ने जीत दर्ज कराई। एआईएमआईएम पार्टी ने पहली बार कानपुर में खाता खोला, उन्होंने सपा प्रत्याशी को 800 वोट से मात दी। पार्टी की इस जीत पर एआईएमआईएम पूरी तरह खुशी से गदगद है। पार्टी के उत्तर प्रदेश के संयोजक शौकत अली ने कहा,” निकाय चुनाव का परिणाम उन लोगों को जवाब है, जो ये इल्जाम लगाते थे कि एआईएमआईएम बीजेपी की एजेंट है।

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शौकत अली ने खूब ललकारा

हमने मेयर चुनाव के लिए सिर्फ एक सीट फिरोजाबाद की चुनकर वहां हमने दूसरा स्थान प्राप्त किया। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी यहां तीसरे और चौथे नंबर की पार्टी थी। इसके अलावा एआईएमआईएम ने करीब 26 सीटें प्रदेश में जीती, जिनमें फिरोजाबाद में 10 सीटें, कानपुर और इलाहाबाद सहित तमाम शहर शामिल हैं। शौकत अली के अनुसार हमें बीजेपी का एजेंट कहने वाली समाजवादी पार्टी से हमारा सवाल है कि यूपी में 14 सीटें बीजेपी जीतकर आई है, सभी जगह उनके प्रत्याशी थे। तो बीजेपी का एजेंट कौन हुआ। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम की जीत निश्चित रूप से ये मुस्लिम और दलितों की जीत है। हम मजलूमों की राजनीति करते हैं और मुसलमान 70 साल से ठगा महसूस कर रहा है। वहीं दलितों की स्थिति भी बेहद खराब है। हमने चुनाव में दलितों को सबसे ज्यादा टिकट दिए थे क्योंकि हम दलित मुस्लिम वंचित समाज की सियासत करते हैं।

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