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Most Expensive Olympics यानी टोक्यो ओलंपिक 2020 अभी तक का सबसे महंगा आयोजन साबित हुआ है. अब आयोजन की कुल लागत की चर्चा प्रबल है. हो भी क्यों न क्योंकि महामारी की बढ़ती चुनौतियों ने ग्रीष्मकालीन खेलों की लागत को अभूतपूर्व ऊंचाई पर जो पहुंचा दिया.
लेखा परीक्षकों का कहना –
टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) रिकॉर्ड में सबसे महंगे ओलंपिक (Most Expensive Olympics) के तौर पर दर्ज हो गया. अधिकृत जानकारी के अनुसार टोक्यो ओलंपिक 2020 के आयोजन के लिए बजट 15.4 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा. इस बारे में जापान सरकार के लेखा परीक्षकों ने कहा है कि कुल खर्च 20 बिलियन डॉलर से अधिक है.
आपको बता दें यह यह राशि ओलंपिक के लिए टोक्यो ने जब बोली लगाई थी, उस समय के मूल पूर्वानुमान (7.4 बिलियन डॉलर) से तीन गुना अधिक है.
लंदन ओलंपिक से अधिक खर्च –
यह लंदन के ओलंपिक (London’s Olympics) की कुल लागत से 11.04 बिलियन डॉलर अधिक है. इस मान से यह अब तक का सबसे महंगा ओलंपिक (Most Expensive Olympics) रहा. ओलंपिक की लागत पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, ओलंपिक खेल किसी भी देश द्वारा आयोजित सबसे महंगे मेगा आयोजनों में से एक हैं.
अध्ययन में पता चला कि; ओलंपिक मेजबानी की औसत खेल-संबंधी लागत 12 बिलियन डॉलर है. इसमें गैर-खेल-संबंधी खर्च आमतौर पर कई गुना अधिक हैं. आयोजन समिति के अनुसार, टोक्यो खेल आयोजन को स्थगित करने से इसकी अंतिम लागत में 2.8 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ.
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निर्माण कार्य लागत –
ओलंपिक की सबसे बड़ी लागत स्थानों का निर्माण रहा. खेलों के लिए विशेष रूप से लगभग 3 बिलियन डॉलर की लागत से आठ स्थानों का निर्माण किया गया.
इसमें 68,000 सीटों वाला नेशनल स्टेडियम, 2019 में पूरा हुआ. तैराकी और वॉलीबॉल के लिए 15,000 सीटों वाले दो स्थान भी इसमें शामिल हैं. इसके अतिरिक्त 25 स्थानों का नवीनीकरण किया गया.
प्रति-ईवेंट लागत –
प्रति-ईवेंट के आधार पर, मूल्य भी अधिक है. ग्रीष्मकालीन खेलों में प्रति आयोजन की औसत लागत 22.4 मिलियन डॉलर है; विंटर के लिए यह 39.2 मिलियन डॉलर है.
हालांकि, टोक्यो ओलंपिक का भारी मूल्य केवल आयोजन के स्थगित होने का परिणाम नहीं है. दरअसल खेलों के लिए बजट पारंपरिक रूप से अनिश्चितता के अधीन है. जिसके परिणाम स्वरूप लागत बढ़ जाती है. वर्ष 1960 के बाद से हर बार ऐसा ही होता आया है.
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दीर्घकालिक असर –
अध्ययन के अनुसार, खेलों की लागत में वृद्धि का वित्तीय प्रभाव लंबे समय तक चलने वाला हो सकता है. मॉन्ट्रियल में भी कुछ ऐसा ही देखने मिला. जिसने 1976 के ग्रीष्मकालीन खेलों पर 720% अतिरिक्त खर्च के लिए कर्ज का भुगतान करने में 30 साल का समय लिया.
इसी तरह, एथेंस में 2004 के खेलों के लिए लागत में वृद्धि और संबंधित ऋण ने 2007-17 के वित्तीय और आर्थिक संकट को बढ़ा दिया.
आमदनी कम –
लागत अधिक होने के साथ-साथ राजस्व कम रहने की भी आशंका अंततः सच साबित हुई. खेलों के अंत तक टोक्यो में कोविड -19 आपातकाल की स्थिति घोषित करने के सरकार के फैसले के तहत दर्शकों पर प्रतिबंध ने इसमें इजाफा किया.
यह निर्णय जापान के हजारों टिकट धारकों और स्थानीय आयोजकों के लिए भी किसी सदमे से कम नहीं रहा. इनसे लगभग 800 मिलियन डॉलर का नुकसान टिकट राजस्व में हुआ.
कुल 15.4 बिलियन डॉलर –
अधिकृत जानकारी के अनुसार टोक्यो ओलंपिक 2020 के आयोजन के लिए बजट 15.4 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा. इस बारे में जापान सरकार के लेखा परीक्षकों ने कहा है कि कुल खर्च 20 बिलियन डॉलर से अधिक है.
आपको बता दें यह यह राशि ओलंपिक के लिए टोक्यो ने जब बोली लगाई थी, उस समय के मूल पूर्वानुमान (7.4 बिलियन डॉलर) से तीन गुना अधिक है.
महामारी से बढ़ा नुकसान –
टोक्यो गेम्स अब तक के सबसे महंगे ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (Most Expensive Olympics) साबित हुए. इसमें महामारी बढ़ते हुए आर्थिक नुकसान को और बढ़ा रही है.
इतने विदेशी पर्यटक कम –
साथ ही, ओलंपिक के लिए विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या में भी लगभग दो-तिहाई की कमी रही. पूर्व अनुमान के अनुसार 50,000 से अधिक एथलीट, अधिकारी, पत्रकार और अन्य लोग खेलों के लिए टोक्यो में जुटे. इस वजह से यह कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से सबसे बड़ा और महंगा अंतरराष्ट्रीय आयोजन (Most Expensive Olympics) साबित हुआ.
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ओलंपिक अपडेट के लिए लिंक पर क्लिक करें – https://olympics.com/hi/featured-news/india-olympics-medals
विज्ञापन घटे –
जापान की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता, टोयोटा मोटर कॉर्प (Toyota Motor Corp.) ने कहा कि वह देश में कोविड -19 (Covid-19) के प्रसार के बारे में चिंताओं के बीच जापान में टोक्यो खेलों के दौरान ओलंपिक से जुड़े विज्ञापन नहीं चलाएगी.