Olympics 1900-2020: भारत ने ओलंपिक में कब कौन सा पदक जीता

Olympics 1900-2020 इतिहास में हॉकी का सिरमौर रहा भारत, नीरज चोपड़ा ने जगाई बेहतरी की उम्मीद

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भारत ने 1900 संस्करण के बाद (Olympics 1900-2020) कुल 24 ओलंपिक खेलों में अब तक 35 मेडल हासिल किये हैं. कब किस खेल में कुल कितने, कौन से मेडल मिले जानिये विस्तार से.

आजादी के पहले चांदी –

ओलंपिक खेलों में भारत आजादी के पहले सहभागिता कर चुका था. वर्ष 1900 का पेरिस ओलंपिक भारत का पहला ओलंपिक है. इसमें नॉर्मन प्रिचर्ड (Norman Pritchard) ने प्रतिनिधित्व किया. भारत का अब तक का ओलंपिक इतिहास 1900 से टोक्यो 2020 (Olympics 1900-2020) तक माना जा सकता है.

आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में प्रथम भारतीय प्रतिनिधि ने एथलेटिक्स के फाइव मेन्स इवेंट्स में पार्टिसिपेट किया. इन इवेंट्स में 60, 100, 200, 110 और 200 मीटर बाधा दौड़ में सहभागिता की.

जीते थे दो पदक –

Olympics 1900-2020 के इतिहास में प्रिचर्ड ने 200 मीटर स्प्रिंट के साथ ही 200 मीटर बाधा दौड़ (हर्डल रेस/Hurdle Race) में कुल मिलाकर दो रजत पदक अर्जित किये. भारत की आजादी के पूर्व भारत के पहले इंडिविजुअल मेडल का रिकॉर्ड नॉर्मन प्रिचर्ड के नाम दर्ज है. इन पदकों के कारण भारत ओलंपिक पदक जीतने वाला पहला एशियाई राष्ट्र भी बना.

पहली बार टीम –

राष्ट्र ने पहली बार साल 1920 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में सहभागिता के लिए टीम भेजी. उसके बाद से प्रत्येक ग्रीष्मकालीन खेलों में भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में शामिल हुए. भारत 1964 के बाद से कई शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भी सहभागिता करता आया है. भारतीय एथलीटों ने सभी ग्रीष्मकालीन खेलों (Olympics 1900-2020) में 35 पदक जीते हैं.

हॉकी का स्वर्णिम युग –

भारतीय हॉकी टीम का ओलंपिक इतिहास (Olympics 1900-2020) में एक स्वर्णिम दौर रहा. भारतीय राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम ओलंपिक में पूरी तरह हावी रही. इसमें साल 1928 और 1980 के बीच कुल बारह ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने पूरे ग्यारह पदक जीते.

इन पदकों में 8 स्वर्ण पदक शामिल रहे. आपको बता दें साल 1928-1956 के दौरान भारत ने लगातार छह बार हॉकी स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया.

हॉकी का स्वर्णिम सफर –

पुरुष वर्ग की भारतीय हॉकी टीम ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया. टूर्नामेंट में टीम ने दिग्गज हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद (Dhyan Chand) की लीडरशिप में 29 गोल किये. खास बात यह रही कि प्रतिद्वंदी भारत के खिलाफ एक भी गोल नहीं दाग पाए.

मतलब भारत ने बगैर गोल खाए अपना पहला गोल्ड मेडल जीता. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने कुल 14 गोल किये जिसमें फाइनल मैच में नीदरलैंड्स के खिलाफ मारी गई हैट्रिक भी शामिल है. किसी ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का यह पहला मेडल था वह भी स्वर्ण.

फिर भारत ने लॉस एंजिल्स 1932 ओलंपिक में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया. इसमें टीम इंडिया ने जापान को एकतरफा मुकाबले में 11-1 से पटखनी दी. बर्लिन 1936 ओलंपिक से भी भारतीय हॉकी टीम गोल्ड मेडल लेकर लौटी.

स्वतंत्रता के बाद पहला ओलंपिक –

लंदन 1948 ओलंपिक के वक्त भारत अब स्वतंत्र था. आजादी के बाद के पदार्पण में भारत ने बलबीर सिंह सीनियर के नेतृत्व में अभियान की शुरुआत मेडल के साथ की. इस शुरुआत के बाद से अब तक (Olympics 1900-2020) भारत 24 ओलंपिक खेलों में 28 पदक हासिल कर चुका है.

हेलसिंकी 1952 के ओलंपिक में भारत ने फाइनल में नीदरलैंड को 6-1 से पराजित किया जिसमें बलबीर सिंह सीनियर ने 5 गोल दागे. यह ओलंपिक फाइनल में किसी एक खिलाड़ी द्वारा किए गए सबसे ज्यादा गोल का अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

पहला व्यक्तिगत पदक –

पहलवान खशाबा दादासाहेब जाधव ने हेलसिंकी 1952 के ओलंपिक में पुरुष वर्ग की फ्री-स्टाइल बैंटमवेट कैटेगरी में कांस्य पदक जीता. इस तरह वे स्वतंत्र भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक पदक विजेता भी हैं.

भारतीय हॉकी पुरुष टीम ने मेलबर्न 1956 ओलंपिक में खेल प्रतियोगिता का लगातार छठवां स्वर्ण पदक जीता. पूरे टूर्नामेंट में भारत ने किसी भी प्रतिद्वंदी टीम को गोल दागने का मौका नहीं दिया. फाइनल मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से पराजित किया.

हॉकी के स्वर्णिम काल की समाप्ति –

साल 1960 के रोम ओलंपिक में भारत का स्वर्णकाल समाप्त हुआ. भारतीय टीम को फाइनल में पाकिस्तान के विरुद्ध 1-0 से पराजय मिली. इस हार से भारतीय हॉकी टीम को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा.

हालांकि टोक्यो में 1964 में हुए ओलंपिक में भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल में फिर भिड़ंत हुई. इस बार भारत ने पाकिस्तान को हराकर गोल्ड मेडल पर फिर कब्जा कर लिया.

मैक्सिको सिटी में 1968 के ओलंपिक में भारत ने पश्चिम जर्मनी को हराकर कांस्य पदक हासिल किया. भारत ओलंपिक में पहली दफा टॉप 2 में नहीं पहुंच पाया. म्यूनिख में 1972 में हुए ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. मॉन्ट्रियल में 1976 में आयोजित ओलंपिक में भारतीय टीम 7वें स्थान पर रही.

इसके बाद मास्को में 1980 ओलंपिक में भारत ने फिर से गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया. किसी ओलंपिक में भारत का यह आखिरी हॉकी स्वर्ण है.

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बदली परंपरा –

1980 के बाद से ओलंपिक में भारत मेडल के लिए तरस गया. 1996 अटलांटा ओलंपिक तक भारत को 4 सीजन यानि 16 साल में मेडल नहीं मिला. फिर साल 1996 में अटलांटा में आयोजित ओलंपिक में लिएंडर पेस ने पुरुष वर्ग की एकल टेनिस श्रेणी में कांस्य पदक हासिल किया.

इसके बाद फिर से पदकों का सूखा भारत के ओलंपिक खाते में देखा गया, जिसका अंत सिडनी 2000 ओलंपिक में हुआ. वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग के महिला वर्ग की 54 किग्रा श्रेणी में कांस्य पदक जीता. ओलंपिक मेडल जीतने वाली वे पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.

2004 में चांदी –

2004 एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने मेंस डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक हासिल कर शूटिंग में प्रतिष्ठा कायम की. सिल्वर मेडल जीतने वाले राजस्थान के राज्यवर्धन सिंह राठौर ऐसे पहले भारतीय शूटर हैं जिन्होंने ओलंपिक गेम्स पोडियम में जगह बनाई.

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सालों बाद स्वर्ण –

राठौर के काम को अभिनव बिंद्रा ने पूरा किया. साल 2008 में आयोजित बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा को मेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. इसी ओलंपिक की मेंस मिडिलवेट बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह ने कांस्य पदक जीता. सुशील कुमार ने भी 66 किग्रा कुश्ती में कांस्य पदक जीता.

लंदन 2012 –

लंदन में 2012 में आयोजित ओलंपिक में गगन नारंग ने मेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में कांस्य पदक जीता. इसी साल रेसलिंग में सुशील कुमार ने रजत पर कब्जा जमाया. सुशील कुमार भारत के एकमात्र ऐसे एथलीट हैं जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में दो बार ओलंपिक पदक हासिल किये.

इसी वर्ष विजय कुमार ने मेंस 25 मीटर रैपिड पिस्टल शूटिंग में रजत जीता. मैरी कॉम को लंदन 2012 ओलंपिक में वूमेंस फ्लाईवेट बॉक्सिंग में कांस्य मिला. योगेश्वर दत्त को मेंस 60 किग्रा कुश्ती में कांस्य पदक मिला. साइना नेहवाल ने भी सिंगल्स बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता.

साल 2016 में आयोजित रियो ओलंपिक में भारतीय शटलर पीवी सिंधु (PV Sindhu) ने सिल्वर मेडल जीता. रेसलिंग में साक्षी मलिक को कांस्य पदक मिला. वे ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला भारतीय पहलवान भी हैं.

टोक्यो 2020 –

इस बार टोक्यो 2020 ओलंपिक में भारत का आगाज वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने रजत पदक पर कब्जा जमाकर किया. यह टोक्यो ओलंपिक में भारत का पहला पदक रहा. वूमेंस वेल्टरवेट लवलीना बोरगोहेन, पीवी सिंधु ने वूमेंस सिंगल्स बैडमिंटन में कांस्य पदक हासिल किया.

पुरुष हॉकी टीम ने भी कांस्य पदक जीतकर सालों से पड़े मेडल के सूखे को समाप्त किया. 41 साल के इंतजार के बाद भारतीय हॉकी टीम को पदक मिला. टीम को आखिरी बार पदक 1980 मास्को ओलंपिक में नसीब हुआ था. हॉकी में भारत का यह तीसरा ओलंपिक कांस्य पदक जबकि हॉकी का 13 वां ओलंपिक पदक है.

कुश्ती की फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में रवि कुमार दहिया ने 57 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर भारत को गर्वित किया. मेंस 65 किग्रा रेसलिंग में बजरंग पुनिया को ब्रॉन्ज मेडल मिला. टोक्यो ओलंपिक में भारत का यह छठवां पदक था.

यह भी पढ़ें – लिंक क्लिक कर पदक तालिका देखें –

https://olympics.com/tokyo-2020/olympic-games/en/results/all-sports/medal-standings.htm

नीरज चोपड़ा ने किया गोल्डन एंड –

मेंस जैवलिन थ्रो इवेंट में भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने भारत को जश्न का मौका दिया. अभिनव बिंद्रा के बाद भारत के नीरज चोपड़ा दूसरे ऐसे इंडिविज़ुअल एथलीट हैं जिन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया है. इस तरह ओलंपिक में पदार्पण के बाद से अब तक के इतिहास (Olympics 1900-2020) में भारत ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं. हालांकि हालिया प्रदर्शन से बेहतरी की आस भी जागी है.

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