जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा में धक्का-मुक्की से 50 से अधिक लोग घायल, सीढ़ी से फिसले 6 सेवक

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उड़ीसा के पुरी में आज भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। आज भगवान भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार हुएं। इस दौरान लाखों की संख्या में लोग भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को देखने के लिए पहुंचे। अधिक भीड़ के चलते जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा में खूब धक्का-मुक्की हुई। यह धक्का-मुक्की की वजह से रथयात्रा में शामिल 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इसके साथ ही 6 सेवकों के जख्मी होने की भी खबर है।

रथयात्रा में धक्का-मुक्की से 50 लोग घायल

बताया जा रहा है कि पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा में बलभद्र के ताल ध्वज रथ खींचते समय मर्चीकोट चौक पर धक्का-मुक्की शुरू हो गई। जिससे भीड़ में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। बेकाबू भीड़ की धक्का-मुक्की में 50 से अधिक लोगों के घायल हुए हैं। सभी घायलों को पुरी जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है। जिनमें पांच लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं, भीषण गर्मी के चलते रथयात्रा में शामिल भक्तों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी और उमस के चलते कई युवक और महिलाएं बेहोश भी हो गए। मौके पर मौजूद स्वयंसेवकों द्वारा उन्हें को पुरी सदर अस्पताल ले जाया गया।

रथ पर बैठाते वक्त सीढ़ी से फिसले 6 सेवक

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में एक और हादसा हुआ है। यहां 6 सेवक भी घायल हो गये हैं। यह हादसा जगन्नाथ महाप्रभु के पहंडी के दौरान प्रभु को रथ पर चढ़ाते समय हुआ। जब सेवक भगवान को रथ पर चढ़ा रहे थे तो सीढ़ी से फिसलने के कारण 6 सेवक घायल हो गए। इन सेवकों को प्राथमिक उपचार के लिए तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। फिलहाल सभी सेवकों की हालत ठीक है।

रथयात्रा में शामिल 10 लाख भक्त 

गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा को देखने के लिए पूरी में लाखों की संख्या में भक्तों का आगमन हुआ है। अभी तक की जानकारी तक रथयात्रा में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु जगन्नाथ धाम की रथयात्रा में शामिल हो चुके हैं। भक्तों को गर्मी से राहत के लिए उनपर पानी के फव्वारे से छिड़काव किया जा रहा है। जिससे गर्मी की वजह फिर कोई हादसा न हो। पुरी जगन्नाथ धाम में सुरक्षा के भी अच्छे इंतजाम किए गए हैं।

क्यों निकाली जाती है रथयात्रा

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े थे। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे। तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है। बता दें कि भगवान जगन्नाथ के रथ को गरुड़ध्वज कहा जाता है। इनका रथ लाल और पीले रंग का होता है रथ को नीम की लकड़ी से बनाया जाता है, क्योंकि यह औषधीय लकड़ी होने के साथ पवित्र भी माना जाता है।

 

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