बनारस में बंदरों का आतंक, छतों पर धूप सेंकना भी हुआ मुश्किल
बनारम में बंदरों का उत्पात दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. शहर के करीब हर इलाकों में बंदरों के आंतक के किस्से आम हैं. इनके आतंक ने लोगों को जीना मुहाल कर दिया है. कई बार आपस के झगड़े में एक दूसरे को चोटिल करने के अलावा यह बच्चों, महिलाएओं समेत बुजर्गों को भी अपने निशाने पर ले ले रहे हैं. कब किसको काट खाएं, किसको नाखून लगा दें, कुछ नहीं कहा जा सकता. डेली दर्जनों लोगों को ये अपना शिकार बना रहे हैं. इन बदंर आतंकियों से शहर के दर्जनों एरिया और कॉलोनियों के लोग त्रस्त हैं.
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बंदरों का आतंक: बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों को हो रही अधिक परेशानी
बंदरों का आतंक यह है कि इनके डर से बच्चे अपने घरों में नजरबंद हो गए हैं. कबीर नगर, साकेत नगर कालोनी,चेतगंज, पियरी, चौक समेत अन्य इलाकों में इनके डर का यह आलम है कि सुबह को स्कूल जाने वाले बच्चे अपने घर से बाहर नहीं निकलते जब तक उनकी बस न आ जाए क्योंकि अक्सर ये इनपर हमला कर देने से नहीं चूकते. सड़क पर चलने वाले राहगीरों के समान के झोले से समेत खाने-पीने का सामान सरेराह छीन लेना इनकी आदत में शुमार हो चुका है. सामान बचाने वाले राहगीरों को ये दौड़ा भी लेते हैं.
सर्दी के मौसम होने के कारण धूप सेंकने के लिये छत पर जाने वाली महिलाओं व वृद्धों को यह फटकने नहीं दे रहे हैं. कुछ देर बैठने पर ही बंदरों की पलटन उनपर धावा बोल देती है. वहीं पतंग उड़ाने के लिये छत पर गये बच्चों को यह काट व नोच दे रहे हैं. इसके चलते खासकर जाड़े में धूप सेंककर विटामिन डी लेने वाले बुजुर्गों को काफी परेशानी हो रही है.
बंदर को भगाने में नाकामयाब नगर-निगम
वाराणसी में बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. वाराणसी नगर निगम को इस बारे में जानकारी भी दी गई लेकिन, प्रशासन बंदरों को लेकर बिल्कुल भी सजग नहीं दिख रहा है. चेतगंज निवासी विनोद दूबे की माने बंदरों के उत्पात की शिकायत कई बार लोगों ने नगर निगम को दे चुके हैं लेकिन उसने बंदरो को पकड़ने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
बंदरों को भगाने के लिये उठाये जा रहे अलग-अलग नुस्खे
बंदरों द्वारा उपद्रव से बचने के लिये स्थानीय निवासी एक से तरकीब अपना रहे हैं. लोगों ने अपने घरों पर लंगूर के कटआउट लगाकर बंदरों को बिना नुकसान पहुंचाए घर से दूर रखने और उनके आतंक से राहत पाने का प्रयास किया है. लोगों का कहना है कि लंगूरों के कटआउट लगाने के बाद बंदरों का आना कम हो गया है और उनके आतंक का डर भी कम हो रहा है. 200-400 रुपये में मिलने वाले यह कटआउट से यह फायदा है कि बंदर इसे देखते हैं और रास्ता बदल कर चले जाते हैं. वहीं दूसरी ओर यह भी कहा गया कि बंदर अब इन कटआउट के आदी हो चुके हैं. ये उनके फोटो तथा कटआउट फाड़ दे रहे हैं. वाराणसी के कई इलाकों में बंदरों के आतंक से लोगों ने अपने बालकनी में भारी भरकम खर्च से जालियां लगाई हैं, लेकिन लंगूर के एक कटआउट ने लोगों का खर्च भी कम किया और उनकी परेशानी भी कम हो रही है. जब नगर निगम ने बंदरों को पकड़ने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो बनारसियों ने ही इसका देसी इलाज ढूंढ निकाला. हालांकि लंबे समय तक कटआउट लगाए रखने के बाद बंदरों को इसकी असलियत का आभास हो जाता है.