मोहिंदर अमरनाथ: भारत के पहले विश्वकप के हीरो, दांत टूटा, सिर फूटा, जबड़ा भी हिला, लेकिन नहीं मानी हार

भारत में हमेशा से क्रिकेट को लेकर एक अलग लेवल की दीवानगी रही है। वहीं भारत में क्रिकेट के कई लीजेंड भी पैदा हुए हैं। इन्हीं लीजेंड में एक नाम शामिल है पूर्व ऑलराउंडर मोहिंदर अमरनाथ का।

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भारत में हमेशा से क्रिकेट को लेकर एक अलग लेवल की दीवानगी रही है। वहीं भारत में क्रिकेट के कई लीजेंड भी पैदा हुए हैं। इन्हीं लीजेंड में एक नाम शामिल है पूर्व ऑलराउंडर मोहिंदर अमरनाथ का। मोहिंदर अमरनाथ पूर्व भारतीय दिग्गज और भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में पहला शतक जड़ने वाले लाला अमरनाथ के बेटे हैं। मोहिंदर अमरनाथ भारत के 1983 के विश्वकप के हीरो हैं। उन्होंने भारत को पहला विश्वकप दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा फाइनल में किए गए शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन के दम पर ही भारत फाइनल में दो बार की विश्व विजेता वेस्टइंडीज को हराने में सफल हो पाया था और विश्वकप की ट्रॉफी को अपने नाम कर पाया था। उनके साथी खिलाड़ी उन्हें ‘जिम्मी’ कहकर बुलाते थे। मोहिंदर अमरनाथ ने विश्वकप के अलावा भी कई मौकों पर टीम के लिए उपयोगी पारियां खेली हैं। 24 सितम्बर 2021 को क्रिकेट का यह दिग्गज अपना 71वां जन्मदिन मना रहा है। जानते हैं उनके सफर के बारे में।

विरासत में मिला क्रिकेट:

Mohinder Amarnath

पंजाब के पटियाला में जन्में मोहिंदर अमरनाथ को क्रिकेट विरासत में मिला। वो दिग्गज पूर्व भारतीय बल्लेबाज लाला अमरनाथ के बेटे हैं। लाला अमरनाथ आजाद भारत के पहले कप्तान थे, वही वो भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में पहला शतक जड़ने वाले बल्लेबाज भी थे। पिता के क्रिकेट लीजेंड होने के चलते मोहिंदर अमरनाथ को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति लगाव था। यही कारण था कि क्रिकेट से लगाव को मोहिंदर ने प्रोफेशनल करियर में बदला और भारत के पहले वर्ल्डकप के हीरो बने। मोहिंदर अमरनाथ ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा साल 1969 में। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में एक ऑलराउंडर के रूप में अपने करियर की शुरूआत की। डेब्यू टेस्ट में मोहिंदर ने बल्ले से 16 रन बनाए, वहीं दो विकेट भी चटकाए। जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया तब सिर्फ टेस्ट क्रिकेट खेला जाता था, मगर 1975 से वनडे क्रिकेट की शुरुआत हुई। वनडे क्रिकेट का फॉर्मेट ऐसा था कि उसमें ऑलराउंडर की भूमिका बढ़ जाती है। यही वजह है कि मोहिंदर एकदिवसीय क्रिकेट में बिल्कुल फिट बैठते थे।

विदेशी धरती पर बजाया डंका:

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मोहिंदर अमरनाथ ने क्रिकेट में तब डेब्यू किया था, जब क्रिकेट बदलाव के दौर से गुजर रहा था। अपने पूरे करियर में मोहिंदर अमरनाथ कई बार उपयोगी पारियां खेलीं। उनको ओवरसीज क्रिकेट का बेहतरीन प्लेयर माना जाता था। उस समय विदेशी पिचों पर बल्लेबाजी करना काफी मुश्किल था, क्योंकि एक तो बिना हेलमेट के क्रिकेट खेला जाता था। वहीं विदेशी टीमों के पास एक से बढ़कर एक खतरनाक तेज गेंदबाज थे। ऐसे में अमरनाथ ने अपने टेस्ट करियर में 11 शतक लगाए हैं, जिसमें से 9 तो भारत के बाहर जड़े। घर के बाहर खेलते हुए अमरनाथ ने 11 टेस्ट मैचों में 69.52 की औसत से 1182 रन बनाए।

1983 विश्व कप के हीरो:

मोहिंदर अमरनाथ को दुनिया के सामने पहचान मिली 1983 विश्व कप से। इस विश्व कप में भारत को प्रतियोगिता का दावेदार नहीं माना जा रहा था। फाइनल में जब भारतीय टीम पहुंची तो उसे वेस्टइंडीज से कमतर आंका जा रहा था। माना जा रहा था कि दिग्गजों से भरी विंडीज टीम उसे आसानी से हरा देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारत ने उसे 43 रनों से हराकर खिताब अपने नाम किया। इस जीत के हीरो रहे मोहिंदर अमरनाथ। भारतीय टीम जब फाइनल में पहुंची तब उसके जीतने की उम्मीद कम थी, क्योंकि उसके सामने वेस्टइंडीज की टीम थी, जो 1975 और 1979 में लगातार दो वर्ल्ड कप जीत चुकी थी। उसके पास विवियन रिचर्ड्स, क्लाव लॉयड, मैल्कम मार्शल जैसे कई ऐसे खिलाड़ी थे, जो अकेले दम पर किसी भी टीम को हराने में सक्षम माने जाते थे। मगर इस मुश्किल लग रहे काम को आसान करके दिखाया मोहिंदर अमरनाथ ने। मोहिंदर ने फाइनल मुकाबले में ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए 26 रन बनाए और 3 विकेट भी अपने नाम किए। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें लेकर ‘मैन ऑफ द मैच’ का अवॉर्ड भी मिला। निश्चित ही विश्वकप जीतने का श्रेय कप्तान कपिल देव को दिया जाता है, मगर भारत को पहली बार विश्व विजेता बनाने में मोहिंदर अमरनाथ का प्रमुख योगदान है। यही कारण है कि उन्हें 1983 विश्वकप का हीरो माना जाता है।

छ: टाके लगने के बाद खेली यादगार पारी:

एक बेहतरीन खिलाड़ी होने के साथ मोहिंदर अमरनाथ को एक जुझारू खिलाड़ी भी माना जाता था। उनके जबड़े में छ: टांके लगे होने के बाद भी मैदान पर उतरने की साहसिक कहानी आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। जब विश्व कप से ठीक पहले 1983 में टीम इंडिया वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी, तब मोहिंदर अमरनाथ की टीम में वापसी हुई थी। वेस्टइंडीज की टीम में एक से बढ़कर एक खतरनाक गेंदबाज थे। मोहिंदर ने दूसरे टेस्ट में इन गेंदबाजों को झेला दिया और पहली इनिंग्स में 58 रन और दूसरी में सेंचुरी जड़ मैन आफ द मैच बने। चौथे टेस्ट की पहली पारी में भी मोहिंदर अमरनाथ ने 91 रन बनाए। दूसरी पारी में मोहिंदर गावस्कर के आउट होने के बाद बल्लेबाजी करने उतरे। वेस्टइंडीज की पेस तिकड़ी आग उगल ही रही थी। बाउंसर अमरनाथ की कमजोरी थी। माइकल होल्डिंग ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की और एक गेंद को पूरी ताकत के साथ पटका। गेंद आकर सीधे अमरनाथ की ठुड्डी पर लगी और वह जमीन पर गिर पड़े। उन्हें तुरंत मैदान से बाहर ले जाना पड़ा। अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके चेहरे पर छह टांके लगे। एक बार को तो सभी भारतीय प्रशंसक डर गए।

हालांकि आधे घंटे के भीतर ही उन्हें वापस ड्रेसिंग रूम में बैठाया गया। मैच चल रहा था, थोड़ी ही देर में बलविंदर संधू आउट होकर पवेलियन की ओर लौटने लगे, इधर ड्रेसिंग रूम में अमरनाथ खड़े हुए और बैटिंग करने के लिए तैयार होने लगे और कुछ मिनट में पिच पर पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने छह टांके लगने के बाद वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के पसीने छुड़ा दिए। मोहिंदर ने 18 रन से आगे खेलना शुरू किया और उनकी पारी 80 रन पर जाकर खत्म हुई। उनकी इस पारी को आज भी कैरेबियाई गेंदबाजों के सामने एक मिसाल समझा जाता है।

दांत टूटा, सिर फूटा, जबड़ा भी हिला:

मोहिंदर अमरनाथ के शरीर को कई धुरंधर तेज गेंदबाजों ने निशाना बनाया और चोट भी पहुंचाई, फिर भी भारतीय बल्लेबाज ने कभी हार नहीं मानी। न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज रिचर्ड हैडली ने एक मैच में बाउंसर पर उनका सिर फोड़ दिया था, वहीं पूर्व पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान की गेंद पर लगी चोट से वह बेहोश हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज जैफ थॉमसन ने उनका जबड़ा हिला दिया था, जबकि विंडीज पेसर मैल्कम मार्शल की गेंद ने उनके दांत ही तोड़ दिए। इन सबके बावजूद वह कभी हार नहीं मानते थे।

ऐसा रहा इंटरनेशनल करियर:

भारत के लिए 19 साल तक क्रिकेट खेलने वाले मोहिंदर अमरनाथ ने कुल 69 टेस्ट मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने 42.50 की औसत से 4378 रन बनाए, इसमें 11 शतक और 24 अर्धशतक भी शामिल है। वहीं वनडे की बात करें तो इस खिलाड़ी ने 85 मैच खेलकर 30.53 की एवरेज से 1924 रन अपने नाम किए। इसमें दो सेंचुरी और 13 अर्धशतक शामिल हैं।

हैंडलिंग द बॉल के लिए हैं जाने जाते:

मोहिंदर अमरनाथ एक बेहतरीन क्रिकेटर तो हैं। साथ ही उनसे जुड़े कुछ विवाद भी हैं। वनडे क्रिकेट में ‘फील्डिंग में बाधा’ डालने पर आउट होने वाले अमरनाथ दूसरे खिलाड़ी थे। दरअसल, एक मैच में अमरनाथ ने रन आउट होने से बचने के लिए अपने पैर से गेंद को दूर धकेल दिया था। यही नहीं मोहिंदर एक बार ‘हैंडलिंग द बॉल’ के चलते भी आउट दिए गए। ये मैच 1985 में खेला गया था, जब ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज ग्रेग मैथ्यूज की गेंद पर मोहिंदर ने डिफेंसिव शॉट खेला मगर गेंद बल्ले का अंदरुनी किनारा लेते हुए स्टंप में जाने लगी, तब अमरनाथ ने अपने हाथों से गेंद को रोक दिया था, जिसके बाद वह आउट करार दिए गए।

 

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