काशी छोड़कर वापस गुजरात जाएंगे पीएम मोदी !

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अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सीधे हमले में विश्वास रखती है। अगर नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) यूपी के किसी भी सीट से चुनाव लड़ते हैं तो वह उन्हें सीधा टक्कर देने के लिए केजरीवाल उसी सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। नरेंद्र मोदी कतई नहीं चाहेंगे कि उनका हश्र शीला दीक्षित की तरह हो जाए। इस कारण नरेंद्र मोदी भी अपनी रणनीति बहुत ही सोच समझकर बना रहे हैं। उन्हें अंदाजा है कि केजरीवाल खतरा हो सकते हैं। आप पार्टी मुद्दों को भुनाने में माहिर है इसका एक अच्छा उदाहरण दिल्ली विधानसभा चुनाव है। इसी कारण से वह बनारस को एक सुरक्षित सीट की तरह नहीं देख रहे हैं।

मुरली मनोहर जोशी सीट छोड़ने को तैयार नहीं

नरेंद्र मोदी के लिए केजरीवाल ही एक खतरा नहीं हैं। उन्हें अपनी पार्टी से भी खतरा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बनारस से वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी यह सीट नहीं छोड़ना चाहते हैं।अगर दबाव की रणनीति बनाकर मुरली मनोहर जोशी को टिकट नहीं भी दिया गया तो नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) को भीतरघात का खतरा बना रहेगा। चुनाव के दौरान जोशी खेमा कहीं उनके खिलाफ ना चला जाए। इस आशंका से भी मोदी इस सीट पर दांव नहीं खेलना चाहते हैं।

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गुजरात ही है सबसे सुरक्षित जगह

80 सीटों वाले यूपी में लहर बनाने के लिए नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) दांव तो खेलना चाहते हैं लेकिन कहीं यह दांव उल्टा ना पड़ जाए। बीजेपी सूत्रों के अनुसार इसी कारण से वह दो जगहों से चुनाव लड़ने की योजना पर भी विचार कर रहे हैं। लेकिन इस सूरत में भी वोटरों के पास कुछ और मैसेज चला जाएगा। जिसके बाद वह इस विचार को भी नहीं अपनाना चाहते। गुजरात उनके लिए सबसे सुरक्षित जगह है। यहां उनका राज चलता है। इसलिए बनारस से चुनाव लड़ने के बजाय वह गुजरात के ही किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।

मटियामेट ना हो जाए मोदी की हवा

2009 में बनारस से बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी को बनारस में जीत मिली थी, उससे पहले 2004 में यह सीट कांग्रेस के पास थी। 2012 में बनारस के अंदर आने वाले 5 विधानसभा क्षेत्रों में केवल 2 बीजेपी के पास गई ‌थी। यह सब आंकड़े बीजेपी को उत्साहित करने वाले नहीं हैं। मोदी अगर वहां से हार गए तो उस हवा का क्या होगा जिसके बारे में बीजेपी कार्यकर्ता दंभ भरते हैं। मोदी(Narendra Modi) अपनी इसी हवा को बचाने के लिए इस पवित्र भूमि को प्रणाम (हसरत) तो करेंगे लेकिन यहां का पुजारी (उम्मीदवार) होने से वह बचेंगे।

अमर उजाला

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