…मुझे गंगा मां ने बुलाया है!

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उत्तर प्रदेश की बनारस लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब नामांकन भरने गए थे तो उन्होंने कहा था कि ‘न तो मैं आया हूं और न ही मुझे भेजा गया है। मुझे तो मां गंगा ने यहां बुलाया है।’ दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री बने, तभी से काशी की जनता को उम्मीद जग गई कि अब उनके अच्छे दिन आ जाएंगे। लेकिन उनके कार्यकाल के दो साल बीत जाने के बावजूद यहां रहने वाले लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है।  

मोदी सरकार के दो साल

मोदी सरकार के आज दो साल पूरा हो गए हैं। वैसे तो पीएम मोदी अब तक काशी को बदलने का दावा करते आए हैं। हालांकि उन्होंने काशी के लिए कई सारी योजनाएं भी बनाई। जैसे  ‘काशी को क्योटो बनाने की योजना हो या स्मार्ट सिटी, या फिर गंगा के लिए ‘नमामि गंगे’ योजना हो या स्वच्छ्ता अभियान।’ मोदी सरकार ने दावा तो बहुत किया, लेकिन जब जर्नलिस्ट कैफे की टीम ने काशी में उनके दावों के हकीकत की पड़ताल की तो कुछ और ही निकला।

स्वच्छता अभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दो अक्टूबर को वाराणसी के अस्सी घाट से स्वच्छता मिशन की शुरुआत ‘स्वच्छ भारत’ का सपना संजोने के लिए की थी और आज मोदी के स्वच्छता अभियान को पूरे दो साल हो चुके हैं। वाराणसी के अस्सी घाट पर नरेंद्र मोदी ने खुद फावड़ा चलाकर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी, जिसके बाद अस्सी घाट की सीढ़ियों का दीदार काशी वासियों को कई दशक बाद हुआ था। अस्सी घाट पर जमा मिट्टी को हटाने में करीब तीन महीने से ऊपर लगे थे।

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साथ ही अस्सी घाट स्थित बाबा जगन्नाथ मंदिर की गली में भी मोदी ने खुद झाड़ू लगाकर सफाई की थी। लेकिन आज अगर घाट की सीढ़ियों को छोड़ दें तो तस्वीरें बिल्कुल वही हैं, जो दो साल पहले थी। वैसे वहां के स्थानिय लोगों का मानना है कि मोदी ने झाड़ू उठाकर स्वच्छता का जो संदेश दिया था उसे पूरा करना आमजन की जिम्मेदारी है।

क्योटो का सपना

वैसे तो क्योटो का डीपीआर बनकर तैयार है। लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ ऐसा दिखाई नहीं दे रहा। क्योंकि काशी को क्योटो बनाने जैसा कोई विकास कार्य नहीं चल रहा है। फिर भी लोगों को पीएम मोदी से अभी भी उम्मीद जगी है। लोगों का कहना है कि थोड़ा समय लगेगा, और क्योटो की तर्ज पर काशी का विकास होगा। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि काशी को काशी ही रहने दिया जाए, क्योटो बनने की जरुरत नहीं है। दरअसल बनारस और क्योटो दोनों मंदिरों व गलियों का शहर है। हां, इंफ्रास्ट्रक्चर भी थोड़ा मिलता जुलता है। महापौर रामगोपाल मोहले का दावा है कि जब जापान सरकार और भारत सरकार के बिच करार हो चुका है तो काशी का क्योटो के तर्ज पर विकास जरूर होगा।

स्मार्ट सिटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी को स्मार्ट बनाने के लिए अपने सांसद निधि से रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के सुविधा के लिए बेंच लगवाए। रेलवे ने यात्रियों के लिए कई मूलभूत काम किए हैं। मोदी भी काशी को फ्लाई ओवर, मेट्रो और सडकों की सौगात देना चाहते हैं। मेट्रो योजना में अभी समय लगेगा, क्योंकि शहर की रॉड हर जगह से खुदे पड़े हैं। कहीं काम दिख रहा है तो कहीं रॉड खुदे पड़े मिलेंगे। सडकों पर आज भी धूल उड़ रहे हैं और लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। अभी तक ऐसा कोई काम नहीं हुआ है, जिससे कहा जा सके कि काशी शहर स्मार्ट सिटी बनने के तरफ अग्रसर है।

आदर्श ग्राम की हकीकत

2014 लोकसभा चुनाव से पहले जयापुर गांव को कोई नहीं जनता था। ये गांव तब चर्चा में आया जब मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद सांसद ग्राम योजना के तहत जयापुर को उन्होंने इस गांव को गोद लिया। उसके बाद गांव में विकास का पहिया ऐसा घुमा की ग्रामीणों का कायाकल्प हो गया। जिस गांव में पोस्ट ऑफिस तक नहीं था वहां अब पोस्ट ऑफिस के साथ-साथ दो-दो बैंक भी खुल चुके हैं। मोदी ने जयापुर को आदर्श गांव बनाने का पूरा प्रयास किया। गांव में कई कंपनियों ने डेरा डालकर विकास करने करने का बीड़ा उठाया।

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जयापुर में सोलर लाइट्स लगाए गए, घर-घर एलईडी बल्ब बांटे गए, स्कूलों पंचायत भवन और मुख्य जगहों पर शौचालय बनाने के साथ-साथ ग्रामीणों के लिए आवास बनाए गए, जिसमे शौचालय और बागवानी बनाया गया है। गुजरात की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्र बनाया गया है, जिसमे ईंट का प्रयोग नहीं हुआ है। ऐसा बताया जाता है कि ये गर्मी के मौसम में ठंडा और सर्दी के दिनों में गर्म रहता है। गांव में ही महिलाओं के स्वरोजगार के लिए कड़ी ग्रामोद्योग के तरफ से सिलाई-कढ़ाई केंद्र खुला है, जिसमे अत्याधुनिक मशीने राखी गई हैं, जहां महिलाओं को ट्रेनिंग के साथ-साथ रोजगार के अवसर बनेंगे।

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