पीएम मोदी के लिए ‘परीक्षा’ का दिन आज

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नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) के नेतृत्व में चार साल से चल रही एनडीए सरकार को पहली बार झटका लगता दिखाई दे रही है। सहयोगी दलों की भारतीय जनता पार्टी से नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। और ये गुस्सा अब सदन में अविश्वास प्रस्ताव के रूप में भी फूट रहा है। आज तेलुगु देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल सदन में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।

संसद में मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं

ये लड़ाई आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न देने से शुरू हुई। जब ये मांग पूरी न होने पर चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के कोटे से केंद्र में दोनों मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से वो लगातार संसद में मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं। अब जब टीडीपी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की तो उसे विरोधी वाईएसआर कांग्रेस समेत कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट का भी समर्थन मिल गया। इस वक्त लोकसभा में कुल 539 सदस्य हैं।

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इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 270 होता है। बीजेपी के अपने सदस्य 274 हैं। यानी वो अपने दम पर बहुमत पाने की हैसियत में है। लेकिन बीजेपी के 274 के आंकड़े में तीन पेंच भी हैं। शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और श्यामाचरण गुप्ता बीजेपी के तीन ऐसे सांसद हैं, जो करीब-करीब हर मोर्चे पर पार्टी के खिलाफ खड़े नजर आते हैं।

अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था

ऐसे में अगर ये तीनों वोटिंग में शामिल नहीं होते और इनके अलावा एक और वोट इधर उधर हुआ तो फिर बीजेपी को सहयोगी दलों का मुंह देखना पड़ सकता है। टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था। मौजूदा स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल होना चाहिए।

हालांकि, टीडीपी के प्रस्ताव को कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, एसपी, आरजेडी के अलावा लेफ्ट पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। लेकिन सरकार को भरोसा है कि ये प्रस्ताव आसानी से गिर जाएगा।

aajtak

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