जब शो बंद हुआ तो टूट गया था ‘मित्तल’
टीवी शो ‘पहरेदार पिया की’ के निर्माता सुमित मित्तल का कहना है कि जब इस शो का प्रसारण बंद करने का फैसला हुआ तो वह टूट गए थे। शो में एक नौ साल के लड़के की शादी 18 साल की लड़की से होते दिखाया गया था। यह शुरू से ही विवादों में रहा।
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नये शो पर ध्यान क्रेदित कर रहे है
मित्तल ने कहा कि अब वह अपने नए शो ‘ये उन दिनों की बात है’ पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कम्प्लेंट्स काउंसिल’ (बीसीसीसी) को काफी शिकायतें मिलने के बाद सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन ने पिछले महीने ‘पहरेदार पिया की’ का प्रसारण बंद कर दिया। माना जा रहा है कि फैसला सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दबाव में लिया गया था।
सुमित अब 1990 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित ‘ये उन दिनों की बात है’ पर नई ऊर्जा के साथ ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह किशोरावस्था की प्रेम कहानी के बारे में हैं। यह मंगलवार से प्रसारित होने जा रहा है।
मैंने सफर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं
सुमित से जब पूछा गया कि उन्हें किस चीज ने एक और जोखिम लेने के लिए प्रेरित किया और विवादों से उन्होंने क्या सीखा तो उन्होंने बताया, “हम लोग रचनात्मक लोग हैं। शशि और मैंने हमारे रचनात्मक सफर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। हां, मैं उस समय टूट गया था।
जब अधिकारियों (बीसीसीसी) को विस्तार से समझाने के बाद भी हमें अपना शो बंद करना पड़ा, लेकिन आपने देखा कि साथ ही हम ‘ये उन दिनों की बात है’ का निर्माण भी कर रहे थे।
हम तेजी से आगे बढ़ने में कामयाब हुए..
उन्होंने कहा, “तो, हम तेजी से आगे बढ़ने में कामयाब हुए। यह शो हमें हमारी निजी प्रेम कहानी को एक बार फिर से जीवंत करने की अनुमति देता है।उन्होंने कहा कि शो की कहानी की प्रेरण खुद उनकी और पत्नी शशि की प्रेम कहानी है। शशि उनकी प्रोडक्शन पार्टनर भी हैं।
सुमित ने कहा कि 1990 के दशक को फिर से जीवंत करना खास अनुभव था।
उन्होंने कहा कि छोटे शहरों के अधिकांश टेलीविजन दर्शक अभी भी पारिवारिक मनोरंजन देखना पसंद करते हैं। 1990 के दशक का समय सुनहरा दौर था, जब हमने मध्यम वर्ग के परिवारों का परिचय आधुनिक लोकप्रिय संस्कृति से कराना शुरू किया।
युवाओं ने अपनी जिंदगी जीने के लिए अपने माता-पिता को भरोसे में लेना शुरू किया।शो में दो नई प्रतिभाओं आशी सिंह और रणदीप राय को मुख्य कलाकार को रूप में लिया गया है, जिन्हें अपने किरदारों को अच्छे से समझने के लिए दो महीने की वर्कशॉप से जुड़ना पड़ा।
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