समय से पहले रवाना हुए प्रवासी पक्षी; क्लाइमेट चेंज का असर होगा और प्रभावी

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आपने शायद गौर किया होगा कि इस बार गर्मी की शुरुआत बहुत जल्दी हो गई। फरवरी के महीने में इतनी गर्मी से सिर्फ आप ही नहीं परेशान है बल्कि प्रकृति के आम जन-मानस भी परेशान है। इन आम जन-मानस में वो भी है जो मीलों दूर से भारत में ठंड का मजा का लेने आ जाती है और गर्मी की शुरुआत में यहां से वापस अपने घर के लिए रवाना हो जाती है।

आपको थोड़ी चिंता करने की जरूरत है क्योंकि ये इंसान नहीं हैं बल्कि ये प्रवासी पक्षी हैं जो पर्यटकों के रूप में आते हैं। ये पर्यटक अब कठिन समय का सामना कर रहे हैं जिसके कारण अब वो वापस जा रहे हैं। समझने की ज़रूरत ये है कि आखिर अब ये वापस क्यों जा रहे है।

चिल्का लेक और भितरकनिका नेशनल पार्क के आसपास के ये प्रवासी मेहमान इस कुछ हफ्ते पहले ही वापस जा रहे है। ऐसा इस लिए हो रहा है क्योंकि इस बार गर्मी का मौसम कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गुआ है। बाहर के टेंपरेचर अब नार्मल दर से कुछ ज्यादा बढ़ चुके है।

भुवनेश्वर जोकि चिल्का से 33 किलोमीटर की दूरी पर है वहां पे 25 फरवरी को 40 डिग्री टेम्परेचर रिकॉर्ड किया गया था। औसतन फरवरी में यहां का टेम्परेचर 33 डिग्री से 35 डिग्री के बीच में रहता है, लेकिन इस बार 3-4 डिग्री टेंपरेचर फिर से बढ़ गया है।

आकंड़ें बताते है कि इससे पहले सिर्फ 1963 में सबसे ज्यादा टेंपरेचर रिकॉर्ड किया था, और उसके बाद 2021 किया गया। अनुमानित अब ऐसे आकड़ें हर साल बनेंगे क्योंकि क्लाइमेट चेंज के असर अब और ज्यादा प्रभावी होंगे।

ये प्रवासी मेहमान नवंबर में आते है और अप्रैल की शुरुआत या कभी-कदार मध्य अप्रैल में वापस चले जाते है जब टेंपरेचर 38 डिग्री जे लगभग रहता है।

इस सर्दी में, 190 प्रजातियों से संबंधित 1,242,826 प्रवासी पक्षी चिलिका लेक, एशिया के सबसे बड़े खारे पानी के लैगून के आसपास के जल निकायों में पहुंचे और 121 प्रजातियों से संबंधित 136,092 पक्षी भारत के दूसरे सबसे बड़े बाघों के जंगल भितरकनिका पहुंचे।

उन्होंने साइबेरिया, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, हिमालयी क्षेत्र और मध्य यूरोप के स्थानों से उड़ान भरी। झील में पानी के घटते जल स्तर और बढ़ते टेम्परेचर की वजह भी एक कारण रहा जिसकी वजह से इस बार ये जल्दी लौट गए।

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