मणिपुर हिंसा में गृह मंत्रालय का बड़ा एक्शन, NIA को सौंपी जांच…

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Manipur: मणिपुर हिंसा मामले में गृह मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है. गृह मंत्रालय ने हिंसा की जांच NIA को सौंप दी है. जानकारी मिल रही है की NIA ने मणिपुर हिंसा से जुड़े तीन मामलों की जांच अपने हाथों में ले ली है. कहा जा रहा है कि इन हिंसा के कारण कई लोगों की जान गई थी और सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हुआ था.

गृह मंत्रालय ने जारी किया बयान…

बता दें कि आज गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा है कि गृह मंत्रालय मणिपुर में शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठा रही है. राज्य में किसी भी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मंत्रालय ने बताया कि हाल ही में हुई हिंसा को देखते हुए तीन केस NIA को सौंप दिए गए हैं. यह तीनों मामले CRPF और कुकी आतंकी मुठभेड़ मामला, 6 लोगों की किडनैपिंग का मामला और जिरीबाम में 6 लोगों की अपहरण के बाद हत्या का मामला शामिल है.

फिर मणिपुर में भड़की हिंसा…

बता दें कि कुछ दिन शांत रहने के बाद एक बार फिर शनिवार की रात इम्फाल में हिंसा भड़क गई. जिरिबान जिले में उग्रवादियों की और से तीन बच्चों और तीन महिलाओं की हत्या किए जाने के बाद से लोग आक्रोशित हैं. गुस्साए लोगों ने राज्य के तीन मंत्रियों और 6 विधायकों के घर में हमला बोला था जिसके बाद उन्होंने सभी के घरों को आग के हवाले कर दिया था. इसके बाद इम्फाल में इंटरनेट बंद करने के साथ-साथ कर्फ्यू लगा दिया गया था.

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NPP ने भाजपा से लिया समर्थन वापस…

बता दें कि इस बीच NPP (नेशनल पीपुल्स पार्टी )ने राज्य में भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया है. पार्टी ने दवा किया है कि एन बिरेन सरकार राज्य में पैदा हुए संकट का समाधान करने में नाकाम रही है. बता दें कि इस समय NPP के 7 विधायक विधानसभा में हैं लेकिन इनके ज्वारा इस्तीफ़ा देने के बाद सरकार में कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा खुद 32 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत में है. इसके साथ ही JDU के 6 और NPF के पांच विधायकों का समर्थन है.

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मणिपुर में है जातीय हिंसा की आग…

गौरतलब है कि, मणिपुर पिछले डेढ़ साल से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है. यह हिंसा मैतई और कुकी समाज के बीच की है. दोनों जातियों के बीच यह विवाद भूमि अधिकार और आरक्षण के मुद्दों को लेकर शुरू हुआ था और हिंसक रूप ले लिया, जिसके बाद यह दो जातीय क्षेत्रों में बट गया. इन हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं जबकि कई हजार लोग विस्थापित हुए हैं.

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