10 दिनों के गुप्त नवरात्र में होगी महाविद्याओं की उपासना

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वाराणसी : जुलाई महीने में देवों के देव महादेव की नगरी काशी में गुप्त नवरात्र की शुरूआत होने वाली है. इसमें दस महाविद्याओं की उपासना की जाएगी. 13 दिनों के पक्ष के समाप्त होने के बाद शुरू हो रही गुप्त नवरात्र में श्रद्धालु शक्ति की उपासना से साधक समस्त विध्‍नों के नाश की कामना करेंगे. वाराणसी में भगवान जगन्नाथ के स्वस्थ होने और काशी की गलियों में भ्रमण के साथ ही गुप्त नवरात्र का श्रीगणेश हो रहा है.

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नवरात्र में शक्ति की उपासना की जाती है. इस दौरान माता के भक्त व्रत भी रखते हैं और माता की पूजा आराधना भी करते हैं. आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान है. काशी के पंचांग के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ की गुप्त नवरात्र छह जुलाई से 15 जुलाई तक रहेगी. चतुर्थी तिथि में बढ़ोतरी के साथ ही नवरात्र नौ के बजाय 10 दिनों की होगी.

इन देवियों की होगी पूजा

गुप्त नवरात्र के दौरान 10 महाविद्याओं मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा-आराधना की जाती है. माना जाता है कि गुप्त नवरात्र में इन देवियों की पूजा करने से ब्रह्मांड की रहस्यमयी शक्तियां प्रकट होती हैं. पंचांग के अनुसार घटस्थापना का शुभ मुहूर्त छह जुलाई को सुबह 5:12 बजे से शुरू होकर 7:25 बजे तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त पर भी कलश स्थापना की जा सकती है. यह सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापित करना बेहद शुभ माना जाता है.

दस महाविद्याओं का मंत्र और महत्व

पहली महाविद्या : गुप्त नवरात्र के पहले दिन मां काली की साधना होती है. इन्हें 10 महाविद्याओं में प्रथम मां काली की साधना करने से साधक को विरोधियों और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है.
दूसरी महाविद्या : दूसरे दिन माता तारा की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने महाविद्या तारा की उपासना की थी. महाविद्या माता तारा को तांत्रिकों की देवी माना गया है. देवी की आराधना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति होती है.
तीसरी महाविद्या : तीसरे दिन माता त्रिपुरा सुंदरी की साधना होती है. इन्हें ललिता या राज राजेश्वरी भी कहा जाता है.
चौथी महाविद्या : चौथी महाविद्या माता भुवनेश्वरी की साधना होती है. संतान सुख की इच्छा वाले दंपती के लिए माता भुवनेश्वरी की साधना फलदायी होती है.
पांचवीं महाविद्या : पांचवीं महाविद्या माता छिन्नमस्ता की साधना होती है। इनकी साधना अगर शांत मन से की जाए तो माता शांत स्वरूप में होती है और उग्र रूप से की गई साधना से माता के उग्र रूप के दर्शन होते हैं.
छठी महाविद्या : छठी महाविद्या माता त्रिपुरा भैरवी हैं. इनकी साधना से जीवन के सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है
सातवीं महाविद्या : सातवीं महाविद्या के रूप में गुप्त नवरात्रि में मां धूमावती की साधना की जाती है. इनकी साधना से सभी संकट दूर हो साधना करने वाला महाप्रतापी और सिद्ध पुरुष कहलाता है.
आठवीं महाविद्या : आठवीं महाविद्या को बगलामुखी कहा गया है. इनकी साधना से भय से मुक्ति मिलती है. वाक सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
नौवीं महाविद्या : मातंगी नौवीं महाविद्या हैं. इनकी साधना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है.
दसवीं महाविद्या : माता कमला को दसवीं महाविद्या कहा गया है. इनकी साधना से धन, नारी और पुत्र की प्राप्ति होती है.

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