बांध बनाने के लिए किसान ने बेच दी अपनी जमीन
महाराष्ट्र स्थित अकोला जिले के एक गांव में रहने वाले किसान संजय तिड़के ने अपनी जमीन बेचकर बांध का निर्माण करवा रहे हैं। किसान की तरफ से सरकार से कई बार सहायता मांगी गई, लेकिन मदद नहीं मिली। जिसके बाद संजय ने खुद बांध बनवाने का मन बनाया। तिड़के के इस जज्बे को सलाम करते हुए लोग उन्हें आधुनिक भगीरथ कहने लगे हैं।
सरकार ने नहीं की मदद
संजय तिड़के ने पहले तो काफी समय तक सरकारी मदद के लिए गुहार लगाई। उन्होंने अलग-अलग दफ्तरों में जाकर अर्जियां दी, लेकिन सरकार के तरफ से उनकी कोई सहायता नहीं की गई। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर वे थक गए थे। जिसके बाद संजय ने खुद बांध बनवाने का मन बनाया।
बेच दी जमीन
संजय ने एक ऐसा फैसला लिया जो किसी भी किसान के लिए बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने अपनी 10 एकड़ जमीन 55 लाख रुपये में बेच दी और उसमें से 20 लाख रुपये बांध पर खर्च करने का फैसला किया। बाकी रकम से उन्होंने पांच एकड़ जमीन खरीद ली। उसके बाद उनके पहल का स्वागत करते हुए गांव के काफी लोग उनसे जुड़ने लगे।
टांग अड़ाने की कोशिश
संजय ने बताया कि जब उन्होंने बांध बनाना शुरू किया तो सरकारी अधिकारियों ने आपत्ति जताई। प्रशासन ने संजय के खिलाफ मिट्टी का इस्तेमाल करने को गैरकानूनी बताते हुए शिकायत भी की। प्रशासन ने किसान को कानून के नाम पर परेशान करने की बहुत कोशिश की। जिसकी वजह से बांध का निर्माण चार-पांच दिन के लिए थम गया था, किसान को दो लाख रुपए का नुकसान भी हुआ। संजय ने उन अधिकारियों के प्रति अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि जिन्होंने शुरुआत में टांग अड़ाने की कोशिश की, अब वही उनके इस कदम की तारीफ कर रहे हैं।
बर्बाद हो जाता था फसल
42 वर्षीय तिड़के अपने भाई संग मिलकर 25 से 30 एकड़ जमीन पर तमाम तरह की फसल उगाया करते थे। लेकिन हर वर्ष इनकी बहुत सी फसल बर्बाद हो जाती थी, क्योकि एक नहर इनके खेत से हो के जाती थी। चूंकि पानी रोकने के लिए नहर पर कोई बांध नहीं बना था, इसलिए हर मॉनसून में किसान के खेत का बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाता था। वे मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोकने की कोशिश करता था, लेकिन बारिश होते ही मिट्टी का बांध बह जाता था। बांध न होने की वजह से इनके साथ-साथ बाकी गांव वालों व किसानों को भी काफी नुकसान हुआ करता था।
खेतों में छाएगी हरियाली
सरकारी बाधाओं के सामने हार नहीं मानने वाले किसान तिड़के अपने कर्मों से बाकी किसानों के लिए मिसाल बन कर उभरें हैं। अब इस बांध में इक्ट्ठा होने वाले पानी से आसपास के खेतों में हरियाली छाएगी, पशुओं को पीने का पानी मिलने लगेगा और भूगर्भ जलस्तर भी बढ़ेगा। बांध का लगभग 95 प्रतिशत काम पूरा हो गया है।
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