महाकुंभ 2025: संगमनगरी में आज से शाही पेशवाई, काशी से पहुंचे साधु-संत हुए शामिल

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महाकुंभ 2025: संगमनगरी प्रयागराज में अखाड़ों की धर्मध्वजा लहराने के साथ पेशवाई की तैयारी हो चुकी है. शाही अंदाज में अखाड़ों की पेशवाई की शुरूआत आज यानी 14 दिसंबर को जूना अखाड़े से हुई. इसमें शामिल होने के लिए काशी से 13 अखाड़ों के साधु-संत भी पहुंचे हैं. 22 दिसंबर को कई अखाड़ों के धर्म ध्वज लहराए जाएंगे. महाकुंभ की पहली पेशवाई शनिवार को जूना अखाड़े की है. इसमें किन्नर अखाड़ा भी शामिल होगा. जूना अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्रा ने बताया कि काशी से साधु-संत पहुंच गए हैं. इष्टदेव दत्तात्रेय की प्रतिमा और निशान भाला गया है.

इष्टदेव और निशान की अगुवाई में ही पेशवाई निकाली जाएगी. प्रयागराज के जमुना ब्रिज स्थित अखाड़े से पेशवाई शाही अंदाज में निकलेगी. इसमें पंच परमेश्वर के अलावा गाजेबाजे के साथ हाथी, घोड़े भी होंगे. आह्वान अखाड़े की पेशवाई 22 दिसंबर को निकाली जाएगी. काशी के अखाड़ों से भी साधु-संत पहुंचने लगे हैं. 10 जनवरी के पहले सभी अखाड़ों की पेशवाई हो जाएगी. इसके बाद शाही स्नान शुरू हो जाएगा.

कब किस अखाड़े की है पेशवाई

महाकुंभ मेला में शैव, वैष्णव, वैरागी, उदासीन एवं सिख परंपरा के कुल 13 अखाड़े हैं. सभी धर्मध्वजा फहराने से लेकर नगर प्रवेश, पेशवाई और शाही स्नान करते हैं. इसमें शैव पंथ के संन्यासियों के सात अखाड़ों की पेशवाई ही प्रमुख होती है. दिसंबर माह में जूना अखाड़े की पेशवाई 14, श्रीशंभू पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा की 22, पंच अग्नि अखाड़े की 26 को निकाली जाएगी। जबकि जनवरी में अटल अखाड़े की एक, महानिर्वाणी अखाड़े की दो, निरंजनी अखाड़े की चार और आनंद अखाड़े की छह को पेशवाई निकाली जाएगी.

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ये है शाही पेशवाई

कुंभ में अखाड़ों की पेशवाई बहुत खास होती है. पेशवाई यानी राजसी शानो- शौकत के साथ साधु-संतों के कुंभ में प्रवेश करना होता है. श्रीशंभू पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा के श्रीमहंत बटेश्वर भारती महाराज ने बताया कि अपनी सेना और परंपराओं के साथ नगर में निकलते हैं. साधु-संत शाही रूप में राजा महाराजों की तरह हाथी, घोड़े और रथों से निकाली जाती है और श्रद्धालु उनका मार्ग में स्वागत व सम्मान करते हैं.

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