हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मदरसा बोर्ड

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को दिया था असंवैधानिक करार

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उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक करार दिये जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के खिलाफ अब उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक करार दिया था. पीठ ने 86 पेज के आदेश में कहा था, “विभिन्न धर्मों के बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. धर्म के आधार पर उन्हें अलग-अलग प्रकार की शिक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकती. अगर ऐसा किया जाता है तो यह धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा.

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यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को हाईकोर्ट में असंवैधानिक करार दिए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया है कि हाइकोर्ट के पास यह अधिकार नही है कि वह इस एक्ट को रद्द कर दे.

योगी सरकार से भी सिफारिश करेगा बोर्ड

इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी की ओर से हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. जल्द ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत दूसरे पक्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकते हैं. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई है. हाईकोर्ट ने इस अधनियम को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के प्रति उल्लंघनकारी करार दिया था. इसके साथ ही उत्‍तर प्रदेश मदरसा बोर्ड योगी सरकार से हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की सिफारिश करेगा. बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तेखार अहमद जावेद ने कहा कि उन्‍हें हाई कोर्ट के फैसले पर आश्‍चर्य हुआ है. अदालत को समझाने में हमसे कहीं न कहीं चूक हुई है. मदरसा बोर्ड जल्‍द ही कोर्ट के पूरे आदेश की समीक्षा कर अपनी सिफारिश यूपी सरकार को भेजेगा. न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक योजना बनाए जिससे विभिन्न मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सके. अदालत ने यह आदेश अंशुमान सिंह राठौर की याचिका पर दिया है. याचिका में उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए मदरसों का प्रबंधन केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा किए जाने के औचित्य पर सवाल उठाये गए थे.

उत्तर प्रदेश में मान्‍यता प्राप्‍त हैं 16500 मदरसे

उत्तर प्रदेश में करीब 25 हजार मदरसे हैं. इनमें 16500 मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है. उनमें से 560 मदरसों को सरकार से अनुदान मिलता है. इसके अलावा राज्य में साढ़े आठ हजार गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. डॉ इफ्तेखार अहमद जावेद का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश का सबसे ज्यादा असर सरकार से अनुदान प्राप्त मदरसों पर पड़ेगा. यदि मदरसा शिक्षा कानून रद्द हुआ तो अनुदान प्राप्त मदरसों के शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे.

20 साल बाद अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया गया

उत्‍तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्‍यक्ष ने कहाकि वर्ष 2004 में सरकार ने ही मदरसा शिक्षा अधिनियम बनाया था. इसी तरह राज्य में संस्कृत शिक्षा परिषद भी बनाई गई है. दोनों ही बोर्ड का मकसद अरबी, फारसी और संस्कृत जैसी प्राच्य भाषाओं को बढ़ावा देना था. अब 20 साल बाद मदरसा शिक्षा अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया गया है. इससे जाहिर होता है कि कहीं न कहीं कुछ चूक हुई है. हमारे वकील अदालत के सामने अपना पक्ष सही तरीके से रख नहीं सके.

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