कोरोना काल में भी बनारस को चुनौती दे रहा रहा है ‘मदनपुरा’

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वाराणसी। बनारस के इतिहास को जानने और समझने वाले लोग मदनपुरा इलाके से बखूबी वाकिफ हैं। लगभग तीन दशक के बाद मदनपुरा फिर से सुर्खियों में है। सड़कों पर सियापा छाया हुआ है। गालियां खामोश हैं। खिड़कियों से झांकते लोगों की आंखों में दहशत साफ झलक रही है। ये तस्वीरें नब्बे के उस दौर की याद दिलाती हैं, जब मदनपुरा दहशत का दूसरा नाम बन चुका था। बाबरी विध्वंस से उठी लपटों ने मदनपुरा को इस तरह आगोश में लिया कि सालों-साल तक यह इलाका जलता रहा। एक बार जब कोविड-19 की आपदा से दुनिया त्रस्त है तो मदनपुरा, काशी में कोरोना का एपिक सेंटर बनता जा रहा है।

कोरोना काल में भी चुनौती बना मदनपुरा

मदनपुरा एक बार फिर से चुनौती दे रहा है। ये चुनौती वाराणसी की पुलिस और स्थानीय प्रशासन के लिए है। ऐसे वक्त में जब कोरोना का संकट शहर में गहराता जा रहा है, तब मदनपुरा के लोग प्रशासन की मदद के बजाय गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया रहे हैं। बनारस में कोरोना के सबसे ज्यादा 4 पेशेंट मदनपुरा से मिले हैं। जिला प्रशासन ने इसे हॉटस्पॉट घोषित करते हुए सील कर दिया है। स्थानीय समाचार पत्र दैनिक जागरण के अनुसार कोरोना के लिहाज से संवेदनशील इलाका होने के बाद भी यहां के लोग थर्मल स्कैनिंग में सहयोग नहीं कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम को देखकर लोग छिप जा रहे हैं। घरों के दरवाजे बंद कर ले रहे हैं। यही नहीं पिछहले दिनों तो कुछ लोगों ने डॉक्टरों की टीम पर थूक भी दिया था। जब पुलिस ने सख्ती की तो मामला संभला।

पुलिस के भी छूटने लगते है पसीने

मुस्लिम बहुल मदनपुरा का विवादों से पुराना नाता रहा है। कहते हैं कि बनारस के किसी भी कोने में साम्प्रदायिक विवाद हो तो इसका सीधा असर मदनपुरा में देखने को मिलता है। मदनपुरा की संकरी गलियों में तनी ऊंची इमारतें सुरक्षकर्मियों के लिए हमेशा चुनौती रही हैं। दंगों के दर्जनों मामलों से ये इलाका सालों से दो-चार होता रहा है। ये सिलसिला 90 के दशक से शुरू हुआ और हाल के सालों तक जारी है। छोटे से छोटे मसले को सुलझाने में स्थानीय पुलिस के हाथ पांव कांपने लगते है। यही कारण है कि आये दिन हालात को संभालने के लिए पीएसी की मदद लेनी पड़ती है।

बुनकरों का बड़ा केंद्र है मदनपुरा

ग़ोदौलिया से सटे मदनपुरा इलाका पूरी तरह मुस्लिम बहुल इलाका है। यहां पर बड़े पैमाने पर बनारसी साड़ी का एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट होता है। बनारसी साड़ी के बड़े और रईस कारोबारी यही रहते हैं। बनारस के दूसरे हिस्सों के मुकाबले यहां पर आर्थिक रूप मजबूत बुनकर रहते हैं। यहां से गल्फ कंट्री जाने वालों की तादात भी ज्यादा रहती है। यहां की आबादी का बड़ा तबका पढ़ा-लिखा है। बावजूद इसके यहां होने वाली हरकतें बनारस को शर्मसार करती रही हैं।

कोरोना

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