यहां परवान चढ़ा था ‘शाहजहां-मुमताज’ का प्यार

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ताजमहल का नाम सुनते ही जहन एक तस्वीर अचानक से उभर कर आ जाती है जो मुमताज की होती है। मुमताज और शाहजहां के प्यार की कहानी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि शाहजहां ने मुमताज की याद में इतना खूबसूरत ताजमहल बनवा दिया। जिसे आज पूरी दुनिया प्यार की निशानी के तौर पर जानती है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि शाहजहां और मुमताज का प्यार कहां परवान चढ़ा था। नहीं न तो आज हम आपको बताते हैं कि मुमताज और शाहजहां कहां मिले थे।

शाहजहां और मुमताज का प्यार मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में फारुकी काल के शाही महल में परवान चढ़ा था। यहां की दीवारों से लेकर आंगन और हमाम सभी शाहजहां के प्यार की निशानी को बयां कर रहे हैं। माना जाता है कि आज भी मुमताज की आत्मा यहां पर शाहजहां की याद में भटक रही है। गौरतलब है कि मुमताज ने अपने चौदहवें बच्चे को जन्म देते समय दम तोड़ दिया था।

बताया जाता है कि शाहजहां को ये महल इतना पंसंद था कि शाहजहां ने अपने शुरुआती तीन साल में ही महल के पहले मंजिल पर दीवाने-आम और दीवाने-खास नाम से दो दरबार बनवा दिए थे। इन सबके बावजूद शाहजहां ने एक ऐसी जगह भी बनवाई थी जहां पर वो मुमताज के साथ सुकून के पल बिताते थे।

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मुमताज की मौत के बाद मुमताज को पहले बुरहानपुर में ही दफनाया गया था। लेकिन जब आगरा में ताजमहल बनाया गया तो मुमताज की कब्र यहां बनाई गई। ऐसा बताया जाता है कि आगरा में बना ताजमहल पहले शाहजहां बुरहानपुर में ही बनवाना चाहते थे लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका और इसे आगरा में बनवाना पड़ा।

इस महल के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां से रात को अक्सर आवाजें आती हैं लेकिन आज तक किसी को इन आवाजों से कोई परेशानी नहीं हुई है। लोगों का मानना है कि मुमताज का शरीर तो यहां से ताजमहल में चला गया लेकिन आत्मा आज भी इन्ही महलों के खंडहर में घूम रही है।

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