लोकसभा चुनाव : सियासी दौड़ में पाला बदल का खेल
वाराणसी – देश के लोकसभा चुनाव के दौरान सत्ता की लड़ाई में जनता को अपने-अपने पक्ष में लाने के लिए लुभाने की जोरदार कोशिशें जारी हैं. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं दशकों से चुनावों का यही तकाजा है. सत्ता की होड और जनता के दरबार में भरी जनसभा में एलानिया अपने किसी विरोधी दल को अपराधियों को संरक्षण देनेवाली और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देनेवाली पार्टी कहा जा रहा है. सत्ताधारी दल अपने विरोधियों को आरोपों से घेरने का भरसक प्रयास करते नजर आ रहा है तो विरोधी भी इस बार उन्हें वाशिंग मशीन बता रहे हैं. किसी की जुबान ही फिसल जा रही है तो कोई साफ झूठ बोलता दिखाई दे रहा है. कहने को तो है कि भाई सत्ता की राजनीति में सब जायज है आया राम गया राम रणछोड़ दास अदि सब दिखाई दे रहे हैं. लेकिन सियासी गलियारे का माहौल गरमाया हुआ है.
Also Read: वाराणसी में अस्सी घाट पर कल गरजेंगे सीएम योगी
लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आने-जाने का सिलसिला लगा है. वर्ष 2014 के बाद से जबसे बीजेपी सत्ता में आई है तबसे ये पहला चुनाव है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में नेता अपना पाला बदल रहे हैं. नेताओं के पार्टी बदलने के आंकड़ों को देखने पर खास ट्रेंड दिखाई देता है. ट्रेंड बता रहा है कि जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और जिन पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसा है वही नेता सत्ताधारी पार्टी में शामिल होते दिखाई दिए. पार्टी बदलते ही उनके खिलाफ चल रहे मामले फीके पड़ गए. सब कुछ ठंडा हो गया. यही वह आयाराम-गयाराम हैं जिसके कारण विपक्षी पार्टियां सत्ताधारी बीजेपी को ‘वॉशिंग मशीन’ बताकर लगातार घेरने का प्रयास कर रही है. वह व्यंग बोलते हैं कि अगर आप बीजेपी में शामिल हो जाते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाएंगे.
आइए जानते हैं पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले 25 प्रमुख नेता बीजेपी में शामिल हुए. हाल में इसमें इजाफा हुआ है. इन 25 प्रमुख नेताओं में दस कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी से 4-4, टीएमसी से 3, तेलगुदेशम पार्टी से दो और सपा-वाईएसआरसीपी से एक-एक हैं. महाराष्ट्र से 12 प्रमुख नेता है जो 2022 या उसके बाद भाजपा में चले गए.
प्रफुल्ल पटेल
यूपीए की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे पूर्व एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल पर एयर इंडिया द्वारा 111 विमानों की खरीद के साथ एआई-इंडियन एयरलाइंस विलय में कथित भ्रष्टाचार के लिए भी मामला दर्ज हुआ. मामले की जांच ईडी और सीबीआई कर रही है. इसके बाद वर्ष 2023 में प्रफुल्ल पटेल बीजेपी में चले गये.
अजीत पवार
एनसीपी नेता अजीत पवार पर महाराष्ट्र के राज्य सहकारी बैंक में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अगस्त 2019 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज की हुई है. अजीत पवार जब पिछली महा विकास अघाड़ी सरकार का हिस्सा रहे. उस समय मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अक्टूबर 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की. भाजपा के सत्ता में लौटने पर पार्टी ने मामले को फिर से खोलने की मांग की लेकिन फिर अजीत पवार के बीजेपी में शामिल हो गया. मामला कूल-कूल.
हिमंत बिस्वा सरमा
वर्ष 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के यहां छापेमारी की थी और पूछताछ भी हुई थी. गोवा में जल परियोजना अनुबंधों के लिए कथित रिश्वत देने से जुड़े लुइस बर्जर मामले में इनका नाम सामने आया था. लेकिन 2015 में उनकी विचारधारा बदली और वह भाजपा में चले गये. राहत मिलती दिखाई दे रही है.
सुवेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल प्रमुख नेता सुवेंदु अधिकारी 11 टीएमसी नेताओं समेत ’नारद स्टिंग ऑपरेशन’ मामले में आरोपित हैं. जिस समय का यह मामला है तब वह सांसद थे. इस मामले की जांच वर्ष 2019 से सीबीआई कर रही है. वर्ष 20220 में सुवेंदु अधिकारी टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आ गये. अब सांसद होने के कारण उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का प्रावधान है. लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद से सीबीआई लोकसभा अध्यक्ष की मंजूरी का इंतजार कर रही है.
अशोक चव्हाण
मुंबई के आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट आवंटन से सम्बंधित मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण मुख्य आरोपियों में से हैं. सीबीआई ने उन पर कथित तौर पर रिश्तेदारों के लिए दो फ्लैटों के बदले में ऊंचे फ्लोर स्पेस इंडेक्स को मंजूरी देने का आरोप लगाया. इसी मामले में ईडी ने सीबीआई की एफआईआर पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की. उनसे पूछताछ भी की. विचारधारा बदली और बीजेपी में शामिल हो गए.
संजय सेठ
आयकर विभाग ने साल 2015 में संजय सेठ से जुड़े शालीमार कॉर्प के कार्यालयों पर छापे मारे थे. एमएलसी चुनावों के लिए सेठ के नाम पर यूपी के राज्यपाल ने आपत्ति की थी. इसके बाद सपा ने इन्हें 2016 में राज्यसभा भेज दिया. मुलायम सिंह यादव के परिवार के करीबी माने जाते थे. इसके बाद वह सपा को छोड़ बीजेपी का दामन पकड़ लिया. हाल ही में राज्यसभा चुनाव में संजय सेठ बीजेपी के उम्मीदवार के तहत चुने गए. इसके अलावा गीता कोड़ा, बाबा सिद्दीकी, ज्योति मिर्धा, वाईएस चौधरी, यामिनी और यशवन्त जाधव, सी एम रमेश, रनिंदर सिंह, के गीता, सोवन चटर्जी, छगन भुजबल, कृपाशंकर सिंह, दिगंबर कामत, नवीन जिंदल, तापस रॉय, अर्चना पाटिल, ज्योति मिर्धा, सुजना चौधरी, प्रताप सरनाईक, हसन मुश्रीफ, भावना गवली के खिलाफ भी मामले थे. चर्चा है कि राहत में हैं.
विपक्षियों की प्रतिक्रिया क्या है-
समाजवादी पार्टी पर भाजपा खुलकर अपराधियों को संरक्षण देनेवाली पार्टी बताती रही है. लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव भाजपा पर निशाना साध रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने कहाकि बीजेपी में ‘वाशिंग मशीन का एडवांस मॉडल चल रहा है’. पुणे जिले के लोनावाला में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के कार्यकर्ताअ सम्मेलन में शरद पवार ने कहाकि सत्ता भ्रष्टाचार पर बात करती है. संसद में सबको पुस्तिका दी गई थी. बताया गया था कि जब भाजपा सरकार में नहीं थी, तब क्या-क्या अनियमितताएं हुई थीं. पुस्तिका में आदर्श घोटाले और अशोक चव्हाण की कथित संलिप्तता का उल्लेख था. लेकिन सातवें दिन चव्हाण भाजपा में शामिल हो गए और इसके राज्यसभा सदस्य बन गए. अजीत पवार का भी उदाहरण दिया. नेताओं में जुबानी जंग जारी है. तकरस से नये-नये तीर चलाये जा रहे हैं. अब चुनाव करीब-करीब अंतिम चरण की ओर पहुंच रहा है. ऐसे में किसके तीर का असर किसे और कहां हुआ, इसके लिए चार जून का देश को इंतजार है. फिलहाल वर्तमान राजनीति में एक बार वही कहावत चरितार्थ होती दिख रही है कि ‘तू करा तक रासलीला और हम करें तो करेक्टर ढीला. फैसला जनता की अदालत पर है.