लॉकडाउन: ..जब कड़क मिजाज ‘डीएम’ के सीने में रिक्शे वाले ने ‘मासूम-दिल’ दिल देखा

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रामपुर: ‘लॉकडाउन’ में अपने ही कुछ भ्रष्ट अफसर कर्मचारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही करके, शहर में मौजूद मुनाफाखोरों के लिए जेल भेज देने वाले, स्थानीय डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह की इन दिनों रामपुर जिले में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे हिंदुस्तान के सबसे बड़े सूबे में तूती बोल रही है।

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कोरोना जैसी महामारी के इस दौर में सरकारी मशीनरी की जहां शिकायतें मिलती हैं, डीएम फिल्म ‘नायक’ में एक दिन के मुख्यमंत्री बने अनिल कपूर के नक्श-ए-कदम पर खुद ही ‘आम-आदमी’ की तरह भीड़ के बीच पहुंच जा रहे हैं। खुद की कुर्सी बचाने के लिए नहीं वरन, लापरवाह ‘अपनों’ को ठिकाने लगा कर, उन्हें सबक सिखाने के लिए।

दो दिन पहले ही डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह ने मातहत अफसरों से छापा मरवाकर, एक प्राइवेट आउटसोसिर्ंग कंपनी को शहर में सफाई के लिए रकम वसूली करते रंगे हाथ पकड़वा लिया। मौके पर ही कंपनी पर एक लाख का नकद जुर्माना ठोंक दिया। लॉकडाउन में भी कालाबाजारी और मुनाफाखोरी से बाज नहीं आने वाले कई सरकारी सस्ते गल्ले के दुकान संचालकों को गिरफ्तार करा के जेल भेज चुके हैं। जिनके गल्ला गोदामों से स्टॉक गायब मिला, उनके कब्जे से जमा माल बाहर निकलवा कर परेशान हाल और जरुरतमंद जनता में बंटवा दिया।

डीएम
जिलाधिकारी आञ्जनेय कुमार सिंह

लॉकडाउन के शमशानी सन्नाटे में भी ऐसे डीएम के कदमों की आहट से सुस्त सरकारी-मशीनरी में कोहराम मचना था सो मचा। रामपुर की जनता मगर बेहद सुकून में है। अपने काम से काम रखने वाले मगर बेहद कड़क मिजाज ऐसे हुक्मरान के रुप में चर्चित डीएम (आईएएस) के सीने में मासूम-दिल भी धड़कता होगा? इसका चश्मदीद गवाह बना एक गरीब रिक्शे वाला. जिसकी जिलाधिकारी के सामने सोचिये भला क्या बिसात!

घटनाक्रम के मुताबिक, डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह दिन के वक्त आम आदमी की तरह रामपुर में घूम रहे थे। लॉकडाउन में भी रिक्शे वाले को सड़क पर घूमते देखा तो उसे पकड़ लिया। डीएम ने रिक्शे वाले को महसूस नहीं होने दिया कि वे, जिले के जिलाधिकारी हैं। रिक्शे वाले से उन्होंने पूछा कि, वो लॉकडाउन में क्यों घूम रहा है? लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले जेल भेजे जा रहे हैं। जेल की बात सुनते ही रिक्शे वाले का हलक सूख गया।

डीएम

सामने खड़े डीएम को महज एक पढ़ा-लिखा सलीकेदार आदमी समझकर हड़बड़ाये हुए रिक्शे वाले ने एक ही सांस में बता दिया, कि, वो दवाई लेने निकला है। दवाई के लिए भी पैसे नहीं थे। सो वो एक आदमी के पास अपना मोबाइल फोन 150 रुपये में गिरवी रखकर आया है। इतना सुनते ही डीएम के स्वभाव में मौजूद दबंग और अख्खड़ आईएएस कहिये या फिर हुक्मरान अचानक गायब हो गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, डीएम ने रिक्शे वाले की मजबूरी पता लगते ही उसे एक महीने की दवाई मौके पर ही मेडिकल स्टोर से खुद मंगवा कर दी। साथ ही डेढ़ सौ रुपये भी दिये। इस निर्देश के साथ कि वो, तुरंत उस शख्स के पास जाये, जिसने उसका मोबाइल 150 रुपये में गिरवी रखा है। मोबाइल छुड़वाकर रिक्शे वाला डीएम को बतायेगा भी।

प्रत्यक्षदर्शियों में से एक ने बताया, “सामने जिले के डीएम दो देखकर रिक्शे वाले की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। डीएम साहब द्वारा दिलवाई गयी दवाईयों और 150 रुपये को रिक्शे वाला बार-बार माथे से लगाकर चूम रहा था। डीएम के प्रति कृतज्ञता से लबालब रिक्शेवाला धन्यवाद कहकर मन से बोझ हल्का करना चाह रहा था। अल्फाज मगर उसके होंठों में ही फड़फड़ाकर रह गये। शहर में चर्चित कड़क मिजाज डीएम के सीने में अपने लिए धड़कते मासूम दिल को देख कर, बिचारे गरीब रिक्शेवाले की आंखो में आंसूओं का सैलाब उमड़ आया था।”

डीएम

कहानी का अंत यहीं नहीं हुआ। रिक्शेवाले ने डीएम से मिले 150 रुपयों से अपना गिरबी रखा मोबाईल फोन छुड़ा लिया। उसके बाद उसने,  डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह को फोन कॉल करके मोबाइल छुड़ा लेने की खबर दी। डीएम ने रिक्शेवाले से पूछा कि, लॉकडाउन में तुम्हें और किस चीज की जरुरत है? जैसे ही रिक्शेवाले ने कहा, साहब घर में राशन नहीं है। जेब में दाम भी नहीं है। रिक्शा नहीं चलाया है लॉकडाउन वाले दिन से, इतनी बात सुनते ही डीएम ने तुरंत रिक्शेवाले के घर पर राशन भी भिजवाया।

घटना की पुष्टि के लिए डीएम से फोन पर बात की। उन्होंने कहा, “शासन ने मुझे  डीएम, जनता के लिए ही बनाकर भेजा है। अगर लॉकडाउन जैसी मुसीबत में डीएम रहकर भी मैं परेशानी दूर नहीं करुंगा तो फिर जिले का जरुरतमंद कहां क्यों और किसके पास जायेगा। मैने सबऑर्डिनेट्स को भी यही निर्देश दिये हैं। जायज को कोरोना सी महामारी और लॉकडाउन में परेशानी न हो, मगर नाजायज जिला प्रशासन की नजर से बच न जाये.”

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