world famous आर्यभाषा पुस्तकालय का 11 माह बाद खुला ताला

बनेगा भव्य ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल और कैफेटेरिया

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11 महीने बाद बनारस के विश्व प्रसिद्ध आर्यभाषा पुस्तकालय का बंद ताला खुल गया. इसके साथ ही हिंदी भाषा और साहित्य के इस अनूठे पुस्तकालय और संग्रहालय में ‘मेंटेनेंस’ और सफ़ाई का काम भी शुरु हो गया है.

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आर्यभाषा पुस्तकालय के साथ नागरी प्रचारिणी सभा के अन्य विक्रय, प्रकाशन और अर्थ विभागों के ताले भी लम्बे समय के बाद कल खुल गये. इन विभागों के निरीक्षण के बाद शाम को ताले बंद हुए. विक्रय विभाग में पुस्तकों के विशद संग्रह के स्टॉक-मिलान के बाद किताबें जल्द बिक्री के लिये उपलब्ध होंगी.

गतिरोध का शिकार थी यह महान संस्था

बता दें कि तीन दशक से हिंदी की यह महान संस्था गतिरोध का शिकार थी और अपनी स्थापना के मूल उद्देश्यों से भटक गयी थी. लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद जिला प्रशासन द्वारा चुनाव कराया गया और यहां की प्रबंध समिति में बदलाव हुआ. हाईकोर्ट के आदेश पर सभी विभागों को खोला गया और व्योमेश शुक्ल के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित प्रबंध समिति को कार्य-संचालन का अधिकार मिला है. नागरी प्रचारिणी सभा आने वाले समय में एक साथ बहुत-सी योजनाओं पर काम शुरु करने वाली है. इनमें भवन का जीर्णोद्वार, पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन. वैज्ञानिक डाटाबेस तैयार करने और इस अनमोल बौद्धिक संपदा को जनता के लिये सुलभ बनाना है. इस प्रोजेक्ट के लिये आरंभिक दौर की बातचीत राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) के साथ हो चुकी है. NMM के निदेशक अनिर्बान दास शीघ्र सभा का दौरा करेंगे और संरक्षण का काम शुरु हो जाएगा. यह काम तीन चरणों में संपन्न होगा.

पहले चरण में तीस लोगों को किया जाएगा प्रशिक्षित

पहले चरण में तीस लोगों को एक कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा. दूसरे चरण में वही लोग संस्था में पांडुलिपियों के संरक्षण के काम में लग जाएंगे और तीसरे चरण में मरम्मत की गई पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन होगा. उनका डाटाबेस तैयार करके उन्हें पब्लिक डोमेन में जनता के बीच लाया जाएगा. उत्तर प्रदेश शासन के पर्यटन और संस्कृति विभाग के सहयोग से नागरी प्रचारिणी सभा के उत्तरी छोर पर साढ़े छह करोड़ की लागत से सर्वसुविधा संपन्न भव्य ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, मुक्ताकाशीय मंच और कैफेटेरिया बनना है. इसके लिये कार्यदायी एजेंसी के तौर पर UPPCL का चयन हो गया है. सभा द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को बिक्री के लिये उपलब्ध कराना है. वर्तमान में सभा की 80 पुस्तकें उसके विक्रय पटल पर उपलब्ध हैं. इसके अतिरिक्त बहुमूल्य प्रकाशनों को बिक्री के लिये तत्काल सुलभ कराना है. ‘सभा’ अपने संसाधनों से दुर्लभ अप्राप्य पुस्तकों और ग्रंथावलियों का प्रकाशन करेगी और नये शिल्प में उसे नये पाठकों के सामने पेश करेगी. इसके साथ सभा के पुनः संचालित होने के अवसर पर ‘सत्रारंभ’ शीर्षक नामक महोत्सव का आयोजन करेगी और रामायण पर मेला भी लगाएगी.

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