एलआईसी स्थापना दिवस: जाने इंग्लैंड से भारत आई इस कंपनी की कहानी, ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ टैगलाइन बनी पहचान

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देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आज जन्मदिन है. आजादी के 9 साल बाद ही आज ही के दिन (1 सितंबर) को इसकी स्थापना हुई थी. एलआईसी, इंग्लैंड से भारत आई जीवन बीमा कंपनी है. ‘जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी’ इसकी असरदार टैगलाइन है. आज हर भारतीय के दिलों में एलआईसी अपनी एक अलग जगह बना चुकी है. ये कंपनी 1818 के दशक में भारत में आई थी, जो आज भारत के करोड़ों लोगों की पसंद बन चुकी है. उस समय के दशक में काफी कंपनियां इसके टक्कर में आई, लेकिन इसके आगे नहीं टिक पाई. जिसके कारण एलआईसी भारत की नंबर वन बीमा कंपनी बनी हुई है.

आइये आपको बताते हैं कि कैसे इस कंपनी ने भारत में कदम रखा और भारतीयों के दिलों में बनाई जगह…

भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी पूरी तरह से भारत सरकार के आधीन है. इसकी शुरुआत आज ही के दिन 1 सितंबर सन् 1956 में हुई थी. इस समय इस कंपनी के करीब 1,140,000 रोजगार देने वाली कंपनी है, जिसमें 290 मिलियन से ज्यादा के पॉलिसी होल्डर है. इसका मुख्यालय आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित है.

एलआईसी का इतिहास…

जीवन बीमा अपने आधुनिक रूप के साथ 1818 के दशक में इंग्लैंड से भारत आई. इस जीवन बीमा की शुरुआत सबसे पहले कलकत्ता में यूरोपियन्स के द्वारा ही कराया गया था, जिसका उस समय नाम ओरिएंटल लाइफ इंश्‍योरेंस था. उस समय सभी बीमा कंपनियों की स्थापना यूरोपीय समुदाय की जरूरतों जो पूरा करने के लिए की गई थी. उस समय ये भारत की मूल निवासियों का बीमा नहीं करते थे. लेकिन कुछ समय बाद बाबू मुत्तीलाल सील जैसे महान व्यक्ति कि कोशिशों से विदेशी जीवन बीमा कंपनियों ने भारतीयों का बीमा करना शुरू कर दिया. लेकिन, यह कंपनियां भारतीयों के साथ निम्न स्तर का व्यहार रखती थी. जैसे भारी और अधिक प्रीमियम की मांग करना. भारत की पहली जीवन बीमा कंपनी की नींव साल 1870 में मुंबई में म्‍युचुअल लाइफ इंश्‍योरेंस सोसायटी के नाम से रखी गई. जिसमें भारतीयों का बीमा समान दरों पर करना शुरू किया गया.

ऐसे हुई थी शुरुआत…

बता दें जब भारतीय संसद ने साल 1956 में लाइफ इंश्‍योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया, इसके तुरंत बाद ही 1 सितंबर को भारतीय जीवन बीमा निगम नाम इसे खड़ा किया गया, जिसका उदेस्य था की खास तौर पर गाँव में इनकी सुविधा जिससे भारत के हर नागरिकों को पर्याप्त आर्थिक सहायता उचित दरों में प्राप्त कराया जा सके. एलआईसी में 5 जोनल अधिकारी, 33 डिविजनल अधिकारी और 212 शाखा अधिकारी थे. इसके अलावा इसका कॉर्पोरेट ऑफिस भी बना. बाद के वर्षों में उस बात की जरुरत महसूस हुई कि इसकी कार्य प्रणाली का विस्तार किया जाये और हर जिले में हेडक्वाटर में इसकी शाखा ऑफिस बनाये जाये. जिससे कार्पोरेशन की कार्यप्रणाली और प्रदर्शन में कई-कई गुना सुधार हुआ.

ऐसा देखा गया कि साल 1957 में लालबाग में 200 करोड़ रूपये के बिज़नेस से कार्पोरेशन ने साल 1969-70 तक अपना बिज़नेस 1000 करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया और अगले सिर्फ दस वर्षों में ही एलआईसी ने अपना बिज़नेस 2000 करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया. जब 80 के दशक की शुरूआत में फिर से पुर्नगठन हुआ तो नई पॉलिसियों की वजह से साल 1985-86 तक व्यापार 7000 करोड़ रूपये से ऊपर जा पहुंचा.

एलआईसी ने वर्तमान में एक करोड़ पॉलिसियां जारी की हैं. 15 अक्‍टूबर, 2005 में इसने 1,09,32,955 नई पॉलिसियां जारी करके एक नया कीर्तिमान बनाया है. पिछले साल के मुकाबले 16.67 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है. तब से लेकर अब तक एलआईसी ने बहुत सारे कीर्तिमान बनाए हैं और जीवन बीमा व्यापार के अलग-अलग क्षेत्र में अनेक बार प्रदर्शन से नए-नए कीर्तिमान बनाए हैं.

जिस आशा और अपेक्षा से हमारे पूर्वजों ने इस देश में जीवन बीमा का गठन किया था, उसी उद्देश्‍य को लेकर आज भी एलआईसी देश के अधिक से अधिक घरों में सुरक्षा की ज्योति को प्रज्‍जवलित रखना चाहती थी. इंसान अपने और अपने परिवार की देखभाल करने में सक्षम हो सके.

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