कोलकाता के अस्पताल में लेडी रेजिडेंट डाक्टर से दुष्कर्म और हत्या की घटना से आंदोलित बीएचयू के रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल चौथे दिन शुक्रवार को भी जारी है. इस दौरान रेजिडेंट डाक्टरों ने बीएचयू परिसर स्थित आईएमएस भवन से हाथों में तिरंगा लेकर न्याय मार्च निकाला. न्याय यात्रा विभिन्न मार्गों से होती हुई वापस आईएमएस पहुंची. यहां सभा में वक्ताओं ने कहाकि कोलकाता की घटना के बाद असुरक्षा की भावना बढ़ गई है. सरकार इस मामले में ठोस निर्णय ले. लेडी रेजिडेंट डाक्टर के साथ दरिंदगी के दोषियों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए कि फिर कोई अपराधी ऐसी घटना करने का दुस्साहस न कर सके.
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गौरतलब कि कोलकाता रेप और मर्डर कांड को लेकर सोमवार को रेजिडेंट डाक्टरों ने कैंडिल मार्च निकालकर विरोध जताया और मंगलवार से हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया. इसके बाद से इमरजेंसी सेवाओं के अलावा रेजिडेंट डाक्टरों ने ओपीडी से दूरी बना ली. इससे दूर दराज से आनेवाले मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
महिला डॉक्टरों की सुरक्षा और जरूरी सुविधाओं के लिए व्यवस्था नहीं
शुक्रवार को आईएमस भवन से रेजिडेंट डाक्टरों ने हाथों में तख्तियां और तिरंगा लेकर न्याय मार्च निकाला. रेजिडेंट डाक्टरों का यह आंदोलन अबतक परिसर में ही सीमित था. लेकिन इस बार न्याय मार्च परिसर से बाहर निकला, बीएचयू सिंह द्वार से महामना की प्रतिमा के पास से होते हुए मार्च संत रविदास गेट और फिर उसे रास्ते से ट्ामा सेंटर पहुंचा. इसके बाद मार्च आईएमएस भवन पहुंचकर समाप्त हो गया. रेजिडेंट डाक्टर सुरक्षा की मांग से सम्बंधित नारे लगा रहे थे. मार्च में शामिल रेजिडेंट डाक्टरों का कहना है कि सर सुंदरलाल अस्पताल में महिला डॉक्टरों की निजी सुरक्षा और जरूरी सुविधाओं के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. उनके लिए न तो अलग से कोई रिटायरिंग रूम है और न ही शौचालय.
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इमरजेंसी सेवाएं नहीं रोकीं, ओपीडी में नही जा रहे
इनका कहना है कि वह कोलकाता में लेडी रेजिडेंट डाक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में न्याय की मांग कर रहे हैं. ऐसे हालात में हमलोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. हमलोगों ने ओपीडी में सेवाएं देनी बंद कर दी है, लेकिन इमरजेंसी सर्जरी नही रूकी है. आईसीयू में भी हम सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन हमारी पांच सूत्री मांगें नही मानी गईं और दरिंदगी के आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई नही हुई तो उन्हें आंदोलन तेज करने पर विचार करना पड़ेगा.