जानें कौन है गौरी सावंत ? जिसपर आधारित है फिल्म ताली..

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Who Is Gauri Sawant:  हर गली, चौराहे और आपके घरों पर होने वाले हर खुशी के पलों पर अपनी ताली की थाप पर खुशी और दुआएं लेकर आने वाले किन्नरों का जीवन का सच किसी की भी रूह कांपा देने के लिए काफी होता है । यह समाज का एक ऐसा वर्ग जो बिना किसी गुनाह के दशकों से समाज से अलग होने की सजा काट रहा है । हालांकि, साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को तीसरे लिंग का दर्जा दिया है ।

इस मान्यता के मिलने के साथ ही अब ट्रांसजेंडर्स को बराबर का अधिकार दिया गया है । जिसके बाद कुछ बदल हुए भी है लेकिन फिर भी सालों से परिवार से मिले अस्वीकारता के बाद समाज से मिले अपमान और कटाक्ष के बाद भी जीवन जीने का जज्बा रखने वाले किन्नरों की कहानी कहती है कहती है फिल्म ‘ताली’ ।

हिन्दी फिल्म अभिनेत्री सुष्मिता सेन की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘ताली’ का हाल ही में जारी किया गया है । जिसमें वे किन्नरों के साथ होने वाले भेद-भाव और अधिकारों से लड़ती हुई नजर आ रही है । फिल्म की कुछ दृष्यि आपके रूह कांपा देगे लेकिन क्या मालूम है यह फिल्म मात्र एक फिल्म नहीं बल्कि किसी की जिंदगी का कडवा सच कहती है ।

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“गौरी सावंत” के जीवन पर आधारित फिल्म

जी हां, ये फिल्म ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट “गौरी सावंत” के जीवन पर आधारित फिल्म है । इस फिल्म में गौरी सावंत के संघर्षपूर्ण जीवन का बखूबी उभरा गया है,इस फिल्म में गौरी सावंत के किरदार में अभिनेत्री सुष्मिता सेन नजर आने वाली है। अभिनेत्री सुष्मिता सेन हमेशा से ही यूनिक किरदारों के लिए चुना जाता रहा है ।

यही वजह है कि, गौरी सावंत के जबर्दस्त किरदार के लिए सुष्मिता सेन को चुना गया है और इसके साथ ही सामने आये फिल्म के फर्स्टलुक में सुष्मिता सेन ने अपने फैंस का दिल जीत लिया है । ऐसे में जरूरी हो जाता है कि, हम गौरी सावंत के जीवल पर प्रकाश डाले और जानें कैसा रहा गौरी सावंत का खुद की पहचान को हासिल करने का सफर…

गौरी के पिता ने कर दिया था अंतिम संस्कार

महाराष्ट्र के मराठी परिवार में जन्मी गौरी का जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था। बेटे के जन्म पर फूले न समाते उनके मां – पिता ने उनका नाम गणेश नंदन रखा था। इसके बाद सात साल की उम्र में उनकी मां का निधन होने के बाद उनके पालन – पोषण का जिम्मा उनकी दादी पर आ गया ।

वही पेशे से पुलिस अधिकारी पिता से गौरी को हमेशा काफी डर लगता था,यही वजह थी कि वे अपने पिता से खुलकर बात नहीं कर पाती थी । इसके साथ ही बढ़ती उम्र के साथ गणेश ने अपने अंदर एक बदलाव महसूस किया, जो उन्हे अपने साथ पढ़ने और रहने वाले बाकी बच्चों से अलग कर रहा था और फिर इस सच की जानकारी पिता को होने पर उन्होने गणेश से रिश्ता तोड़ लिया । इतना ही नहीं उनके पिता ने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया ।

घर छोड़ने के बाद गौरी ने फिर मुड़कर नहीं देखा

ट्रांसजेंडर होने का सच सामने आने के बाद गौरी को अपने ही परिवार से गैरों से भी ज्यादा बुरे बर्ताव का सामना करना पड़ा । जहां एक तरफ उनके पिता ने उनके जिंदा रहते हुए भी बस इसलिए उनका अंतिम संस्कार कर दिया क्योंकि वे एक ट्रांसजेंडर थी । वहीं उन्होंने अपने भाई से भी इस सच के लिए काफी अपमान का सामना करना पड़ा । उनके ट्रांसजेंडर होने की वजह से उनका भाई उन्हें जरा भी पसंद नहीं करता था ।

जिसके बाद गौरी ने परिवार से मिल रहे इस बर्ताव के बाद घर छोड़ने का फैसला किया और घर छोड़ दिया । घर छोड़ने के बाद गौरी हमसफर ट्रस्ट से जुड़ी और अपनी गणेश की पहचान को बदलकर गौरी में तब्दील कर दिया ।

इसके साथ ही शुरू हुआ सफर ट्रांसजेंडर को उनके हक दिलाने का सफर ….इस सफर में जुडी उनकी बेटी जिसे गौरी ने लिया था , गौरी ने अपनी बेटी का नाम गायत्री रखा है। लम्बे संघर्ष के बाद गौरी ने ये लड़ाई जीती है और दुनिया में पहचान के साथ ढेरों अवार्ड्स भी हासिल किये है ।

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क़ानूनी तौर पर बनी पहली ट्रांसजेंडर मां

NALSA ( National Legal Services Authority) मामले याचिका दायर करने वाली गौरी पहली ट्रांसजेंडर थीं, जिसमें सु्प्रीम कोर्ट ने राज्य और केन्द्र सरकारों को ये निर्देश दिया कि, उन्हें मेनस्ट्रीम में शामिल करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं । इसके साथ ही ट्रांसजेंडर के अधिकारो के लिए टॉयलेट और वेलफ़ेयर स्कीम में शामिल करने का भी कदम उठाया जाये । काफी लम्बी चली कानूनी लड़ाई के बाद गौरी कानूनी तौर पर पहली ट्रांसजेंडर मां बनीं ।

साल 2001 में गौरी ने एक बच्ची को गोद लिया , जिसका नाम उन्होने गायत्री रखा है । विक्स इंडिया के ऐड में गौरी और गायत्री को दिखाया भी गया था। इस ऐड को गायत्री और उनकी बेटी पर फिल्माया गया था । बताया जाता है कि, गायत्री की मां एक सेक्स वर्कर थी। जिनकी मौत एड्स की वजह से होने के बाद गौरी ने पांच साल की गायत्री को गोद ले लिया।

 

 

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