देश में बच्चा गोद लेने की क्या है प्रक्रिया, जानें ?

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समाजिक संस्था धर्मार्थ ट्रस्ट ‘द टेंपल ऑफ हीलिंग’ नामक संस्था ने भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की जानी है. उम्मीद है कि, बीते लंबे समय से चल रहे इस मामले में जल्द फैसला आएगा. लेकिन ऐसे में सवाल यह है कि वर्तमान समय में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है. उसके लिए आपको क्या करना पड़ा है, इसके दिशा निर्देश संग क्या है कानूनी प्रक्रिया ? आइए जानते हैं….

संतान की चाह किसे नहीं होती है, ऐसे में अगर आपके किसी कारण से बच्चे नहीं है तो, आप बच्चा गोद भी ले सकते हैं. लेकिन भारत में किसी बच्चे को गोद लेने के लिए आपको बकायदा एक पूरी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. लेकिन कई बार जानकारी न होने की वजह से कई सारे निसंतान दंपती गलत लोगों के चंगुल में फंस जाते हैं और उन्हें ठगी का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में आज हम आपको इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बताने जा रहे हैं.

दो से पांच साल का लग जाता है समय

भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि किसी भी व्यक्ति को एक बच्चा गोद लेने के लिए दो से पांच साल का समय लग जाता है.ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोसेस को सरल बनाए जाने की मांग पर एक आदेश जारी किया है. आज हम आपको बताएंगे कि भारत में बच्चों को गोद लेने का क्या है प्रोसेस. साथ ही बच्चे को गोद लेने के लिए किन कागजात की जरूरत पड़ेगी, इसके बारे में भी आप जानेंगे. आपको बता दें कि शादीशुदा परिवार के अलावा सिंगल पैरेंट या मैरिड कपल दोनों ही बच्चे को गोद ले सकते हैं. हालांकि मैरिड कपल के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं.

बच्चा गोद लेने को हैं दो कानून

बच्चा गोद लेने के लिए दो प्रमुख कानून बनाए गए हैं. इसके तहत आप बच्चा गोद ले भी सकते हैं और बच्चा गोद दे भी सकते हैं. इसमें पहला है हिन्दू लॉ के तहत हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम 1956 बनाया गया है. इस एक्ट में गोद लेने वाला और देने वाला दोनों ही हिन्दू होने चाहिए. इस एक्ट के अनुसार हिन्दू, सिख,जैन, बौद्ध और आर्य समाज के लोग किसी भी बच्चे को गोद ले भी सकते हैं और दे भी सकते हैं. इसके अलावा दूसरी व्यवस्था है जूविनाइल जस्टिस के तहत किसी भी धर्म के लोग किसी भी धर्म के बच्चे को गोद ले व दे सकते हैं. इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा एक संस्था बनाई गयी है जिसका नाम है सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉर्टी (CARA) यह वर्तमान में काफी अच्छा काम कर रही है. यह संस्था देश और विदेश में बच्चों को गोद देने व लेने का काम कर रही है.

कौन व्यक्ति ले सकता है बच्चे को गोद?

सेक्शन 7 के तहत यदि कोई पुरूष किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है तो, वह साफ मस्तिष्क का होना चाहिए मतलब मानसिक बीमार नहीं होना चाहिए.साथ ही अगर वह विवाहित है तो पत्नी की सहमति आवश्यक है. लेकिन अगर उसकी पत्नी मर चुकी है, हिन्दू धर्म त्याग दिया, सन्यास ले लिया है या कोर्ट में वह पागल साबित हो चुकी है तो सहमति की आवश्यकता नहीं है. वहीं अगर कोई महिला बच्चे को गोद लेना चाहती है तो, सेक्शन 8 के तहत तो वह मानसिक रूप से स्वस्थ होनी चाहिए. उसकी पहले से कोई संतान नहीं होनी चाहिए. साथ ही अगर वह विवाहित है तो पति की सहमति आवश्यक है.

गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया ?

गोद लेने वाला माता – पिता और गोद देने वाले माता-पिता दोनों को एक गोदनामा तैयार करना होता है, जो एक इकरार नामे की तरह होता है. इसके एड्रॉप्शन डी या दत्तक प्रमाण पत्र के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इस प्रमाण पत्र को कानून तौर पर पंजीकृत करना अनिवार्य होता है और यदि यह एक बार रजिस्टर्ड हो गया तो, फिर इसे धारा 15 के तहत कैंसिल नहीं कराया जा सकता है. वहीं गोद लेने के दौरान किसी भी तरह का आर्थिक लेन देन कानूनी अपराध है. ऐसा करने में 6 माह की सजा का भी प्राविधान है.

कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन

सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की वेबसाइट, cara.nic.in पर जाकर आप बच्चे को गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसमें आपको अपनी फोटो, शादी प्रमाण पत्र, फिटनेस प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड और आय प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करना होगा. इसके बाद, आवेदन करते समय ही घर विजिट करने वाली संस्था को चुनना होगा. वह संस्था आपके घर जाकर जांच पड़ताल करती है.

बच्चा गोद लेने का क्या है नियम ?

बच्चा गोद लेने को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करने वाला व्यक्ति या दंपती ही बच्चे को गोद ले सकता है. यह नियम निम्न प्रकार से है…
– शादी को दो साल पूरे हो चुके दंपती ही बच्चा गोद ले सकता है.
-गोद लेने वाले दंपती के पहले से कोई जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए.
-बच्चे और उसको गोद लेने वाले माता – पिता की उम्र में 25 साल का फर्क जरूर होना चाहिए.
-बच्चे को गोद लेने में माता पिता की रजामंदी आवश्यक है.
-यदि कोई महिला किसी बच्चे को गोद लेती है तो, उसे लड़का व लड़की कोई भी मिल सकता है.
-लेकिन यदि पुरूष गोद लेना चाहता है तो, उसे लड़का ही मिल सकता है.
-वही दंपती लड़का या लड़की किसी को भी गोद ले सकता है.
-गोद लेने वाले माता पिता की आर्थिक स्थिति सही होना जरूरी है.

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गोद लेने के लिए ये है जरूरी डॉक्यूमेंट्स

-गोद लेने वाले परिवार की मौजूदा फोटो
-बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्ति या परिवार का पैन कार्ड
-बर्थ सर्टिफिकेट या कोई अन्य डॉक्यूमेंट जिससे किसी व्यक्ति की जन्म तिथि का प्रमाण प्राप्त किया जा सकता है
-पासपोर्ट, आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, बिजली का बिल या टेलीफोन बिल में से किसी भी एक का होना बहुत महत्वपूर्ण है.
-उस वर्ष के इनकम टैक्स की ऑथेंटिक प्रति
-गोद लेने वाले दोनों को अपने-अपने मेडिकल सर्टिफ़िकेट देना होगा.
-किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर का साइन किया हुआ प्रमाण पत्र वह सर्टिफिकेट हो सकता है, जिससे बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्ति को कोई बीमारी नहीं है.
-गोद लेने वाला व्यक्ति शादीशुदा है तो शादी का प्रमाणपत्र या तलाक़शुदा है तो तलाक़ का प्रमाणपत्र.
-गोद लेने के पक्ष में इच्छुक व्यक्ति के द्वारा दो व्यक्तियों का बयान.
-सहमति, अगर इच्छुक व्यक्ति का बच्चा पहले से ही है और उसका उम्र पांच साल से अधिक है.

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