जानिए पाकिस्तान में कैसी है हिंदू त्योहारों की स्थिति

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पाकिस्तान के मशहूर सूफी गायक और कव्वाल नुसरत फतेह अली खान का होली गाना होली आई जाने क्यों दूर चल गए काफी पॉपुलर है. इसके बोल, ‘बिछड़ गया मेरे इंज दा जानी, ते मैं कहां वंगार रुल गई..’ दिल को छू जाते हैं. नुसरत फतेह अली खान का होली के प्रति रुझान उन्हें भावुक कर देता है. आज पाकिस्तान में होली को लेकर ऐसा फैसला सुनाया गया है, जिसकी इस कव्वाल ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में होली पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

इसके बाद तालिबानी कदम को लेकर पाकिस्तान की आलोचना हो रही है. पाकिस्तान पहले से ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए बदनाम है. ऐसे में उनका ताजा कदम हिंदू और सिख आबादी के खिलाफ माना जा रहा है. दरअसल पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग, इस्लामाबाद ने ये तालिबानी आदेश जारी किया है.

कहा कि हिंदू त्योहार से है इस्लामिक पहचान को खतरा…

इसमें कहा गया है कि ऐसी गतिविधियों को देखना दुखद है, जो हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों और देश की इस्लामी पहचान के लिए खतरा हैं. आपको बता दें कि पाकिस्तान की कैद-ए-आजम यूनिवर्सिटी के इस्लामाबाद परिसर में सैकड़ों छात्रों ने होली मनाई. इसके वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे थे. आइए आपको बताते हैं कि वहां हिंदू त्योहारों की क्या स्थिति है?

मार्च में होली मना रहे छात्रों पर हमला हुआ था…

मार्च में पाकिस्तान के एक कट्टरपंथी इस्लामिक छात्र संगठन ने पंजाब यूनिवर्सिटी में होली मना रहे छात्रों पर हमला कर दिया था. इस हमले में 15 हिंदू छात्र घायल हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि इसकी इजाजत यूनिवर्सिटी प्रशासन से ली गई थी. फिर भी उन पर हमला किया गया. पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और वे डर के मारे अपने त्योहार मनाने को मजबूर हैं. पाकिस्तान में हिंदू दिवाली, होली, नवरात्रि और जन्माष्टमी बड़ी आस्था के साथ मनाते हैं.

पाकिस्तान में हिंदू त्योहारों की क्या स्थिति है?

पाकिस्तान सरकार का दावा है कि वह सुनिश्चित करती है कि हिंदू अपने त्योहार बिना किसी डर के धूमधाम से मनाएं, लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान में कट्टरपंथ बढ़ रहा है. ऐसे में भारतीयों को कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पाकिस्तान में कुल आबादी का 2 फीसदी हिस्सा हिंदू धर्म को मानने वालों का है. पाकिस्तान की 1998 की जनगणना के अनुसार, पाकिस्तान की हिंदू आबादी 1.6 प्रतिशत थी. इसमें से 6.6 प्रतिशत हिंदू पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते हैं.

पाकिस्तान में हिंदू बड़ी धूमधाम से दिवाली मनाते हैं. खासकर सिंध में इसे लेकर खास उत्साह है. सिंध के अलावा पंजाब, बलूचिस्तान, हैदराबाद में भी दिवाली की रौनक देखने को मिलती है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में दिवाली इसलिए खास होती है क्योंकि यहां गुरुद्वारा और मस्जिद एक ही परिसर में मौजूद हैं.

हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं…

पाकिस्तान में ऐसे कई इलाके हैं जहां हिंदू अपनी पहचान छिपाने को मजबूर हैं. सिंध प्रांत के दूरदराज के इलाकों में जबरन धर्म परिवर्तन और शादी के लिए हिंदू लड़कियों के अपहरण की कई घटनाएं सामने आती हैं. ऐसे में इन लोगों के लिए दिवाली का कोई खास महत्व नहीं है. यहां रहने वाले बुजुर्ग युवाओं को खास तौर पर दिवाली के दिन सावधान रहने की हिदायत देते हैं.

मंदिरों में जाएं और दीपक जलाएं…

न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में लोग हिंदू मंदिरों में जाते हैं और दीपक जलाते हैं. वे मंदिरों में जाते हैं और एक-दूसरे को दिवाली की बधाई देते हैं. पाकिस्तान में हिंगलाज माता मंदिर, कटासराज शिव मंदिर, इस्लामाबाद के पास राम मंदिर, कराची में हनुमान मंदिर और पेशावर में गोरखनाथ मंदिर में भारी भीड़ देखी जा सकती है. लेकिन समय के साथ-साथ पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ जिस तरह की नफरत का माहौल बनता जा रहा है. इसका असर त्योहारों पर भी पड़ रहा है.

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