International Yoga Day 2022: 21 जून को ही क्यों मनाते हैं योग दिवस? जानिए इसका इतिहास, महत्व और इस साल की थीम
दुनियाभर में हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को आज से 8 साल हो चुके है. योग की ताकत को अब भारत क अलावा पूरी दुनिया मानने लगी है. अगर आप नियमित रूप से योग करते हैं तो आपका शरीर स्वस्थ और दिमाग तंदरुस्त रहेगा. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का दूसरी वजह ये भी है कि लोगों को योग से होने वाले फायदों का पता चले और वो जागरूक हों. तो आइए जानते हैं क्या है योग दिवस का इतिहास? क्या है इसका महत्व? और इस साल की थीम का आधार.
योग दिवस की शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में की थी. 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से पारित किया था. 193 सदस्य देशों में से 177 सदस्यों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद 21 जून, 2015 को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था. पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे.
21 जून को ही क्यों?
उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन 21 जून को होता है, जिसे लोग ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं. भारतीय परंपरा के मुताबिक, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है. माना जाता है कि सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है. इसी को देखते हुए योगा दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है.
योग दिवस का महत्व
स्वस्थ शरीर और मन के लिए योग बहुत जरूरी है. योग करने से मानव जीवन पर सकारात्मक असर पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मकसद लोगों के बीच योग के अभ्यास को बढ़ावा देना है. इस दिन पूरी दुनिया में योग को बढ़ावा देने और लोगों को प्रेरित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
बता दें इस साल योग दिवस की थीम ‘मानवता के लिए योग’ रखी गई है. इस साल योग दिवस की थीम दुनिया पर कोरोना के असर को देखते हुए रखी गई है. कोरोना महामारी ने न सिर्फ शरीर पर बल्कि मानसिक हेल्थ पर भी असर डाला है. कोरोना के चलते लोगों को चिंता, अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक और मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ा. जो कि इस समय मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. इसलिए मानवता के लिए योग का सहारा लिया जाना चाहिए.