केजरीवाल की गिरफ्तारीः भारत-अमेरिका में बढ़ा तनाव

जर्मनी के बाद अमेरिकी राजनायिक को भी बुलाकर भारत ने जताई आपत्ति

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नई दिल्ली: देश में लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. CAA और कांग्रेस के फ्रीज खातों के बाद अब अमेरिका ने केजरीवाल की गिरफ्तारी का मामला उठाया है. इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजनायिक को तलब कर अपनी आपत्ति जताई है.

हम सिद्धांत नहीं छोड़ सकते- एरिक गार्सेटी

गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका के राजदूत ने कहा कि भारत के साथ हमारी कितनी भी करीबी हो लेकिन हम अपने सिद्धांत को नहीं छोड़ सकते हैं. वहीं, अमेरिका के इस बयान के बाद भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए साफ कह दिया है कि अमेरिका को दूसरों की संप्रभुता का सम्मा न करना होगा. इस बढ़ी हुई तनातनी के बीच विशेषज्ञों ने अमेरिका को फटकार लगाई है और कहा है कि वह यूक्रेन युद्ध के समय दी गई धमकी वाली गलती को फिर से दोहरा रहा है.

अंतर्राष्ट्रीय बनता जा रहा केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा

बता दें कि केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा अब धीरे- धीरे अंतर्राष्ट्रीय बनता जा रहा है. केजरीवाल की गिरफ्तारी की बाद जर्मनी और अमेरिका ने आपत्ति जताई तो भारत ने भी दोनों देशों की राजनायिक को बुलाकर इस मामले में आपत्ति दर्ज कराई और इसे अपना घरेलू मामला बताया.

दूसरी ओर अमेरिका ने कहा कि- वह निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर क़ानूनी प्रक्रियाओं को अंजाम तक पहुंचाने का समर्थन करता है और उसे नहीं लगता कि इस पर “किसी को आपत्ति होनी चाहिए.”

भारत ने यह कहा…

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि “हम भारत में कुछ क़ानूनी प्रक्रियाओं पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हैं. कूटनीति में किसी देश से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है. एक लोकतांत्रिक देश से यह उम्मीद और भी बढ़ जाती है. भारत की क़ानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर फ़ैसला सुनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उस पर सवाल खड़े करना अनुचित है.”

केजरीवाल पर जर्मनी का बयान…

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मन दूतावास ने भी आपत्ति जताई थी. कहा था कि- भारत एक लोकतांत्रिक देश है. हम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से जुड़े मानकों को इस मामले में भी लागू किया जाएगा.”

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उन्होंने कहा, “आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह केजरीवाल भी निष्पक्ष सुनवाई के हक़दार हैं. इसमें यह भी है कि वे बिना किसी प्रतिबंध के सभी उपलब्ध क़ानूनी रास्तों को इस्तेमाल कर सकें.”

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