करुण कुमार विदेशों में आम निर्यात कर कमा रहे लाखों

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खेती और किसानी को लोग अब घाटे का सौदा मानते हैं शायद इसीलिए आज के समय में कोई भी ज्यादा खेती की तरफ नहीं भाग रहा है। कुछ सालों में देश के अंदर सूखे और कई आपदाओं की वजह से किसान भी अब खेती करने से कतराने लगा है। लेकिन उसके पास कोई अन्य साधन न होने की वजह से वो खेती मजबूरी में करता है।

खेती करना भारत जैसे देश में इसलिए भी घाटे का सौदा माना जाता है क्योंकि यहां पर उच्च तरनीकी और अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों की कमी है। साथ ही किसानों को इसलिए फायदा भी नहीं मिल पाता है क्योंकि वो सिर्फ पारंपरिक खेती को ही ज्यादा तवज्जो देते हैं।

करुण कुमार किसानों के लिए बने मिसाल

लेकिन इन सब किसानों और खेती करने वालों के लिए सहारनपुर जिले के मारवा गांव मं रहने वाले करुण कुमार मिसाल पैदा कर रहे हैं। आप को बता दें कि करुण ने करीब 70 टन आम विदेशों में निर्यात कर नवाब ब्रांड का डंका बजाने के साथ ही लाभ भी कमाया है। करुण ने अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान जैसे देशों में आम पहुंचाया है।

यूरोपीय संघ की पाबंदी के बावजूद इस साल जिले से करीब 121 टन आम का निर्यात किया गया। इसमें से 70 टन आम का योगदान मरवा गांव के किसान से निर्यातक बने करुण कुमार गुरेजा का रहा। उन्होंने अपने बागों से दशहरी, लंगड़ा और चौसा आम का कई देशों में निर्यात किया।

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200 रुपए प्रति किलो का आया खर्च

मंडी समिति की ओर से जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग से प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने बागों में एक्सपोर्ट क्वालिटी के आम पैदा कर निर्यात करने की ठानी। बागवान करुण कुमार के अनुसार आम को विदेश भेजने में उनको करीब 200 रुपये प्रति किलो का खर्च आया। इसमें 35 से 40 रुपये किलो आम, करीब 100 रुपये भाड़ा, 20 रुपये पैंकिग और 22 रुपये प्रोसेसिंग शुल्क शामिल हैं।

इन देशों में निर्यात किया आम

आम आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 360, अमेरिका में 400 से 450 और जापान में 500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिका। उन्हें मंडी परिषद की ओर से 26 रुपये किलो के हिसाब से अनुदान भी प्राप्त हुआ। इसमें 13 रुपये ब्रांड प्रमोशन और 13 रुपये किराया अनुदान है।

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