कभी भूखे रहकर रात गुजारने वाले इस शख्स ने, खड़ी कर दी अरबों की कंपनी

0

दुनिया में बहुत से ऐसे  लोग हैं जिन्होंने  अपनी मेहनत के दम पर सफलता पाई है। क्योंकि कहते  हैं मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। बस जिस काम को  आप कर रहे हैं उसके प्रति ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपना कर्तव्य निभाएये एक दिन आप को सफलता ढूंढती हुई आप के दरवाजे पर दस्तक जरुर  देगी।

कुछ लोगों को दौलत विरासत में मिल जाती है तो कुछ को किस्मत से, लेकिन आज हम जिस शख्स की कहानी आप को बताने जा रहे हैं उसको न दौलत विरासत में मिली न ही किस्मत से। इस शख्स ने अपनी मेहनत के दम पर खुद को सफल लोगों की लाइन में लाकर खड़ा कर दिया।

कहानी एक ऐसे परिवार और एक इंसान की है जिसके घर में कभी खाने के अन्न का एक दाना भी नही हुआ करता था। लेकिन उसके बाद भी उस परिवार के लोग और उस इंसान ने कभी हार नहीं मानी। कई-कई रात भूखा सोना पड़ता था।

अगर बारिश होने लगती थी तो अमीरों को उस बारिश की बुंदो से जहां एक तरफ खेलने और देखने में मजा आता था तो वहीं इस परिवार को अपना सिर छुपाने के लिए सोचना पड़ता था कि कहां बैठ जाएं कि  बारिश से बच जाएं। फिलहाल बताते हैं इस इंसान की वो दास्तां जिसके बारे में जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे  कि दुनिया में गरीबी इस कदर भी होती है।

Also read : चौथी बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ कर रच दिया इतिहास

बात कर  रहे हैं स्कॉटलैंड के एक छोटे से शहर में रहने वाले कार्नेगी की। जिसने एक गरीब परिवार में जन्म लिया। कार्नेगी ने बचपन मे ही पेट की भूख मिटाने के लिए नौकरी करने लगे थे। वो सूत कातने वाली फैक्ट्री में एक बोब्बिन ब्वॉय का काम करते थे। बोब्बिन ब्वॉय का काम ये होता था कि वो फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को लाकर बोब्बिन दिया करते थे।

हफ्ते के 6 दिन 12-12 घंटे की नौकरी। इसके बाद वो बचे हुए वक्त में रोबर्ट बर्न्स जैसे राइटर और स्कॉटलैंड के इतिहास की पढ़ाई करते थे। कारनेगी एक मेहनती लड़का था जिसे दुनिया में अपनी एक पहचान बनानी थी।  वक्त बीता काम बदला, कुछ दिनों तक मैसेंजर ब्वॉय का काम किया। लेकिन लगन कम नहीं हो रही थी, पढ़ना शौक था तो एक सिरे से वो चला जा रहा था।

मेहनती होने की वजह से उन्हें टेलीग्राफ मैसेंजर से ऑपरेटर बना दिया गया। कोलोनल जेम्स एंडरसन ने एक लाइब्रेरी खोली थी और इसकी सबसे खास बात ये थी कि ये काम करने वाले लड़को के लिए शनिवार की रात खुलता था। जेम्स ने कारनेगी की मेहनत और पढ़ने की इच्छा को देखा तो उन्होंने इन्हें पढ़ने लिखने के लिए खूब बढ़ावा दिया।

Also read : बचपन की याद दिलाता ‘अप्पूघर’

इसके बाद कारनेगी ने रेलरोड बनाने वाली कंपनियों के साथ एक-एक कर खूब काम किए। इस काम का फायदा ये हुआ कि कारनेगी को अब इस इंडस्ट्री और बिजनेस का मॉडल समझ में आने लगा था। यहीं से चीजें बदलनी शुरू हुई। अब कारनेगी ने पैसे कमाने भी शुरू कर दिए थे। यहां से उन्होंने स्टील और ऑयल कंपनियों में भी इन्वेस्टमेंट शुरू कर दिए। यहां उन्हें अच्छा खासा फायदा मिला। धीरे धीरे बिजनेस बढ़ने लगा।

हालात ये हो गए कि साल 1889 के दौर में कारनेगी स्टील कॉरपोरेशन अपने तरह की दुनिया कि सबसे बड़ी स्टील कंपनी हो गई। इसके बाद कारनेगी दुनिया के सबसे धनी आदमी में से एक हो गए। स्कॉटलैंड से अमेरिका आया एक गरीब लड़का अमेरिका को समृद्ध करने वाले लोगों में से एक हो गया। 1901 में कारनेगी ने अपनी स्टील कंपनी कारनेगी स्टील को जेपी मॉर्गन को $480 मिलियन में बेच दिया।

इन पैसों में से लाखों नहीं बल्कि करोड़ों उन्होंने न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी को दान कर दिया। कारनेगी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नाम से एक यूनिवर्सिटी बनाई, जिसे अब कारनेगी-मेल्लोन यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है।  शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए कारनेगी फाउंडेशन का गठन किया और भी ना जाने कितने ही काम किए।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More