…ताकि मेरी सृजनात्मकता में ताजगी बनी रहे : गजरा

0

प्रसिद्ध टेलीविजन धरावाहिकों – ‘बालिका वधू’, ‘अस्तित्व – एक प्रेम कहानी’, ‘ज्योति और बुद्धा’ की लेखिका गजरा कोटारी जो कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं, उनका कहना है कि अपने दो दशक से लंबे लेखन के कैरियर में वे उस मुकाम पर पहुंच चुकी हैं, जहां वे युवा लेखकों/लेखिकाओं का संरक्षक बनना चाहेंगी।

ताकि मेरी सृजनात्कमा में ताजगी बनी रहे…

कोटारी ने मीडिया को  साक्षात्कार में बताया, “मैं करीब 20 वर्षो से दिन-रात एपिसोड लिख रही हूं। मैंने जो अनुभव हासिल किया है, उसका मैं सदुपयोग करना चाहती हूं। मैं समझती हूं कि मैं युवा लेखकों/लेखिकाओं की संरक्षक बन सकती हूं। हाल ही में मैंने ऐसा करना शुरू किया है और अब मैं कम लिखना चाहती हूं, ताकि मेरी सृजनात्कमा में ताजगी बनी रहे।”

हाल ही में उनकी किताब ‘गर्ल्स डोंट क्राई’ आई

उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकार के तौर पर की थी और बाद में लेखिका बन गई। उन्होंने महेश भट्ट को अपनी एक किताब भेंट में दी थी, जिसके बाद गजरा कोटारी का कैरियर चल पड़ा। उन्होंने कई छोटी कहानियां और उपन्यास लिखे हैं। हाल ही में उनकी किताब ‘गर्ल्स डोंट क्राई’ आई है।

read more :  कश्मीर को अपनी पहचान बनाए रखनी चाहिए : राजनाथ

पहला टीवी सीरीयल ‘हमारे तुम्हारे’ था

कोटारी याद करते हुए कहती हैं, “मेरी छोटी कहानियों का पहला संग्रह ‘फ्रेजाइल विक्ट्रीज’ थी, जो 1996 में प्रकाशित हुई थी। मैंने अपनी किताब की एक कॉपी महेश भट्ट को भेंट की थी। उनकी पत्नी सोनी राजदान ने उस किताब को पढ़ा था। वे टीवी प्रोडक्शन के क्षेत्र में जाना चाहती थी और धारावाहिक बनाने के लिए किसी अच्छी कहानी की तलाश में थी। हम मिले और उन्होंने मुझे टेलीविजन की दुनिया में ब्रेक दिया और मेरा पहला टीवी सीरीयल ‘हमारे तुम्हारे’ था, जिसकी मैंने कहानी और पटकथा लिखी थी।”

पटकथा लेखन ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए

गजरा की किताबों में द लास्ट लाफ (2003), ब्रोकेन मेलोडिज (2011) और वंस अपॉन ए स्टार (2014) शामिल है। उनकी टेलीविजन के लिए पटकथा लेखन ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए हैं, जिसमें इंडियन टेलीविजन एकेडमी पुरस्कार, आरएपीए पुरस्कार, इंडियन टैली पुरस्कार और ग्लोबल इंडियन टेलीविजन बेस्ट राइटर पुरस्कार शामिल हैं।

थोड़े दिनों के लिए एक पत्रकार के रूप में काम किया

वे कहती हैं, “मैंने थोड़े दिनों के लिए एक पत्रकार के रूप में काम किया था, लेकिन मां बनने के बाद मैंने पूरी तरह मातृत्व का आनंद उठाने के लिए अपने काम से ब्रेक ले लिया। जब जीवन थोड़ा स्थिर हुआ तो मैंने पाया कि मुझे दूसरों की लिखी कहानियां पढ़ने की बजाय खुद कहानी लिखना ज्यादा पसंद है! इसी के बाद मेरी लघु कहानियों की पहली किताब सामने आई। जब दोपहर में मेरी बेटी मेरे गोद में सो जाती थी, तो मैं लिखती थी। वह बिस्तर पर सोने की बजाए दोपहर में मेरी गोद में सोना पसंद करती थी।”

टीवी सीरियलों का रिकॉर्डेड एपिसोड देखती हैं

उन्होंने कहा, “कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं शायद उसी के कारण इतनी ज्यादा कहानियां लिख पाई। मैं क्लिपबोर्ड पर सादे कागज लगाकर बड़ी सावधानी से लिखा करती थी, ताकि उस दौरान वह जाग ना जाए।”गजरा कहती हैं कि टेलीविजन बैठकों और नरेशन के बीच औसतन वह रोजाना कम से कम 2-3 घंटे लिखती हैं। उनका कहना है कि दिन के अंत में उन्हें अपने परिवार के साथ वक्त बिताना पसंद है और वे टीवी सीरियलों का रिकॉर्डेड एपिसोड देखती हैं।

तीन उपन्यास लिखने की योजना बनाई है

उन्होंने बताया, “जब भी उनके मन में कोई सृजनात्मक बात आती है तो झट से उसका नोट बना कर रख लेतीं है और बाद में उसे विस्तार से लिखती हैं।”गजरा इस प्रश्न के जवाब में कहती हैं, “कुछ प्रमुख चैनलों पर कुछ शो आनेवाले हैं, जिनके लिए मैं लिख रही हूं और मैंने कम से कम तीन उपन्यास लिखने की योजना बनाई है, जिनके लिए मैं काफी उत्साहित हूं।”

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More