देश के पहले लोकपाल बने जस्टिस घोष, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

0

भारत के पहले लोकपाल जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने शनिवार को शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू और भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी मौजूद रहे।

9 ज्यूडिशियल मेंबर भी शामिल—

लोकपाल की सूची में 9 ज्यूडिशियल मेंबर भी शामिल है। जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को चेयरर्पन बनाया गया है। राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस दिलीप बी भोंसले, जस्टिस पीके मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी और जस्टिस एके त्रिपाठी को न्यायिक सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है। दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामासुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉ. गौतम की बतौर सदस्य नियुक्ति की गई है।

2013 में पारित हुआ था लोकपाल कानून—

लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 में पारित किया गया था। इसके तहत कुछ श्रेणियों के सरकारी सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान है। लोकाल समिति में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य हो सकते है। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होने चाहिए। इनमें से कम से कम 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होनी चाहिए। चयन के पश्चात अध्यक्ष और सदस्य पांच साल या 70 साल की आयु तक पद पर रहेंगे।

कौन है जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष—

जस्टिस पीसी घोष सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। इसके अलावा वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं। जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष अपने दिए गए फैसलों में मानवाधिकारों की रक्षा की बात करते थे। साथ ही वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं। उन्हें मानवाधिकार कानूनों पर बेहतर समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है।

 

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव: BSP ने जारी की पहली सूची, इन 11 उम्मीदवारों के नाम

यह भी पढ़ें: ‘बालाकोट’ एयरस्ट्राइक पर इन नेताओं ने उठाये सवाल, मिला ये जवाब…

 

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More