झारखंड चुनाव : भाजपा की हार के बड़े कारण
झारखंड चुनावी नतीजों और रुझानों ने साफ कर दिया है कि एक और राज्य अब भाजपा के हाथ से निकल चुका है। कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने वाली भाजपा को झारखंड में भी हार का सामना करना पड़ा है।
2014 के विधानसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार 30 सीटों से नीचे सिमटती हुई दिख रही है। वहीं चुनाव नतीजों में विपक्षी महागठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई है।
गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। ऐसे में अब भाजपा के हाथ से एक साल में पांचवा राज्य झारखंड हाथ से निकल गया है।
चुनावी रण में अकेली बीजेपी-
इस हार का सबसे बड़ा कारण है भाजपा का चुनावी रण में अकेले पड़ जाना। चुनाव से ठीक पहले राज्य में भाजपा के सहयोगी पार्टियों ने उसका साथ छोड़ दिया।
विपक्ष की किलेबंदी-
भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने मोर्चाबंदी कर एक साथ चुनाव लड़ा। अब नतीजे भी बता रहे हैं कि विपक्ष की यह किलेबंदी भाजपा को सत्ता से बाहर करने में कितनी कारगर रही।
बड़े नेताओं की खींचतान-
राज्य में भाजपा की हार का बड़ा कारण बड़े नेताओं की बगावत भी रही। चुनाव के समय रघुवर सरकार में मंत्री रहे सरयू राय का बागी होकर खुद सीएम रघुबर दास के खिलाफ चुनाव लड़ना बीजेपी की हार का बड़ा कारण बनी।
मुख्यमंत्री की छवि-
सूबे की सियासत के जानकार मानते हैं कि अपने फैसलों के चलते सरकार आदिवासियों के बीच काफी अलोकप्रिय हुई। रघुबर सरकार ने कशतारी कानून में बदलाव जैसे फैसलों ने उनकी छवि पर बहुत चोट पहुंचाई।
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