गंगा में भी लग रहा है जाम, ट्रैफिक सुधारने का हो रहा इंतजाम

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वाराणसी से देवेंद्र सिंह

हेडिंग को पढ़कर आप हैरान हो रहे होंगे कि गंगा में ट्रैफिक प्लान की बात क्यों हो रही है। तो आपको बता दें कि बढ़ती नावों की संख्या और गंगा की लहरों पर शान से सफर करती क्रूज के बेहतर संचालन के लिए अब नदी में ट्रैफिक प्लान लागू किया जाएगा। इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है।

वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि गंगा में नावों के संचालन और क्रूज आदि के चलते जल परिवहन पर दबाव बढ़ा है। इसे देखते हुए गंगा में फ्लोटिंग डिवाइडर से दो लेन बनाया जाएगा। जिसमें यूटर्न की व्यवस्था भी होगी। यह ट्रैफिक सिस्टम मार्च से लागू हो सकता है।

पीएम के आगमन से मिला आइडिया

इस बार देवदीपावली के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री और बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी बनारस आए थे। उन्होंने गंगा में तैरती नाव पर सवार होकर के देव दीपावली के विहंगम दृश्य को देखा था। बनारस में होने वाला यह अनूठा आयोजन पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र होता है।

लाखों दीयों की रोशनी से नहाए घाटों की सुंदर छटा को निहारने के लिए हजारों लोग उस दिन गंगा में नावों पर सवार होते हैं। पीएम की मौजूदगी की वजह से उनके आनंद में खलल नहीं पड़े इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने गंगा में टू लेन व्यवस्था की थी।

एक लेन में पीएम की नाव तो दूसरे में आम लोग सफर कर रहे थे। यह इंतजाम बेहद सफल रहा और इसकी काफी सराहना हुई। इससे ही आइडिया लेते हुए स्थानीय प्रशासन ने गंगा में टू लेन ट्रैफिक सिस्टम बनाने की तैयारी की है।

सात किलोमीटर लंबी होगी लेन-

गंगा में नावों के सुगम संचालन के लिए सड़क के नियमों की तरह ही गंगा में ट्रैफिक प्लान लागू किया जाएगा। इसके तहत बीच गंगा में डिवाइडर बनाकर नावों की आवाजाही के लिए दो लेन बनाए जाएंगे। राजघाट से अस्सी तक एक लेन होगी वहीं दूसरा अस्सी से राजघाट तक होगा।

इसकी लंबाई सात किलोमीटर होगी। बहुत से नावों इतनी लंबी दूरी नहीं तय करती हैं वो आठ-दस घाटों तक ही चक्कर लगाती रहती हैं। इसे देखते हुए लेन में यू-टर्न के लिए डिवाइडर के बीच में जगह-जगह व्यवस्था होगी।

नदी में ट्रैफिक सिस्टम को फालो कराने की जिम्मेदारी जल पुलिस की होगी। जल पुलिस के जवान अपनी नावों में सवार होकर सुबह से शाम तक गश्त कर नियमों का पालन सुनिश्चित कराएंगे। नियमों का पालन नहीं करने वालों पर उचित कार्रवाई भी की जाएगी।

बेलगाम होती जा रही हैं नावों की संख्या-

अवैध वाहनों के संचालन की समस्या सिर्फ सड़कों पर ही नहीं है गंगा में भी सैकड़ों ऐसी नावों संचालित हो रही हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। गंगा में नावों के संचालन के लिए उनका नगर निगम में रजिस्ट्रेशन कराना होता है।

इसके लिए बकायदा शुल्क देना होता है। साथ ही यात्री सुरक्षा को लेकर बनाए गए निगम के नियमों के पालन भी करना होता है। इन सबसे परे मोटी कमाई को देखते हुए नावों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

नगर निगम में महज 350 नावों का रजिस्ट्रेशन है जबकि 2000 से अधिक नावों चल रही हैं। जिसके चलते गंगा में नावों के संचालन में मुश्किल हो रही। साथ ही दुर्घटना की आशंका बढ़ती जा रही है।

नियमों की अनदेखी के चलते कुछ दिनों पहले ही एक नाव गंगा में समा गयी और उसमें चार युवकों की डूबने से मौत हो गयी। इन सबके बीच गंगा में क्रूज का संचालन भी हो रहा है। बनारस से हल्दिया तक वाटर वे तैयार किया जा रहा है जिसके बड़ी नावों का आना-जाना लगा रहेगा। ऐसे में नाविकों की मनमानी और सुरक्षा नियमों की अनदेखी भारी पड़ जाएगी।

साफ-सुथरा होगा वातावरण-

गंगा में हैंड पुलिंग नावों की संख्या तो बढ़ रही है मोटर बोट भी बड़ी संख्या में संचालित हो रही हैं। इनके डीजल इंजन से निकलने वाला काला धुआं नदी और आसपास के वातावरण को प्रदूषित करता है।

इस समस्या को दूर करने के लिए गंगा में चलने वाली डीजल नावों को सीएनजी में कन्वर्ट करने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। सीएनजी नावों के गंगा में आने से उनकी रफ्तार भी बढ़ने की उम्मीद है।

हालांकि इसके पहले ई बोट चलाने का प्रयास किया गया था। कई नावों में बैटरी भी लगायी गयी लेकिन कम रफ्तार और बार-बार बैटरी रिचार्ज की समस्या की वजह से यह खास सफल नहीं हो सका।

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