…तो इसलिए 14 सितम्बर को मनाया जाता है ‘हिन्दी दिवस’

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ये सच है कि हमारे देश में हिन्दी भाषा को जानने और पढ़ने वाली आबादी का प्रतिशत अधिक है। लेकिन आज की कान्वेंट एजुकेटेड पीढ़ी के बच्चों में शायद ही कोई होगा जो सही तरह से हिन्दी बोलने लिखने आती होगी। कारण यह है कि आजकल अंग्रेजी भाषा बोलना फैशन और हिन्दी को पिछड़ों से जोड़ लिया जाता है। आज हिन्दी दिवस के मौके पर आइये आपको हम हिन्दी भाषा से जुड़ी कोई अहम बाते बताते है।

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हिन्दी दिवस के रूप में मनाने के पीछे लंबा इतिहास छिपा है

हमारे देश के बड़ी सख्या में लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं। हिंदी भाषा उनके कामकाज का भी हिस्‍सा है। पूरे देश में हिन्दी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। हालांकि इस 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने के पीछे लंबा इतिहास छिपा है। एक नजर इस इतिहास पर -आजाद भारत के लिए भाषा का सवाल बड़ा बन गया था क्योंकि यहां सैंकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। छह दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ।

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भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343…

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया। इसके बाद से हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा। स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है। संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।

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 हिन्दी दिवस से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है

लेकिन जब राजभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेज़ी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। राजभाषा सप्ताह या हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है।

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2006 में आधिकारिक दर्जा और वैश्विक पहचान मिली

इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबंध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है। हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस भी मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महाराष्‍ट्र के नागपुर से साल 1975 में हुई थी। हालांकि इसे साल 2006 में आधिकारिक दर्जा और वैश्विक पहचान मिली।

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