यू ही नहीं हो रहा 2028 का जिक्र, जर्मनी और जापान को ऐसे पछाड़ेगा भारत

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते बुधवार को साल 2028 का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था की चमकती रोशनी होगी और अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. ये बात उन्होंने यूं ही नहीं कही. अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन होने के क्या मायने हैं, इसके पीछे कई कारण हैं.

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का अनुमान है कि अगले पांच साल में देश की आर्थिक ग्रोथ 6.5 फीसदी से 7 फीसदी के बीच रहने वाली है. यह गति देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान देगी. एसबीआई यहीं नहीं रुकता है और कहता है कि जीडीपी वृद्धि की इस दर के साथ, 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 साल का जश्न मनाएगा, तब तक अर्थव्यवस्था 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी.

जिस तरह से देश में शेयर बाजार और मैन्युफैक्चरिंग के जरिए विदेशी निवेश आ रहा है, उससे देश को पांच ट्रिलियन या उससे ज्यादा जीडीपी साइज वाला देश बनाने में मदद मिलेगी. देश के एक दर्जन राज्यों की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी महाशक्ति बनाने में भी मददगार साबित होगी. ऐसे ही कई कारक होंगे जो भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएंगे. तो आइए आज उन पन्नों को पलटें और समझने की कोशिश करें कि आखिर वो कौन से कारण हैं जो देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था का सिरमौर बनाने में मददगार साबित होंगे.

देश की आर्थिक वृद्धि…

SBI रिसर्च की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहेगी. अर्थशास्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2014 के बाद से देश ने जो रास्ता चुना है, उससे पता चलता है कि मार्च 2023 के वास्तविक जीडीपी आंकड़ों के आधार पर भारत 2027 (वित्त वर्ष 2027-28) तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। क्या होगा.

अगर साल 2014 से तुलना करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था 10वें स्थान पर थी. इस लिहाज से इसमें सात पायदान का सुधार होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पिछले अनुमान से दो साल पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर सकता है। पिछले अनुमान में भारत के 2029 में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद जताई गई थी.

वर्तमान समय में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 फीसदी रहेगी. इससे कुल विकास दर 6.5 फीसदी से ऊपर जा सकती है. देश के लिए 6.5 से 7.0 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना अब एक नया चलन बन गया है. भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहेगी. एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अर्थव्यवस्था अब भी आदर्श स्थिति में है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना किसी भी पैमाने पर भारत के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी.

अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि…

वहीं इस दौरान देश के आर्थिक आकार में बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था का आकार 1,800 अरब डॉलर यानी 1.8 ट्रिलियन डॉलर बढ़ जाएगा. जो ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था के मौजूदा आकार से भी ज़्यादा है. साफ है कि देश की अर्थव्यवस्था न सिर्फ दौड़ेगी बल्कि तेजी से दौड़ती हुई नजर आएगी.

भारत की ग्लोबल इकोनॉमी में हिस्सेदारी…

अब भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ को जरा दूसरे नजरिये से भी समझने की कोशिश करते हैं. एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट में साफ लिखा हुआ है कि ग्लोबल जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 2027 तक फीसदी तक हो सकती है. जोकि मौजूदा समय में 3.5 फीसदी है. जबकि साल 2014 में यह आंकड़ा 2.6 फीसदी का था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस दौरान इकोनॉमी के साइज में हर दो साल में 750 अरब डॉलर का इजाफा होने का अनुमान है.

राज्यों की अर्थव्यवस्था में वृद्धि…

वहीं देश की रफ्तार में राज्यों की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा योगदान है. राज्यों की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होती है तो देश की रफ्तार के पहिए भी अपने आप चलने लगते हैं. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्यों की जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) साल 2027 तक 500 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगी.

आंकड़ों की बात करें तो महाराष्ट्र की जीडीपी 647 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो भारत की जीडीपी का 13 फीसदी होगा और वियतनाम की अर्थव्यवस्था के बराबर होगा. वहीं, अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो जीडीपीपी 515 अरब डॉलर होगी और भारत की अर्थव्यवस्था का 10 फीसदी और नॉर्वे की जीडीपी के बराबर होगी. इस सूची में तमिलनाडु 426 अरब डॉलर, कर्नाटक 395 अरब डॉलर, गुजरात 386 अरब डॉलर, राजस्थान 252 अरब डॉलर, आंध्र प्रदेश 243 अरब डॉलर भी शामिल हैं.

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