अयोध्या 25 साल: अयोध्या की सूरत बदली, सीरत नहीं

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अयोध्या से बाहर इसकी पहचान राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद से ही होती है। लेकिन अयोध्या के पास इन दोनों के इतर और भी बहुत कुछ है कहने को है। विवादित ढांचा गिरे 25 बरस बीत गए। इसके बाद मंदिर मस्जिद को लेकर दूसरे शहरों में तनाव रहा होगा, लेकिन अयोध्या की जैसी बुनावट है कि यहां दोनों समुदायों में कभी कोई तनाव नहीं रहा। विवादों के कारण अयोध्या नगरी की सूरत तो बदली लेकिन इसका मिजाज नहीं बदला है। छह दिसंबर 1992 के बाद बढ़े सुरक्षा इंतजामों से लोग परेशान जरूर हैं लेकिन साथ-साथ है।

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रामजन्मभूमि के आसपास के चौराहे आबाद होकर अब बाजार में तब्दील हो गए हैं। हनुमानगढ़ी से रामजन्मभूमि दर्शन मार्ग पर नई बाजार व राम गुलेला बाजार प्रमुख हैं। हनुमान गढ़ी और उसके आसपास की सड़कों पर दोनों तऱफ दुकानें हैं। चूड़ियों की दुकानें, सिंदूर और चंदन की दुकानें, मूर्तियों की दुकानें, धार्मिक साहित्य की दुकानें, पूजन सामग्री की दुकानें हैं। अयोध्या ख्याति में भले ही हिंदू तीर्थ है लेकिन मंदिरों में हर जाति के महंत हैं तो सड़कों पर हर जाति धर्म के दुकानदार।

अर्ध सैनिक बलों की 12 कम्पनियां तैनात

हनुमान गढ़ी से आप रामजन्म भूमि की ओर चलेंगे तो खंडहरों और उजड़े मंदिरों की उदासी बढ़ जाती है। रामजन्म भूमि के आसपास का इलाकों में कड़ी सैनिक सुरक्षा तैनात है। रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला की सुरक्षा के लिए तीन अलग-अलग घेरे बनाए गए हैं। पहला घेरा आइसोलेशन जोन है जो सीआरपीएफ के हवाले है। सीआरपीएफ की इस पर हर वक्त पैनी नजर रहती है। यहां एक समय में पांच कम्पनी सीआरपीफ के जवान व एक महिला कम्पनी तैनात रहती है। आठ-आठ घंटे की ड्यूटी के लिहाज से यहां अर्ध सैनिक बलों की 12 कम्पनियां तैनात हैं। खुफिया कर्मियों की नजरें हर दर्शनार्थी पर टिकी रहती हैं।

तीन-तीन क्षेत्राधिकारी भी यहां तैनात किए गए हैं

इसके साथ ही रामलला की व्यक्तिगत सुरक्षा में भी कमांडो के अलावा पूरी गारद तैनात है। पूरे 70 एकड़ के अधिग्रहीत परिसर में 13 वाच टावर एवं दो दर्जन के करीब मोर्चे हैं। दो बुलेटप्रूफ कारें भी मौजूद हैं। एडीएम कानून व्यवस्था और एसपी सुरक्षा परिसर में ही तैनात हैं। इसके अतिरिक्त तीन-तीन एसडीएम व तीन-तीन क्षेत्राधिकारी भी यहां तैनात किए गए हैं। इसी तरह दूसरा घेरा रेड जोन और तीसरा घेरा यलो जोन का है। रेड जोन के अन्तर्गत पूरा अधिग्रहीत परिसर आता है। वहीं यलो जोन में पंचकोसी परिक्रमा के अन्तर्गत आने वाली पूरी अयोध्या शामिल है।

पुलिस वालों का कोपभाजन बनना पड़ता है

इन क्षेत्रों में 14 कम्पनी पीएसी के अलावा करीब सिविल पुलिस के डेढ़ हजार जवान तैनात है। पूरे रेड जोन में 44 सीसीटीवी कैमरे हैं। यलो जोन में भी 64 सीसीटीवी एवं आटो डोम कैमरे लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा बढ़ने के बाद बढ़ी बंदिशों के कारण स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रामजन्मभूमि आने वाले हर रास्ते पर बैरिकेडिंग है। बैरिकेडिंग के कारण रामकोट के इलाके में रह रहे नागरिकों और संतों को आए दिन पुलिस वालों का कोपभाजन बनना पड़ता है। मंदिरों में होने वाले उत्सव के साथ-साथ नागरिकों के यहां शादी-विवाह का आयोजन भी प्रभावित होता है।

मूलभूत सुविधाओं का अब भी अभाव

प्राय: लोग घर से दूर शादी समारोह के आयोजन के लिए मजबूर होते हैं। रामजन्मभूमि के दर्शन मार्ग पर चाय बेचने वाले बबलू सैनी कहते हैं रात में यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल ले जाने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। सुरक्षा के कारणों से बाहर से गाड़ियां नहीं आ सकतीं। रामजन्मभूमि के करीब जलपान की दुकान चलाने वाले सीताराम यादव कहते हैं बाजार तो गुलजार हुए हैं लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अब भी अभाव है। रोडवेज बस अड्डा समाप्त हो जाने के कारण दिक्कत है।

अयोध्या हमेशा शांत थी और रहेगी

दर्शन मार्ग पर धार्मिक पुस्तकों के विक्रेता इन्दू निषाद कहती हैं कि रामलला के दर्शनार्थियों के लिए और सुविधाएं जुटाई जानी चाहिए। मेलों के दौरान कतार में लगे दर्शनार्थियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। हनुमान गढ़ी में चूड़ी बेचने वाले यूसुफ मियां कहते हैं, अयोध्या हमारी जन्मभूमि है, हम यहीं पैदा हुए, यहीं बड़े हुए, यहीं पर रोज़ी-रोटी चलती है, हमें तो आज तक कोई परेशानी नहीं है। हमें नहीं पता कि यर्ह हिंदू मुसलमान झगड़ा किसने पैदा किया। यह करने वाले अयोध्या के लोग नहीं हैं। अयोध्या हमेशा शांत थी और रहेगी।

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1992 में छह दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के बाद देश में फैला था तनाव
16 दिसंबर 1994 को ढांचा गिराने की जांच को लिब्रहान आयोग बना
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया
14 कम्पनी पीएसी और 12 कम्पनी सीआरपीएफ तैनात है रामलला की सुरक्षा में
70 एकड़ अधिग्रहित परिसर में 13 वाच टावरों से रखी जाती है नजर

(साभार – हिंदुस्तान)

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