बच्चों और बुजुर्गों में बढ़ रही है अवसाद की समस्या

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भागदौड़ और तनाव भरे इस युग में किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरना भी बड़ी चुनौती है। तनाव को कम करना और लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने को अपना मकसद मान चूके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आईएमएस मनोचिकित्सा विभाग के प्रो. डा. संजय गुप्ता लोगों के बीच खुशहाली गुरु के नाम से विख्यात है।डा. गुप्ता लोगों में बढ़ते तनाव को लेकर कहते है कि तनाव होने का कोई उम्र नहीं है। वह बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक हर किसी को हो सकता है।

मित्रवत व्यवहार रखें तो काफी हद तक सूरत बदल सकती है

स्कूल जा रहे बच्चों के बस्ते का बोझ जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, वह अपनी क्षमता के अनुसार तनाव में आता जाता है। वैसे ही जिंदगी को जीने और रिश्ते को बनाने का अपना एक अलग तनाव है जिससे हर कोई गुजर रहा है। हर व्यक्ति अपने हिसाब से जीवन जीना चाहता है। मगर यह हर वक्त संभव हो यह मुमकिन नहीं, इसलिए बच्चों में आत्मघाती कदम उठाने के मामले तेजी से बढ़ रहे है। वह कहते है कि जब बोर्ड इंग्जाम करीब होता है तो, बच्चों में तनाव की स्थिति बढ़ जाती है। ऐसे में यदि अभिभावक बच्चों से मित्रवत व्यवहार रखें तो काफी हद तक सूरत बदल सकती है।

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डा. संजय गुप्ता बताते है कि आज अस्पताल में लाखों ऐसे मरीज है जो बिना बीमारी के ही परेशान हैं। इनमें युवा पीढ़ी छात्र-छात्राओं की संख्या ज्यादा है। लोगों से आगे बढ़ते की होड़ और बढ़ती ख्वाहिशें डिप्रेशन का मुख्य कारण बन गयी है। न्यूरो संबंधित अधिकतर बीमारी तनाव के वजह से उत्पन्न होती है। यदि नियमित व्यायाम और खुश रहने की आदत डाल ली जाए तो ज्यादातर मामलों में दवा खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।डा. गुप्ता बताते है कि उनके द्वारा चलायी जा रही ‘खुशहाली’ अभियान के तहत इन दिनों स्ट्रेस में चल रहे युवाओं की संख्या बढ़ गयी है। वह कहते है कि कुछ दिनों बाद बोर्ड एक्जाम आने है, उसके साथ ही आज की युवा पीढ़ी अपनी नई आजादी के लिए लड़ रहा है, अपनी राह खुद चुनना चाहता है। आज कैरियर चॉइस बच्चो के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है।

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ऐसे में युवाओं पर यदि अभिभावक अपनी मर्जी थोपेंगे तो वह भी एक तनाव का कारण बन रहा है। आज तमाम लोग प्रकृति से दूर है जो स्ट्रेस के शिकार होते है, मेरा मानना है कि जिस दिन आप प्रकृति से जुड़ेंगे उस दिन आपको अंदर से ताज़गी आएगी। आगामी 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन इस बार ड्रिप्रेसन विषय पर लोगो को जागरूक करेगा। जो व्यक्ति खुश रहेगा या इस साइंटिफिक मंत्र को रोज सुबह दोहरा ले ‘आज जो होगा अच्छा होगा, आज जो होना है बहुत अच्छा होना है।’ इस मंत्र को बोलने से सकारात्मक क्रिया चालू हो जाएगी। मेरा 100 फीसदी मानना है जिस दिन व्यक्ति खुश रहेगा तनाव से दूर रहेगा तब वह एक खुशहाल समाज का निर्माण करेगा। जिसमे समाज मे फ़ैली विकृतियां और कुरीतिया अपने आप समाप्त हो जाएंगी।

बोर्ड एग्जाम देने वाले बच्चे रहे खुश

जीत और हार किसी भी परीक्षा का परिणाम है। ऐसे में किसी विषय को लेकर बहुत ज्यादा चिंता करने की बात नहीं है। यदि किसी अभिभावक का बच्चा जिसे बोर्ड परीक्षा देना है वह अभी से परिवार से ज्यादा कटने, अलग-अलग रहने या उदास रहने लगा है तो ऐसे बच्चों को मनोचिकित्सकों के पास जरूर ले जाए। मनोचिकित्सक बच्चे को रिफ्रेश करेंगे। साकारात्मक उर्जा के साथ उनके अंदर जोश भरेंगे और बच्चे को डिप्रेशन में जाने से पहले ही उन्हें बचाया जा सकेगा।

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