ISRO ने लॉन्च किए सिंगापुर के लिए दो सैटेलाइट

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वाराणसी: अंतरिक्ष उड़ान को लेकर अब दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो शनिवार दोपहर अपनी PSLV के साथ सिंगापुर के दो सैटेलाइट को लॉन्च करेगा. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2.22 बजे PSLV-C55 रॉकेट लॉन्च होगा. सिंगापुर के दो सैटेलाइट की लॉन्चिंग POEM प्लेटफॉर्म के जरिए की जाएगी. इस लॉन्चिंग के बाद ऑर्बिट में भेजे जाने वाले विदेशी सैटेलाइट की संख्या बढ़कर 424 पहुंच जाएगी. क्या है PSLV, सिंगापोर के लिए अंतरिक्ष में जाकर क्या करेंगे दोनों सैटेलाइट

क्या है PSLV?

यह भारत में पीएसएलवी की 57वीं उड़ान होगी. दरअसल PSLV स्टेज वाला रॉकेट होता है, इसके तीन हिस्से समुद्र में गिर जाते हैं. इसके चौथे हिस्से को PS4 कहते हैं, यह सैटेलाइट को उसकी कक्षा में पहुंचाने का काम करता है. उसे पहुंचाने के बाद यह अंतरिक्ष में कचरा बनकर रह जाता है. 44.4 मीटर लम्बा रॉकेट शनिवार को दोपहर को लॉन्च होगा.

सिंगापुर के लिए अंतरिक्ष में जाकर क्या करेंगे दोनों सैटेलाइट…

 

सिंगापुर के लिए दो सैटेलाइट TeLEOS-2 और LUMELITE-4 इसरो से होंगे लॉन्च

1. TeLEOS-2: यह एक रडार सैटेलाइट है जिसे सिंगापुर के डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी (DSTA) ने विकसित किया है. यह सैटेलाइट अपने साथ एक सिंथेटिक अपर्चर रडार लेकर जाएगा. इसकी मदद से दिन-रात मौसम की जानकारी मिलेगी. मौसम की भविष्यणी और सटीक जानकारी पाने के लिए इसे अंतरिक्ष में भेजा रहा है.

2. LUMELITE-4: इस सैटेलाइट को सिंगापुर के इंफोकॉम रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर ने सैटेलाइट टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर बनाया है. इसका लक्ष्य सिंगापुर में ई-नेविगेशन के जरिए समुद्र की सुरक्षा को बढ़ाना है. इसकी ममदद से दुनियाभर में समुद्रीय रास्तों से शिपिंग करने वाली कम्युनिटी को कई अहम जानकारियां देकर उन्हें फायदा पहुंचाना है.

इसरो ने पहले भी लॉन्च किए सिंगापुर के सैटेलाइट…

यह कोई पहली बार नहीं है कि जब इसरो सिंगापोर के लिए सैटेलाइट को लॉन्च कर रहा है. वर्ष 2015 दिसंबर में इसरो ने अपने PSLV-C29 मिशन के जरिए सिंगापुर के TeLEOS-1 को लॉन्च किया था. इसके साथ ही सिंगापुर के 5 अन्य सैटेलाइट भी छोड़े गए थे.

इसरो के मुताबिक, मिशन के दौरान जब सिंगापुर के दोनों सैटेलाइट अलग होंगे तो ये पेलोड कमांड के जरिए संचालित होंगे. दरअसल PS-4 टैंक के चारों तरफ सौर पैनल लगा होगा. सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद इसकी तैनाती होगी और इसे ग्राउंड कमांड के जरिए ऑपरेट किया जाएगा. इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सौर पैनल के सन पॉइंटिंग मोड का इस्तेमाल करते हुए सूर्य की तरफ रहे. इसके जरिए ही इसे बिजली मिलेगी.

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