विश्‍वनाथ मंदिर का विस्‍तारीकरण या सांस्‍कृतिक विरासत नष्‍ट करने की कुचेष्‍टा

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आशीष बागची

क्‍या काशी की सांस्‍कृतिक विरासत को नष्‍ट करने पर शासन-प्रशासन आमादा है? यह सवाल इन दिनों देश की सांस्‍कृतिक राजधानी काशी में शिद्दत से पूछा जा रहा है। ऐसा क्‍यों किया जा रहा है, इसका जवाब फिलहाल वाराणसी प्रशासन के पास साफतौर पर नहीं है। सिर्फ इतना भर कहा जा रहा है कि विश्‍वनाथ मंदिर से घाट तक का एक कारिडोर बनाया जाना है और इसके लिए बीच में पड़ने वाले भवनों को तोड़ा जायेगा। इससे दर्शनार्थी सीधे गंगा स्‍नान के पश्‍चात भोलेबाबा का दर्शन करने का सुख प्राप्‍त कर पायेंगे। अगर यही एक कारण है तो फिर वाराणसी के वरिष्‍ठ खेल पत्रकार, सक्रिय समाजसेवी, ब्‍लागर व टीवी पैनेलिस्‍ट पद्मपति शर्मा को आत्‍मदाह की चेतावनी क्‍यों देनी पड़ी है? विश्‍वनाथ मंदिर के विस्‍तारीकरण की जो योजना बनाई गयी है और जिसके लिए 167 भवनों को तोड़ने की बात कही जा रही है, वे काशी के धरोहर भवन हैं। अगर ऐसा है तो इन भवनों को ध्‍वस्‍त करने की कुचेष्‍टा हो क्‍यों रही है?

167 भवनों का अधिग्रहण होना है

दरअसल विश्‍वनाथ मंदिर के 167 भवनों का अधिग्रहण कर 480 करोड़ की लागत से भोलेबाबा के सीधे दर्शनार्थ एक कॉरीडोर बनाने की शासन की मंशा है। इसके तहत काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तार के क्रम में 400 मीटर का कॉरीडोर बनाने तथा हर की पौड़ी की तरह गंगा की धारा को मंदिर तक पहुंचाने के लिए 167 भवनों का अधिग्रहण होना है। विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ राजस्व विभाग की टीम ने प्रस्तावित कॉरीडोर के बीच पड़ रहे भवनों का सर्वे शुरू किया है।

सात सौ मीटर लंबा दो मंजिला कॉरीडोर बनेगा

श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर विश्वनाथ मंदिर में दो मंजिला एक और कॉरीडोर भी बनेगा। यह सात सौ मीटर लंबा होगा। डिजाइन कुछ इस तरह की होगी कि एक साथ तीन हजार श्रद्धालु कॉरीडोर में खड़े हो सकें। इसकी डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है।

केंद्र-प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल

हालांकि केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार यह लगातार कह रही है कि सांस्कृतिक विरासत को छेड़े बिना बनारस का विकास होगा, लेकिन हकीकत में ऐसा दिख नहीं रहा है। इस विस्‍तारीकरण के खिलाफ ही वरिष्ठ खेल पत्रकार पदमपति शर्मा ने आत्मदाह की धमकी दी है।

प्रबल विरोध की आशंका

भवनों के सर्वे जानकारी मिलते ही काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के निवासियों की मंगलवार को हुई बैठक में ऐलान किया गया कि बाबा विश्वनाथ को गंगा दर्शन कराने के नाम पर हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत का विध्वंस नहीं होने दिया जाएगा।

जो काम बाबर-औरंगजेब नहीं कर पाये वह काम सरकार कर रही

इस बारे में पत्रकार पद्मपति शर्मा का कहना है-‘ जो बाबर-औरंगजेब नहीं कर सके वो योगी सरकार करने जा रही है!

वे आगे कहते हैं-‘महादेव की तरह ही अजन्मी काशी की सांस्कृतिक विरासत को मिटाने की साजिश एक बार फिर उफान पर है। देश की पहली राष्ट्रवादी सरकार का दावा करने वाली भाजपानीत एनडीए के राज मे यह सब हो रहा है, क्षोभ इसको लेकर है।’

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‘बताया जा रहा है कि विश्वनाथ मंदिर से सीधे मा गंगा का दर्शन कराने की सरकारी अधिकारियों की आठ साल पुरानी कुत्सित योजना को यूपी की योगी सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है। विश्वास नहीं होता कि सनातन धर्म की रक्षक होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार ने यह जानते हुए कि मंदिर के आसपास की बस्ती खुद मे हजारों साल पुरानी सभ्यता समेटे हुए है, इस योजना पर आगे बढ़ना तय किया। यानी गंगा दर्शन के बहाने 450 मीटर के दायरे मे स्थित मंदिर, धरोहर और हजारों साल पुराने स्मारक – मकान जमींदोज कर दिए जायेंगे। जो काम बाबर और औरंगजेब जैसे आक्राता मुगल शासक नहीं कर पाए वो काम हिंदुत्व रक्षक होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार प्रधान मंत्री के इस संसदीय क्षेत्र में करने जा रही है।’

वे व्‍यथित हृदय से लिखते हैं-‘मुझे सपने में भी विश्वास नहीं था कि ऐसा होगा। मगर सोमवार 29 जनवरी को विकास प्राधिकरण के लोग मेरे काशी स्थित सरस्वती द्वार के इस प्रहरी के घर आ धमके सर्वे के नाम पर।’

याचना नहीं अब रण होगा

पद्मपति शर्मा ने बड़े ही भरे मन से अपने फेसबुक वाल पर लिखा-‘इसे धमकी न समझा जाय, यह चेतावनी है नगर के उस विधर्मी अधिकारी को कि यदि ऐसा हुआ तो पहला फावड़ा चलने के साथ ही विश्वेश्वर पहाड़ी (लाहौरी टोला) की चोटी पर पूर्वजों द्वारा लगभग 175 साल पहले निर्मित मकान मे रहने वाला आपका यह नाचीज प्राणोत्सर्ग करने से कतई नहीं हिचकेगा। याचना नहीं अब रण होगा और जिस दल की आधी सदी से भी ज्यादा समय से बिना किसी कामना के नि:स्वार्थ सेवा करने वाला यह शख्स उसी दल के इस कुकर्म के विरोध में आत्मदाह पर विवश होगा, पीड़ा बस यही है।’

200 मीटर में मकानों की मरम्मत नहीं, फिर निर्माण कैसा?

इस बारे में वाराणसी के ही वरिष्‍ठ पत्रकार और विश्‍वनाथ मंदिर के पास में ही स्थित विशालाक्षी देवी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी कहते हैं-‘दुर्भाग्य की बात है कि एक ओर विरासत को बचाए रखने के नाम पर 200 मीटर में आमजन को मकानों की मरम्मत नहीं करने दिया जा रहा है और खुद सरकारी अमला ही प्राचीन इलाके को नष्ट करने में लगा है।’

बनारस को बनारस ही रहने दीजिये

दैनिक जागरण के वरिष्‍ठ पत्रकार अनिल कुमार सिंह जो इन लखनऊ में पदस्‍थापित हैं, कहते हैं-‘बनारस को बनारस ही रहने दीजिये। ये 167 मकान हेरिटेज श्रेणी में हैं। पक्‍का महाल खुद हेरिटेज श्रेणी में है। इससे छेड़छाड़ उचित नहीं है? वाराणसी का पुराना कलेक्‍ट्रेट भवन धरोहर भवन है। इनटेक एक संस्‍था है जो यूएनओ को अपनी रिपोर्ट देती है और उसकी रिपोर्ट पर ही किसी भी भवन को हेरिटेज श्रेणी का घोषित किया जाता है। कलेक्‍ट्रेट भवन को गिराकर नया भवन बनाने की बात हुई थी जिसे बाद में भारी विरोध के बाद वापस ले लिया गया था।  सरस्‍वती द्वार का एक भी भवन टूटना नहीं चाहिये।‘

विस्तारीकरण के मद्देनजर खास योजना

– पांचो पांडवा से सरस्वती फाटक तक गली चौड़ी करने का प्रस्ताव

-गली चौड़ीकरण के मद्देनजर दुकानदारों से बातचीत जारी, सहमति के आधार पर ही चौड़ीकरण होगा

-दुकानदारों को मुआवजा देने के साथ उनकी दुकानों का निर्माण भी कराया जायेगा

-ढुंढिराज गणेश, नीलकंठ द्वार समेत अन्य प्रवेश मार्गों के चौड़ा करने की योजना

एसएन त्रिपाठी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्वनाथ मंदिर

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