जानवर को काट कर नहीं बल्कि केक काट कर मनाए त्यौहार

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आज पूरे देश में बकरीद का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार की बकरीद बेहद खास है। इसे खास बना रही है एक अपील । जिसमें  कहा जा रहा है जानवर के बलि नहीं बल्कि केक काट कर मनाया जाए। इस अपील की चारो तरफ सरहाना की जा रही है।

राजधानी लखनऊ में अपील की जा रही है कि इस बकरीद पर जानवर की बलि न देकर बल्कि केक काट कर मनाया जाए।

जानवर को काटने की बजाय केक काटने का फैसला

ईद-उल-अजहा कुर्बानी का त्योहार है, इस दिन लोग किसी जानवर की कुर्बानी देकर ईद का त्योहार मनाते हैं लेकिन हर बार कुछ लोगों द्वारा इस बात पर ऐतराज किया जाता है कि त्योहार के नाम पर जानवर की कुर्बानी देना क्या ठीक है?उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस बार कुछ लोगों ने इस विवाद से बचते हुए ईद पर जानवर को काटने की बजाय केक काटने का फैसला किया है।

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क्या है रिवाज

अरब में दुम्बा (भेड़), ऊंट की कुर्बानी दी जाती है।जबकि भारत में बकरे, ऊंट और भैंस की कुर्बानी दी जाती है। अल्लाह सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने को कहा था, और अल्लाह ने हजरत इब्राहिम के बेटे को बचाकर दुम्बा कुर्बान करा दिया।

इसलिए अरब में दुम्बा की कुर्बानी का चलन शुरू हुआ। बकरे या अन्य जानवरों की भी कुर्बानी दी जाने लगी। जिन जानवरों की कुर्बानी देते हैं उसे कई दिन पहले से अच्छे से खिलाया-पिलाया जाता है। उससे लगाव किया जाता है, फिर उसी की कुर्बानी दी जाती है।

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