पंजाब पुलिस की अमानवीय तस्वीर! महिला किसान पर जुल्म, पहले लाठीचार्ज फिर थप्पड़

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लखनऊ : सोशल मीडिया पर पुलिस की अमानवीय तस्वीरें वायरल होना अब आम बात हो गई है। पुलिस को लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है, लेकिन जब वही रक्षक ही मारपीट पर उतारू हो जाए तो लोग किसके पास जाएंगे। ऐसा ही मामला पंजाब में देखने को मिला है। यहां पंजाब पुलिस का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें पुलिस महिला किसान पर पहले लाठीचार्ज करती है और फिर थप्पड़ मारने से भी बाज नही आती।

प्रोटेस्ट कर रही महिला को पुलिस ने मारा थप्पड़

पुलिस की इस तरह की तस्वीरें कई बार सोचने पर मजबूर कर देते हैं। आपने कई बार पुलिस को लाठीचार्ज करते देखा होगा। कई मामलों में कानून और संविधान की रक्षा के लिए पुलिस अपना आपा खो देती है। गुरदासपुर में पुलिस वाले ने एक महिला किसान को थप्पड़ मार दिया। यह मामला जमीन अधिगृहण का था। दिल्ली-कटरा हाईवे पर यह प्रोटेस्ट चल रहा था।

धरना दे रही महिला को थप्पड़ सही या गलत ?

जब पुलिस गुरदासपुर जिले के भ्रमरी गांव पहुंची तब किसी बात पर एक प्रोटेस्टर और पुलिसवाले की बहस हो गई। ऐसे में पुलिस वाले ने महिला प्रोटेस्टर पर हाथ उठा दिया। अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस घटना को गलत मान रहे हैं। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की क्रिमिनल लॉयर एडवोकेट शिखानी शाह से बात की गई। उन्होंने इस घटना के आधार पर विस्तार से बताया कि क्या हो सकता है और क्या नहीं। इसका जवाब है नहीं। जब तक प्रोटेस्टर्स शांति से अपना धरना दे रहे हैं तब तक पुलिस वाले जोर का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। पुलिस वालों के पास छोटी सी बात के लिए प्रोटेस्टर्स को मारने का अधिकार नहीं होता है।

प्रोटेस्टर्स शांति भंग करे तो ही कर सकते हैं फोर्स का प्रयोग- एडवोकेट

आगे एडवोकेट शिखानी शाह ने बताया कि अगर धरने या प्रदर्शन के समय प्रोटेस्टर्स की तरफ से पुलिस वालों के ऊपर जोर का प्रयोग किया जाए। अगर प्रोटेस्टर्स के द्वारा सामाजिक शांति और सार्वजनिक संपत्ति को खराब करने की कोशिश की जाए या फिर उनकी वजह से किसी व्यक्ति की जान-माल को नुकसान पहुंचाया जाए, तो प्रोटेस्टर्स पर फोर्स का प्रयोग किया जा सकता है।

कानून पुलिसकर्मी को हो सकती है थप्पड़ के लिए सजा

यह फिल्मों जैसा बिल्कुल नहीं है कि ‘सिंघम’ का मन जब भी करे वो गुंडों को सरेआम पीट दे। उसे नियम और कायदों के हिसाब से काम करना होगा।  एडवोकेट शिखानी का कहना है कि इस मामले में धारा 354 इनवोक की जा सकती है। इस धारा में महिलाओं की मर्यादा को ठेस पहुंचाने से जुड़े कानून बताए गए हैं। एडवोकेट शिखानी के मुताबिक, “सिर्फ महिला कॉन्सटेबल ही बल पूर्वक महिला प्रोटेस्टर को हैंडर कर सकती थी।” उन्होंने कहा कि अगर लाठीचार्ज या किसी भी फोर्स के कारण प्रोटेस्टर्ट को चोट पहुंची है, तो वो अपनी मर्जी से पुलिस के पास जा सकते हैं और शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। अगर प्रोटेस्टर्स बल का प्रयोग कर भी रहे हैं, तब भी महिला कॉन्सटेबल इस मामले को डील कर सकती थी।”

पंजाब ही नहीं, यूपी-एमपी पुलिस भी मार चुकी है महिलाओं को थप्पड़

ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी पुलिसवाले को किसी महिला पर इस तरह से हाथ उठाते देखा गया है। कुछ समय पहले ग्वालियर रेलवे स्टेशन के अंदर दो महिलाओं को पुलिस द्वारा पीटा जा रहा था। चौंकाने वाली बात यह थी कि वो महिलाएं अपनी गोद में बच्चों को लिए हुए थीं। स्थानीय चैनल  IBC 24 ने इसे रिपोर्ट कर बताया था कि महिला पर लाठी का प्रयोग किया गया था और उसके बाल भी खींचे गए थे। इस घटना के दौरान महिला अपने बच्चे को गोद में दबाए हुए थी।  ऐसा ही एक वीडियो उत्तरप्रदेश के अंबेडकर नगर से भी सामने आया था। वहां पुलिस वाले लाठियों से एक महिला को पीटते दिख रहे थे।  चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ जैसे कई शहरों से इस तरह के वीडियो समय-समय पर वायरल हुए हैं।

 

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