टीवी की रील कहानियों ने बनाया रियल रिश्तों का मज़ाक, अनुपमा, गुम है किसी के प्यार में… टीवी शो दे रहें रॉन्ग मैसेज़

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लखनऊ : भारतीय टीवी सीरियल्स में मेकर्स हर शो के जरिए समाज को कोई न कोई मैसेज देने का प्रयास करते हैं। लेकिन फिर भी कई ऐसे शो हैं, जिनके किरदार अपनी कहानी से गलत संदेश पहुंचा रहे हैं। इन टीवी शो में मेकर्स शादी-रिश्ते और परिवार की नींव को नुकसान पहुंच रहे हैं। जो परिपक्वता की दहलीज में खड़े बच्चों के लिए किसी ज़हर से कम नहीं है। रॉन्ग मैसेज देने वाले शो में ‘अनुपमा’ और ‘गुम है किसी के प्यार में’ शामिल है। इन सीरियल की कहानी इन दिनों कुछ ऐसा ही कंटेट परोस रही है। जो मध्यमवर्गीय परिवारों में फूट डाल रही है।

बच्चों में जहर भर रहा ‘अनुपमा’ का कंटेंट

भारतीय पारिवारिक ढांचे पर हमला है शो

सहानुभूति और अपरिपक्व ताने के लगातार दुहने के साथ अनुपमा शो इतना जहरीला है। इसमें प्रगतिशील दिखने का झूठा लेंस है। यह शो केवल अनुपमा के साथ हो रहे अन्याय और “दुनिया के शिकार” की भूमिका निभाते हुए बाकी सभी को धर्मी ताने देने के साथ शुरू और समाप्त होता है। यह शो पारंपरिक भारतीय पारिवारिक ढांचे पर हमला है। इसमें लोग “संस्कारी” होने का नाटक कर रहे हैं जो बेवकूफ ज्ञानी व्याख्यान के साथ सबसे अतार्किक बातें कर रहे हैं।

माता-पिता के संबंधों ने बच्चों को ही बांट दिया

यह शो एक परिवार में रह रहे सभी लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस शो में बच्चों से लेकर माता-पिता के बीच का संबंध भी उलझा दिखाया गया है। जहां देखने को मिलता है कि पिता का दूसरी औरत के साथ संंबंध है तो मां पहले तो अधिकार व अस्तित्व के लिए लड़ती है। यहां तक शो का कंटेंट ठीक चलता है, फिर अचानक अनुपमा को आधुनिक बना दिया गया। वह भी बच्चों की शादी की उम्र में खुद की शादी कर लेती है। इसके बाद भी शो अपनी नकारात्मकता नहीं छोड़ता है। शो में माता-पिता अलग-अलग पार्टनर के साथ रहते हुए भी एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और सभी रीति-रिवाजों के साथ में निभाते नजर आते हैं। यह सब देखकर बच्चे भी खुश हैं क्योंकि उन्हें उनके ही माता-पिता उन्हें बाहर रिश्ते बनाने की इजाजत जो दे रहे हैं।

वास्तविकता से दूर ले जा रही शो की कहानी

सबसे पहले आपको लगता होगा कि यह शो भारतीय गृहिणियों के बोझ पर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहा है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है और उपेक्षित किया जा रहा है। लेकिन यह शो केवल अवांछित कंटेंट बनाता है और सब कुछ बहुत दूर ले जाता है। अगर आपने इस शो में सख्त दिखने और कुछ नैतिकता खोजने की कोशिश की, तो यह आपको हैरान कर देगा क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है। इस शो में आप सभी पा सकते हैं कि एक मादक शिकार अधिनियम के साथ मजाक और ताना मारा गया है।

शादी-रिश्तों का मजाक बना रहा “गुम है किसी के प्यार में’

रॉन्ग ट्रैक  पर चल पड़ा शो

इन दिनों टीआरपी में तीसरे-चौथे नंबर पर चल रहा टीवी शो गुम है किसी के प्याक में की कहानी भी रॉन्ग ट्रैक पर चल रही है। इस शो के कंटेंट में अचानक से ट्विस्ट आ गया है। अनुपमा शो की तरह ही गुम है किसी के प्यार में भी शादी और रिश्तों का मजाक बनाते दिखाया जा रहा है। जो मध्यमवर्गीय परिवारों की नींव हिला सकता है।

शो का कंटेंट तोड़ रहा शादियां

यह कंटेंट देख रहे लोगों के लिए किसी जहर से कम घातक नही है। शो में जो मुख्य किरदार हैं, सई और विराट की शादीशुदा लाइफ में मेकर्स ने उथल-पुथल मचाने के लिए पहले विराट की शादी उसी की भाभी से करवा दी। बाद में सई के किरदार को भी निगेटिव पर्सन की तरह दिखा रहे हैं। शो में आगे दिखाया गया है कि सई भी बच्चों की परवरिश की चिंता छोड़कर समझौते की शादी कर लेती है। जो समाज में एक गलत संदेश दे रहा है।

टीवी के रील किरदार रियल में केवल कल्पना

ये सभी टीवी शो और कुछ नहीं बल्कि एक मध्यवर्गीय परिवार के बारे में एक उच्च वर्ग के व्यक्ति की कल्पना है। जो टीवी की रील कहानियों में दिखाया जा रहा है, वह रियल लाइफ में हो पाना भी एक कल्पना जैसा है। यदि ऐसा होता भी है तो दो परिवारों के बीच केवल कलह ही देखने को मिलेगी।  यहां ये समझ पाना भी मुश्किल होगा कि ये शो इतनी अच्छी टीआरपी हासिल करने में कामयाब कैसे हो रहे हैं।

मगर, परेशान करने वाला तथ्य यह है कि यह अभी टीवी पर प्रसारित होने वाला सबसे खराब शो भी नहीं है। इन शो को घर-घर में बड़े क्रेजिनेस के साथ देखा जा रहा है। ऐसे में क्या यह मान लिया जाए कि इन शो ने समाज के तिहाई संख्या को अपनी मांसिकता में ढाल लिया है। वर्तमान में रिश्तों में दरारें और अलगाव देखने को ज्यादा मिल रहा है। इन टीवी शो में परोसे जा रहे कंटेंट रिश्तों में क्रांति लाने के लिए अग्रसर हैं।

 

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