भारत की बढ़ी चिंता! नागरिकता के लालच में वैगनर ग्रुप में शामिल हो रहें नेपाली गोरखा
भारतीय सेना में नेपाली गोरखा सैनिकों का बड़ा योगदान रहा है। आजादी के पहले से ही नेपाली गोरखा भारतीय सेना का खास हिस्सा रहा है। 9 सितंबर 1947 में नेपाल देश के साथ हुए समझौते के बाद भारत में 90 फीसदी नेपाली सैनिक गोरखा रेजिमेंट में भर्ती किए जाते थे। उस समय में गोरख रेजिमेंट में भारतीय सेैनिकों की भर्ती केवल 10 फीसदी ही होती थी। हालांकि धीरे-धीरे ये अनुपात बढ़ाता गया। लेकिन देश में अग्निवीर योजना के आने से भारतीय सेना और नेपाली सेना के बीच हुआ समझौता प्रभावित हुआ। बीते साल हुई अग्निवीर भर्ती में नेपाली सैनिकों को गोरखा में भर्ती ही नही किया गया। क्योंकि अग्नवीर के तहत हुई भर्ती के तहत भारतीय सैनिकों को ही गोरखा में भर्ती कर लिया गया। इससे नाराज होकर अब नेपाली सैनिक वैगनर आर्मी में शामिल हो रहे हैं। जिससे अब भारत के लिए चिंता बढ़ गई है। वहीं, नेपाल सरकार द्वारा बताया गया है कि नागिरकता के लालच में आकर नेपाली सैनिक वैगनर आर्मी से जुड़ा रहे हैं।
नेपाली गोरखा अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध हैं। नेपाली के गोरखा सैनिक नेपाल के साथ-साथ भारतीय सेना के लिए भी खास हैं। लेकिन अब नेपाल के गोरखा सैनिक रूस की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। दरअसल, नेपाली गोरखा सैनिक अब वैगनर ग्रुप की आर्मी में शामिल हो रहे हैं। बता दें कि ये वही वैगनर आर्मी है, जिसने हाल ही में रूस में पुतिन के खिलाफ बगावत की थी। बताया जा रहा है कि रूस नेपाली सैनिकों को नागरिकता देने का लालच दे रहा हैं। इसी लालच में आकर नेपाली सैनिक वैगनर आर्मी में एंट्री ले रहे हैं।
रूसी सेना में शामिल हो रहें नेपाली गोरखा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बड़ी संख्या में गोरखा सैनिक रूस की निजी सेना वैगनर में शामिल हो रहे हैं। यूक्रेन के युद्ध में रूस की तरफ से लड़ने वाला वैगनर ग्रुप अचानक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोध में उतर आया है। कई विशेषज्ञों ने वैगनर ग्रुप को रूसी सेना की तुलना में तुलनात्मक रूप से अधिक कुशल और सक्षम बताया है। खासकर तब जब समूह ने हाल ही में पूर्वी यूक्रेन के एक छोटे लेकिन रणनीतिक शहर बखमुत पर कब्जा कर लिया था। भारी संख्या में नेपाली गोरखा सैनिक अब वैगनर से जुड़ रहे हैं। कई नेपाली सैनिक वैगनर आर्मी में शामिल भी हो चुके हैं। द डिप्लोमैट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 16 मई को रूस ने एक साल की सैन्य सेवा के बाद रूसी नागरिकता प्राप्त करने के लिए आसान नियमों की घोषणा की थी। तब से सैकड़ों नेपाली युवा अनुबंध के आधार पर सैनिक के रूप में रूसी सेना में शामिल हो चुके हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इनमें से कुछ नेपाल सेना से सेवानिवृत्त हैं।
चौतरफा मुसीबत में फंसा नेपाल
वहीं, नेपाली सैनिकों का वैगनर आर्मी में शामिल होने से नेपाल सरकार की चिंता बढ़ गई है। दरअसल, नेपाल और रूस के बीच कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है। ऐसे में नेपाल सरकार के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इससे नेपाली सेना की ताकत कमजोर हो जाएगी। इसी के साथ अन्य देशों के बीच हुए समझौते भी प्रभावित होंगे, जिसका खामियाजा नेपाल को उठाना होगा। क्योंकि ये नेपाली सैनिक अपने निजी स्वार्थ पर गए हैं ना कि किसी अधिकारिक समझौते पर गए हैं। नेपाल सेना के रणनीतिक विश्लेषक मेजर जनरल बिनोज बसन्यात (सेवानिवृत्त) ने हाल ही में यूरेशियन टाइम्स को बताया, “यह एक चिंताजनक स्थिति है। नेपाल सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर पा रही है क्योंकि वे अपनी निजी हैसियत से गए हैं। नेपाल सरकार इसको लेकर कुछ भी नहीं कर सकती है। क्योंकि रूस में प्रशिक्षण ले रहे नेपाली युवा व्यक्तिगत क्षमता से वहां पहुंचे हैं।
गोरखा को यूक्रेन के विरुद्ध उतारेगा रूस
यूक्रेन के खिलाफ लंबे युद्ध के चलते रूस के पास सैनिकों की कमी हो रही है। इसलिए रूस नागरिकता का प्रलोभन देकर नेपाली सैनिकों को आमंत्रित कर रहा है। जिससे नेपाली सैनिकों को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार सकें। मॉस्को में नेपाल के दूतावास का दावा है कि नेपाली युवा अपनी व्यक्तिगत क्षमता से रूस पहुंच रहे हैं। इस समय एक दर्जन से ज्यादा नेपाली युवा रूस में हथियार चलाने और लड़ाई का प्रशिक्षण ले रहे हैं। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि रूसी सरकार को सेना में शामिल होने वाले लोग नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में क्रेमलिन ‘विशेष सैन्य अभियान’ के तहत उन विदेशियों को तेजी से नागरिकता दे रहा है, जो रूसी सेना के साथ एक साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।
नागरिकता का लालच दे रहा रूस
रूस बड़ी ही चालाकी से नेपाली सैनिकों को प्राइवेट आर्मी वैगनर में शामिल कर रहा है। इसके लिए रूस जहां सैनिकों को नागरिकता का लालच दे ही रहा है। साथ ही नेपाली सैनिकों के परिवार को रूसी नागिरकता की पेशकश कर रहा है। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सेना के रणनीतिक विश्लेषक सेवानिवृत्त मेजर जनरल बिनोज बसन्यात का कहना है कि अगर नेपाली नागरिक एक संप्रभु राष्ट्र की सैन्य ताकतों का हिस्सा हैं, तो इसे सरकार की विदेश नीति का हिस्सा होना चाहिए या दूसरे देश के साथ समझौता होना चाहिए। रूस के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार को जल्द इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
भारतीय सेना में नेपालियों की भर्ती ख़त्म
नेपाली गोरखा दो वजहों से रूसी सेना में शामिल हो रहे हैं। एक तरफ तो नेपाली गोरखा को रूसी नागरिकता मिल रही है। दूसरी वजह है कि भारतीय सेना में नेपाली गोरखा की भर्ती को खत्म कर दिया गया है। सर्वविदित है कि अग्निवीर भर्ती योजना के बाद नेपाल और भारत के बीच संबंध पिछले साल ही तनावपूर्ण हो गए थे। जब भारत सरकार ने भारतीय सेना में दीर्घकालिक रोजगार को छोटे अनुबंध कार्यकाल और बिना पेंशन के बदल दिया। अग्निवीर योजना के कुछ हफ्ते बाद नेपाल ने 200 साल पुरानी भर्ती प्रक्रिया रोक दी थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक इस पर अधिक स्पष्टता नहीं आ जाती, नेपाली गोरखाओं को भारतीय सेना की भर्ती में शामिल नहीं किया जायेगा।
चीनी सेना से भी जुड़े थे नेपाली गोरखा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन नेपाल के प्रसिद्ध गोरखाओं को अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भर्ती करने का प्रयास कर रहा था। वहीं खुद नेपाली गोरखा भी भारतीय सेना से नाराज होकर चीनी सेना में शामिल होना चाह रहे थे। जानकारी के मुताबिक, कुछ नेपाली सैनिक चीन की सेना में शामिल हो गए हैं।
भारत के लिए बढ़ी चिंता
भारतीय सेना में सबसे अधिक सम्मानित नेपाली गोरखा अब जब विदेशी सेनाओं मे शामिल हो रहे हैं। तो ऐसे में भारत के लिए यह किसी खतरे से कम नही है। एक तरफ नेपाली गोरखा भारत के दुश्मन देश चीन में शामिल हो रहे हैं। वहीं अब रूस की वैगनर आर्मी में नेपाली सैनिकों का शामिल होना भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है।
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