टूटा इंडिया का सपना ! आज भाजपा को समर्थन पत्र सौंपेगी TDP-JDU

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देश में एक बार फिर से साझा सरकार का दौर लौट आया है, कल आए नतीजों में बड़े उलट फेर के बाद भाजपा अंततः पूर्णबहुमत हासिल कर पाने में नाकाम रही है . ऐसे में अब भाजपा टीडीपी – जेडीयू के समर्थन से सरकार बनाने जा रही है. जी हां, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने इस साल के चुनाव में पूरा गेम ही पलट कर रख दिया है और एक बार फिर कांग्रेस के महागठबंधन के साथ ही सही पीएम बनाने का सपना तोड़ दिया है. क्योकि, आज नीतीश और नायडू भाजपा को अपना समर्थन पत्र सौपने वाले हैं, लेकिन इस बात की भी चर्चा जोरों से है कि, दोनों ही नेता इस समर्थन के बदले सरकार में किसी बड़े पद की मांग कर सकते हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार आज दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष से मिल सकते हैं. इस दौरान दोनों नेता भाजपा अध्यक्ष को अपना समर्थन पत्रों देगे और इसके प्राप्त करने के बाद भाजपा एनडीए सरकार बनाने का दावा कर सकती है. साथ ही बता दें कि, दोनों नेताओं के पास 30 सीटें हैं, जिससे बीजेपी एनडीए के पास बहुमत की सीटें मिल जाएंगी.

NDA को बहुमत तक ऐसे ले जाएंगे सहयोगी दल

अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 37, ममता बनर्जी की टीएमसी ने 29 और डीएमके ने 22 लोकसभा सीटें जीती हैं. इस दलों से कोई बदलाव नहीं होगा. छोटे दल पाला बदल सकते हैं. भाजपा को अपनी खुद की 240 सीटें मिली हैं, ऐसे में एनडीए सरकार बनाने के लिए भाजपा को 32 सीटें चाहिए. वही नीतीश-नायडू को 30 सीटें मिली हैं. ऐसे में अगर नायडू – नीतीश ये 30 सीटें भाजपा को देने को तैयार हो जाते है तो, एनडीए सरकार बनेगी. इनके अलावा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को महाराष्ट्र में सात लोकसभा सीटें मिली हैं. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के पास 5 लोकसभा सीटें हैं, जनता दल सेक्युलर (JDS) के पास 2 सीटें हैं, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के पास 2 सीटें हैं और जनसेना पार्टी के पास 2 सीटें हैं.

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आसान नहीं होगी नीतीश – नायडू के साथ की राह

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को एक साथ काम करना मुश्किल होगा, चाहे वे BJP NDA या India Alliance को समर्थन दें. दोनों नेता पहली बार सरकार में बड़े पद की मांग करेंगे. समर्थन सिर्फ पद मिलने पर दिया जाता है, फिर दोनों की सहमति सरकारी निर्णयों और परियोजनाओं में भी बहुत मायने रखेगी. इनकी सहायता के बिना कई निर्णय लेने और परियोजनाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है.

 

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