उज्मा के जरिये बदलेगा भारत-पाक रिश्ता?
क्या उज्मा के जरिये भारत-पाक का रिश्ता बदलेगा? लगता है उज्मा के जरिये नयी बयार लाने की तैयारी की जा रही है? क्या बदलेगा भारत-पाक का तल्ख रिश्ता? यह लाख टके का सवाल है जो देशवासियों के मन मस्तिष्क को मथ रहा है। वे रोज के तनाव से तंग आ चुके हैं।
पाकिस्तान की इस्लामाबाद अदालत ने एक मानवीय फैसला सुनाकार लोगों की दुर्दात सोच को बदलने की कोशिश की है। अदालत के इस फैसले ने भारत-पाक के बीच तल्ख हुए रिश्तों की दरारों में मोहब्बत की सीमेंट भरने का काम किया है। उज्मा पर दिए फैसले की चारों ओर सराहना हो रही है। कोर्ट के फैसले ने हिंदुस्तान का दिल जीता है।
सरहद पर लगातार हो रही गोलीबारी, भारत की ओर उनके बंकरों पर सीधा हमला करना, जाधव का मामला भी सुलग रहा है, इन सबके बीच पाकिस्तान की ज्युडिशियरी का मानवता के पक्ष में झुकाव रखना और जस्टिस अयूब कयानी का भारतीय नागरिक के पक्ष में एक तरफा फैसला सुनाना निश्चित रूप से बदलाव की आहट को सुनाई देने जैसा है।
प्यार, मोहब्बत, आपसी रंजिश, बेवफाई और पारिवारिक झगड़ों में कभी कूटनीतिक राजनीति आड़े नहीं आनी चाहिए। दो मुल्कों की सियासी दुश्मनी के बीच मानवता शर्मसार नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तानी ज्युडिशियरी और भारत सरकार के सहयोग से वहां नरक का जीवन जी रहीं बीस साल की भारतीय नागरिक उज्मा अहमद सकुशल हिंदुस्तान आ गई हैं।
उज्मा ने वहां का जो जीवन भोगा, उसे याद करके रो पड़ती हैं। उज्मा जिस कबायली जिले खैबर-पख्तूनख्वा में फंसी थीं, वहां तालिबान और जमींदारों का राज चलता है। लेकिन उज्मा ने बाहर निकलने के लिए बेहद अक्लमंदी से काम लिया।
उज्मा-ताहिर का मामला इस समय इस्लामाबाद की निचली अदालत में लंबित है, लेकिन उसका कथित पति केस को आगे भी खींचेगा। उसका मानना है कि उज्मा अभी भी उसकी बीवी है। उसने अभी तक काजी के सामने तलाक नहीं दिया है।
इसलिए पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, अभी केस चलता रहेगा। केस के निपटारे को लेकर उज्मा की ओर से उसका वकील कोर्ट में पेश होता रहेगा। हो सकता है कि आगे अदालत के बुलावे पर उज्मा को पाकिस्तान भी जाना पड़े।
उज्मा मामले में मानवता की जीत हुई है। इस्लामाबाद की निचली अदालत ने केस को किसी तकनीकी उलझन में फंसाने के बजाय उसे आजाद होकर भारत जाने की इजाजत दे दी। दो मुल्कों की सियासी जंग में मानवता की बलि नहीं लेनी चाहिए।
उज्मा केस में अमन की जीत हुई। केस की सुनवाई के दौरान जब ताहिर ने जस्टिस कयानी से गुहार लगाते हुए कहा कि साहब यह पाकिस्तान की इज्जत का सवाल है। इस बात पर जस्टिस कयानी काफी गुस्सा हुए थे। उन्होंने पलटकर जबाव दिया कि इसमें हिंदुस्तान और पाकिस्तान कहां से आ गए? यह एक पीड़ित लड़की के इंसाफ का मामला है जिसे पाना उसका मौलिक अधिकार है।
जस्टिस कयानी के इस निर्णय से कोर्ट रूम में तालियां भी बजने लगीं। वहां मौजूद कई लोगों ने उज्मा को हाथ मिलाकर आजाद होने की बधाइयां भी दीं। दोनों मुल्कों के रिश्तों में आई दरारों को भरने में पाकिस्तान का यह कदम नजीर साबित हो सकता है। विदेशमंत्री ने इसके लिए पाकिस्तान सरकार और उनकी ज्युडिशियरी को बेहद ही मर्म तरीके से धन्यवाद दिया।
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