इतिहास रचने को फिर तैयार है भारत, कल लांच होगा सूर्ययान, जानें कैसे तय करेगा सफर

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चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद अब भारत देश एक और इतिहास रचने के लिए तैयार है। इसको लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के पहले सूर्ययान आदित्य-एल1 की तैयारी पूरी हो गयी है। इस सूर्ययान मिशन को शनिवार को सुबह 11.50 पर श्रीहरिकोटा से लांच किया जाएगा। लांच के एक दिन पहले ही रिहर्सल और स्पेसक्राफ्ट की आंतरिक जांच पूरी हो गयी है। भारत के इस सौर्यमिशन को आदित्य-एल1 का नाम दिया गया है। इसे पीएसएलवी-सी 57 द्वारा लांच किया जाएगा। इस सूर्य मिशन में आदित्य-एल1 सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे।

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आपको बता दें कि, इसरो द्वारा निर्मित आदित्य-एल1 सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ या वीईएलसी है। वीईएलसी को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान में बनाया और टेस्ट किया गया है। आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है। चार महीने के दौरान आदित्य-एल1 अपना सफर तय कर लेगा।

सूर्य पर ऐसे करेगा निगरानी

एल1 वह प्वाइंट हैं जहां ग्रहण या गुप्त घटना से बाधित हुए बिना लगातार सूर्य का निरीक्षण किया जा सकता है। जिससे वैज्ञानिकों को वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने की अनुमति मिलेगी। साथ ही, अंतरिक्ष यान का डेटा उन प्रक्रियाओं के घटनाक्रम की पहचान करने में मदद करेगा जो सौर विस्फोट की घटनाओं को जन्म देती हैं। जिनका अंतरिक्ष मौसम पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

सूर्य का ‘कोरोना’ वह है जो हम पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान देखते हैं। बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने कहा कि वीईएलसी जैसा कोरोनाग्राफ एक उपकरण है जो सूर्य की डिस्क से प्रकाश को काटता है इस प्रकार यह हर समय बहुत धुंधले कोरोना की छवि बना सकता है।

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इतने महीने चलेगा मिशन सूर्ययान

आदित्य एल1 को लैग्रेजियन पॉइंट 1 के होलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। यह पॉइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है और यहां से बिना किसी परेशानी के सूरज पर नजर रखी जा सकती है। आदित्य एल1 को पृथ्वी और सूर्य के बीच मौजूद इस लैग्रेजियन पॉइंट पर पहुंचने में करीब चार महीने का वक्त लगेगा। सूरज की गतिविधियों के अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन किया जाएगा।

लांच से पहले भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद लेने पहुंचे वैज्ञानिक भारत के पहले सौर मिशन की लॉन्चिंग से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। इसरो के वैज्ञानिकों की एक टीम शुक्रवार को आदित्य-एल1 के एक छोटे मॉडल के साथ आंध्र प्रदेश स्थित तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर मंदिर दर्शन करने पहुंचे। आदित्य-एल1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट से लॉन्च किया जाएगा।

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