भारतीय वायुसेना को जल्द ही अपना पहला स्वदेशी 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट तेजस मार्क-1A मिलने वाला है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) तेजस मार्क-1A विमानों के उत्पादन में तेजी ला रहा है. हालांकि, GE-404 इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ था, लेकिन अब अगले महीने से HAL को इन इंजनों की आपूर्ति शुरू होने की उम्मीद है. इसे अप्रैल के अंत तक भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा.
अमेरिका से इंजन की आपूर्ति जल्द
रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, तेजस MK-1A के उत्पादन में दो साल की देरी हुई है, लेकिन अब अमेरिका का GE एयरोस्पेस इंजन की आपूर्ति शुरू करने वाला है. इसके एक इंजन का परीक्षण चल रहा है, और इस साल के अंत तक कुल 12 इंजन मिलने की उम्मीद है. इसके बाद, हर साल 20 इंजन की आपूर्ति की जाएगी. गौरतलब है कि भारत ने 2021 में 99 GE-404 इंजन के लिए 716 मिलियन डॉलर (71.6 करोड़ डॉलर) का समझौता किया था.
क्या है तेजस मार्क-1A की खासियत?
तेजस मार्क-1A एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट है. इसे सुखोई और राफेल के समकक्ष माना जाता है. भारत की इस उपलब्धि से रूस और फ्रांस जैसे मित्र देशों को झटका लग सकता है. ये देश भारत को फाइटर जेट्स सप्लाई करते रहे हैं, लेकिन अब तेजस MK-1A के आने से भारत की इन पर निर्भरता कम हो सकती है. ऐसे में इन देशों को एक बड़ा बाजार गंवाने की चिंता हो सकती है.
वायुसेना को इस साल मिलेंगे 11 तेजस मार्क-1A विमान
HAL के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. के. सुनील के अनुसार, इस साल के अंत तक 11 तेजस MK-1A विमान भारतीय वायुसेना को सौंपे जाएंगे. नासिक डिविजन में तेजस मार्क-1A विमानों के उत्पादन की तैयारी हो रही है, और अप्रैल में पहला विमान तैयार होने की संभावना है. पहले यह डिविजन मिग कॉम्प्लेक्स के रूप में जाना जाता था, जहां बाद में सुखोई-30 MKI विमानों का उत्पादन हुआ था. अब HAL के इंजीनियर इसी डिविजन में तेजस MK-1A का निर्माण कर रहे हैं.
तेजस के विभिन्न चरणों में निर्माण कार्य जारी
HAL ने हर साल 16 तेजस जेट सप्लाई करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब नासिक प्लांट की क्षमता बढ़कर सालाना 24 जेट हो गई है. इसके चलते भारतीय वायुसेना को तेजस जेट्स की सप्लाई तेजी से मिलने की उम्मीद है. वायुसेना ने इस एडवांस फाइटर जेट के 83 यूनिट्स का ऑर्डर दिया है.
HAL के सूत्रों के मुताबिक, 3 से 4 तेजस MK-1A विमान विभिन्न उत्पादन चरणों में हैं. इंजन की आपूर्ति के बाद जल्द ही ये विमान उड़ान भरने लगेंगे.

बेंगलुरु में पहले से ही तीन तेजस मार्क-1A विमान GE कैट-बी इंजन के साथ उड़ान भर रहे हैं. फरवरी में एयरो इंडिया 2025 के दौरान इन विमानों ने येलहंका वायुसेना अड्डे पर प्रदर्शन किया था. इनमें नए सेंसर, डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, उन्नत हथियार, नेट-सेंट्रिक क्षमता, बीवीआर अस्त्र मिसाइल और प्रेसिजन गाइडेड हथियार जोड़े गए हैं.
वायुसेना प्रमुख की नाराजगी के बाद बढ़ी रफ्तार
भारतीय वायुसेना ने 83 तेजस मार्क-1A की खरीद के लिए HAL के साथ लगभग 48,000 करोड़ रुपये का करार किया था. इसमें 73 तेजस MK-1A और 10 ट्रेनर तेजस विमान शामिल हैं. पहले विमान की आपूर्ति मार्च 2024 तक होनी थी, लेकिन अब तक वायुसेना को एक भी तेजस मार्क-1A विमान नहीं मिला है. इस देरी पर वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने एयरो इंडिया के दौरान कड़ी नाराजगी जताई थी. HAL ने आश्वासन दिया है कि अगले तीन वर्षों में सभी 83 तेजस मार्क-1A विमानों की आपूर्ति पूरी कर दी जाएगी.
भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत
फिलहाल भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में उसके पास केवल 31 स्क्वॉड्रन हैं. तेजस MK1A इन कमियों को पूरा करने में मदद करेगा. वायुसेना की योजना अगले एक दशक में 350 तेजस विमानों का बेड़ा खड़ा करने की है.
इंदिरा गांधी ने देखा था सपना
लाइट कंबैट एयरक्राफ्ट (LCA) प्रोजेक्ट की शुरुआत 1983 में हुई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इसे मंजूरी दी थी. 2001 से इस प्रोजेक्ट के तहत पहला विमान तेजस MK1 वायु सेना को अपनी सेवा दे रहा है. इसका एडवांस वर्जन MK-1A है. 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका नाम ‘तेजस’ रखा था.
तेजस मार्क-1A की सफलता भारत के डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे भारत अब विदेशी विमानों पर निर्भर रहने की बजाय अपने स्वदेशी लड़ाकू विमानों को प्राथमिकता देने के लिए तैयार है.
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