कश्मीर के 5 जिलों में सबसे ज्यादा हिंसा

0

केंद्र सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों के साथ बातचीत की संभावना खारिज कर दी है और कहा है कि हिंसा सिर्फ दक्षिण कश्मीर के पांच जिलों तक सीमित है, और राज्य के बाकी हिस्सों में शांति कायम है।  केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है कि सरकार कश्मीर के विकास पर अलगाववादियों को छोड़कर बाकी सभी अन्य घटकों के साथ बातचीत के लिए तैयार है।

लेकिन उन्होंने रमजान के दौरान संघर्ष-विराम की मांग पर सवाल खड़े किया। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, वेंकैया ने कहा कि राज्य और केंद्र की सरकारें कश्मीर घाटी के हालात से निपटने में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं।

उल्लेखनीय है कि कश्मीर घाटी नौ अप्रैल से ही सुलग रही है, जब श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई गोलीबारी में आठ प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष नायडू ने कहा, “हम कश्मीर समस्या सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हमें पिछली कांग्रेस सरकारों से विरासत में मिली हुई है।”

नायडू ने उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृतव वाली पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी)-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) गठबंधन सरकार हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के पिछले वर्ष आठ जुलाई को मारे जाने के बाद से अबतक घाटी में सामान्य स्थिति बहाल नहीं कर पाई है और राज्य में बढ़ रही हिंसा पर लगाम लगाने में विफल साबित हुई है।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष आतंकी कमांडर वानी के मारे जाने के बाद घाटी की सड़कों पर भड़की हिंसा का दौर लगभग पांच महीने तक चला था, जिसमें 100 लोग मारे गए थे। वर्ष 2017 की शुरुआत भी घाटी के लिए हिंसक रही और पत्थरबाज रह-रह कर हिंसा की आग में घी डालते रहे।

लेकिन नायडू ने कहा कि कश्मीर घाटी के हालात अब भी पूर्व की संप्रग सरकारों के कार्यकाल से बेहतर हैं। उन्होंने कहा, “कश्मीर की समस्या हमने नहीं पैदा की है, यह 69 साल पुरानी समस्या है। फिर विफलता का सवाल कहां उठता है? यह महान कांग्रेसी नेताओं द्वारा छोड़ी गई विरासत है।” उन्होंने कहा कि राज्य की समस्या उतने व्यापक क्षेत्र में नहीं फैली हुई है, जितना कि मीडिया में बताई जाती है।

उन्होंने कहा, “पांच जिलों को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्से हिंसा मुक्त हैं। हम इस बात को समझें। दक्षिण कश्मीर को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों में शांति है। उत्तरी कश्मीर में कोई खास समस्या नहीं है। जम्मू क्षेत्र में कोई बड़ी समस्या नहीं है। लद्दाख क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है।”

उन्होंने कहा, “दक्षिण कश्मीर के सिर्फ चार जिले ही कश्मीर नहीं कहलाते। वहां समस्या है। हमें इसे सुलझाना है। लेकिन हमें सीमा पार एक संदेश भी देना है कि हम आतंकवाद को स्वीकार नहीं करेंगे।”

Also read : योगी के इस अभियान में अबतक हो चुकी है 7 लाख लोगों से पूछताछ

ईद के त्योहार के साथ संपन्न होने वाले मौजूदा रमजान महीने में संघर्ष-विराम की किसी संभावना के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि इस बारे में निर्णय गृह मंत्रालय को लेना है। लेकिन उन्होंने इस मांग पर सवाल भी खड़े किए।

उन्होंने सवाल किया, “किसकी तरफ से संघर्ष-विराम? क्या पत्थरबाजी नहीं होगी? क्या कोई आतंकी घटना नहीं घटेगी? हमें क्या कोई इन सबका भरोसा देगा? मान लीजिए लोग रमजान मना रहे हैं और उस दौरान कोई हमला हो जाता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।”

घाटी में अलगाववादी संगठनों के साथ बातचीत के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए संवाद के सभी पूर्व प्रयास विफल साबित हुए हैं। उन्होंने कहा, “हम कितने वर्षो से बातचीत कर रहे हैं? कुछ लोगों के लिए इस तरह की मांग कर खबरों में बने रहना फैशन बन गया है। अन्यथा क्या बात करनी है? हां, हमें उनसे दलगत भावना से ऊपर उठकर बातचीत करनी चाहिए।”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अलगाववादी समूह हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की संभावना को स्पष्ट तौर पर खारिज कर रहे हैं? मंत्री ने कहा, “मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि कश्मीर को अलग करने का सवाल नहीं पैदा होता। देश की एकता पर कोई सवाल पैदा नहीं होता।”

नायडू ने आगे कहा, “वहां विकास का मुद्दा है, एक खास क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है। लेकिन किसी को जमीन का एक इंच हिस्सा भी देने का सवाल नहीं पैदा होता। विकास पर हम सभी से बात कर सकते हैं। हम अलगाववादियों का जिक्र क्यों कर रहे हैं? हम कश्मीरी लोगों से बातचीत करना चाहते हैं, जो भारत के हिस्सा हैं।”

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में पीडीपी के साथ मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि यह मतभेद इसलिए है, क्योंकि हम अलग-अलग पार्टियां हैं।  उल्लेखनीय है कि महबूबा ने हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत करने की मांग उठाई है।

वेंकैया ने कहा, “यह बात पीडीपी कह रही है, सरकार नहीं। यह उनका विचार हो सकता है, हमारा नहीं। असली मुद्दा यह है कि पहले सामान्य स्थिति बहाल हो। सार्वजनिक जीवन पटरी पर आए।” उन्होंने कहा कि पीडीपी-भाजपा के बीच आपस में एक राजनीतिक समझ है और हम इसके लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं कि निर्वाचित सरकार चलती रहे।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More