शाह के शिकंजे से राहुल गांधी छीन लाए कर्नाटक की सत्ता

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बीते दिनों से कर्नाटक की राजनीति जगत में जिस तरह से उठा-पटक के कांग्रेस ने भाजपा को गद्दी से गिराया। मानो पूरे देश में चारो किले फतेह कर दिया। कर्नाटक में मोदी से लेकर शाह तक का गणित काम न आया। भाजपा ने सारे तिकड़म भिड़ा लिये लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने भाजपा के मुंह से निवाला आते आते छीन लिया चारो तरफ सराहना की जा रही है।

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राहुल का बदला हुआ रुप भाजपा की आंखों में खटक रहा है

कर्नाटक की इस जीत को न सिर्फ कांग्रेस बल्कि राहुल की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है। राहुल गांधी को लेकर सोशल मीडिया में जिस तरह से उपहास और माखौल उड़ाया जाता है इस जीत ने उन सब का मुंह बंद कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राहुल का बदला हुआ रुप भाजपा की आंखों में खटक रहा है। सोशल मीडिया में उनकी सक्रियता और पार्टी को निरंतर अग्रसर कर दिया है। आज हम आपको राहुल गांधी से जुड़ी दिलचस्प बाते बताते है।

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करीबियों की मानें तो वे फिटनेस फ्रीक हैं

वैसे तो राहुल गांधी मीडिया और राजनीति से अपनी निजी जिंदगी सीक्रेट रखना पसंद करते हैं। यही वजह है कि उनके आइकिडो को ब्लैक बेल्ट होने की बात कई सालों बाद मीडिया में सामने आई थी। राहुल के करीबियों की मानें तो वे फिटनेस फ्रीक हैं। उन्हें रैलियों के दौरान जब और जहां समय मिलता है वे जिम करते हैं। वे सुबह साइकिलिंग और स्विमिंग करना पसंद करते हैं।

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उनके स्टैमिना का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान चोटिला मंदिर की 1000 सीढियां वे केवल 15 मिनट में चढ़ गए थे। उनकी शिक्षा की बात की जाए तो 1995 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से एमफिल की डिग्री हासिल की। इसके उन्होंने दिल्ली कीसेंट स्टीफेन कॉलेज और देहरादून के मशहूर दून स्कूल से भी पढ़ाई की है। ग्रेजुएशन के बाद राहुल ने 3 साल तक लंदन के मॉनिटर ग्रुप के लिए भी काम किया।

दादी इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही बॉडी गार्ड ने कर दी थी

यह कंपनी मैनेजमेंट गुरु माइकल पोर्टर की ही सलाहकार संस्था थी। भारत वापस आने के बाद राहुल ने मुंबई स्थित टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग फर्म और बस्कोपस सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड में भी काम किया। बाद में वे नौकरी छोड़ राजनीति में आ गए। गौरतलब है कि राहुल का जीवन बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा है। 1984 में उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही बॉडी गार्ड ने कर दी थी।

इसके बाद 1991 में राहुल के पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भी हत्या LTTE द्वारा कर दी गई। जब राहुल के सिर से पिता का साया उठा तब वे लंदन में पढ़ाई कर रहे थे। सुरक्षा के लिहाज से उन्हें लंदन से फ्लोरिडा भेजा गया। हालांकि, इन उतार-चढ़ावों के बाद भी राहुल डिगे नहीं। उन्होंने पढ़ाई के बाद राजनीति में आने का फैसला किया और आज वे अपनी पार्टी के अध्यक्ष हैं।

कर्नाटक में झोंक दी सारी ताकत

राहुल गांधी ने कर्नाटक में जीत के लिए सारी ताकत झोंक दी जिसका असर पूरा देश देख रहा है। इतना ही नहीं राहुल ने कर्नाटक में जनसभा करने में अब तक सारे रिकार्ड तोड़ दिये। भाजपा की नाक में ऐसा दम किया कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले शाह का कोई भी दांव काम न आया।

सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष ने राहुल के हौंसलों को गिराने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वो निरंतर आगे बढ़ते चले गए। पहले कांग्रेस के युवराज के तौर पर अब पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने पार्टी को मुकाम तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते है। सोशल मीडिया में आये दिन राहुल को लेकर जिस तरह से माखौल उड़ता है वो इन सब को दरकिनार करते हुए आगे बढ़ते गए।

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